काला धन वापस लाने का दावा करने वाली सरकार ने क्यों नहीं बातए पूरे नाम
नई दिल्ली [ TNN ] सरकार द्वारा विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वाले तीन भारतीयों के नाम सुप्रीम कोर्ट में बताने के बाद से वह आलोचना के घेरे में आ गई है और उसे विपक्षी पार्टियों की कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। सरकार की इस बात के लिए आलोचना की जा रही है कि आखिर क्यों उसने सिर्फ तीन नाम बताए जबकि पहले उसने 136 लोगों के नाम बताने की बात कही थी।
बीजेपी के पूर्व नेता और प्रसिद्ध वकील राम जेठमलानी ने काले धन के मुद्दे पर सिर्फ तीन बतान पर सरकार की आलोचना करते हुए कहा की ‘ यही कहूंगा, सरकार ने खोदा पहाड़ निकली चुहिया’। सभी नाम न बताने की क्या वजह है यह तो वित्त मंत्री अरुण जेटली ही बता सकते हैं।’
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा है कि अगर सरकार में हिम्म्त है तो वह सारे नाम बताए। अगर उसके पास काला धन रखने वाले कांग्रेसियों के नाम हैं तो उन्हें बताए वर्ना कांग्रेस के खिलाफ प्रचार करना बंद करे।
दिग्विजय ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि मोदी ने काला धन वापस लाने पर प्रत्येक भारतीय को 3-3 लाख रुपये देने का वादा किया था और पीएम को उस वादे को पूरा करना चाहिए और ऐसा न करने पर पीएम को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
बीजेपी ने सरकार के इस कदम को ऐतिहासिक करार दिया। केंद्र ने अपने हलफनामे में कोर्ट को बताया, ‘सरकार की उन लोगों के नामों को छुपाने की कोई मंशा नहीं है, जिन्होंने विदेशों में काला धन जमा कर रखा है। उन सभी मामलों में विदेशों से मिलने वाली सूचना का खुलासा किया जाएगा, जिनमें टैक्स चोरी का मामला बनता है।’ इसके साथ ही केंद्र ने कहा, ‘किसी भारतीय के विदेशी बैंक में खाता होने का मतलब यह नहीं है कि वह गैरकानूनी ही है। इसलिए प्रथम दृष्टया किसी गड़बड़ी का सबूत नहीं मिलने तक नामों का खुलासा नहीं किया जा सकता।’ सरकार ने यह भी बताया कि स्विट्जरलैंड ने उन मामलों में काले धन की सूचना उपलब्ध कराने की इच्छा के संकेत दिए हैं, जिनमें इनकम टैक्स विभाग द्वारा जांच की गई है।
सरकार ने पहले कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में काले धन के मुद्दे पर दाखिल किए जाने वाले अपने हलफनामे में वह 136 लोगों के नाम बताएगी लेकिन सोमवार को उसने कोर्ट में तीन लोगों प्रदीप बर्मन, पंकज चमनलाल और राधा टिम्बलू के नाम बताए।