लखनऊ : ट्रिपल तलाक को लेकर पूरे देश में भर में चल रही बहस के बीच लगातार इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं। सोमवार को सीएम योगी आदित्य नाथ के जनता दरबार में एक मुस्लिम महिला पहुंची। वह मुख्यमंत्री से न्याय का गुहार लगाने आई। साथ ही ट्रिपल तलाक को खत्म करने की मांग की। सीएम के जनता दरबार में पहुंची सबरीन नाम की महिला ने बताया, शादी के बाद से उसका पति उसका उत्पीड़न करता आ रहा है। बाद में उसने फोन पर तलाक दे दिया। उम्मीद है कि मुख्यमंत्री मुझे न्याय दिलाएंगे। जनता दरबार में सीएम आदित्य नाथ लोगों की समस्याओं को सुनते और उनकी परेशानियों का समाधान करते हैं।
इससे पहले यूपी के ही सहारनुपर की रहने वाले सगुफ्ता ने पीएम नरेंद्र मोदी और योगी आदित्य नाथ को चिट्ठी लिखकर ट्रिपल तलाक खत्म करने की मांग की थी। गर्भवती महिला ने बताया था कि तीसरी बेटी न हो इसके लिए पति और ससुराल वालों ने उस पर गर्भपात कराने का दबाव बनाया। जब उसने मना किया तो मारपीट के बाद तीन बार तलाक बोलकर घर से निकाल दिया। पुलिस द्वारा मदद नहीं मिलने पर महिला ने पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर परिवार की सुरक्षा और तीन तलाक को खत्म करने की गुहार लगाई थी। इसके अलावा उसने चिट्ठी की कॉपी यूपी के सीएम योगी आदित्य नाथ, राष्ट्रीय महिला आयोग, जिलाधिकारी को भी भेजी है।
After harassing me since marriage,my husband gave me talaq on phone. I hope CM gives me justice:Sabreen at UP CM’s Janta Darbar #TripleTalaq pic.twitter.com/eaTuukW7sQ
— ANI UP (@ANINewsUP) April 3, 2017
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह की परंपराओं की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई 5 जजों की संविधान पीठ सौंप दी है। याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करने के लिए 11 मई की तारीख तय की गई। प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि गर्मिर्यों की छुट्टियों में एक संविधान पीठ मामले में सुनवाई करेगी। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने उच्चतम न्यायालय से कहा था कि मुस्लिमों के बीच प्रचलित इन परंपराओं को चुनौती देने वाली याचिकाएं विचारणीय नहीं हैं क्योंकि ये मुद्दे न्यायपालिका के दायरे के बाहर के हैं। बोर्ड ने यह भी कहा था कि पवित्र कुरान और इस पर आधारित स्रोतों पर मूल रूप से स्थापित मुस्लिम विधि की वैधता संविधान के कुछ खास प्रावधानों पर जांचे नहीं जा सकते।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह मुस्लिमों में तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह की परंपराओं के ‘‘कानूनी’’ पहलुओं से जुड़े मुद्दों पर फैसला सुनाएगी और इस सवाल पर विचार नहीं करेगी कि मुस्लिम विधि के तहत तलाक की अदालतों द्वारा निगरानी की जरूरत है या नहीं क्योंकि यह विधायी क्षेत्राधिकार में आता है। @ ऑनलाइन मीडिया