चेन्नई- आय से अधिक संपत्ति मामले में कुर्सी छोड़ने के महज सात महीने बाद अन्नाद्रमुक सुप्रीमो जे. जयललिता ने आज पांचवी बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। जयललिता के साथ 28 विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली।
शपथग्रहण समारोह में सुपरस्टार रजनीकांत भी शामिल हुए। मद्रास यूनिवर्सिटी शताब्दी में आयोजित कार्यक्रम में रजनीकांत के अलावा आइसीसी के चेयरमैन एन श्रीनिवासन, शरत कुमार और यूनियन मिनिस्टर राधाकृष्णण के अलावा कई नेता मौजूद थे।
आपको बता दें कि कर्नाटक हाईकोर्ट के भ्रष्टाचार के आरोपों से बरी किए जाने के 11 दिन बाद ही अम्मा ने मुख्यमंत्री पद संभालने की तैयारी पूरी कर ली। 67 वर्षीय जयललिता की इस वापसी की खुशी में चेन्नई की सड़कों पर जश्न का माहौल है।
एक विशेष अदालत द्वारा 27 सितंबर 2014 को दोषी ठहराए जाने के बाद जयललिता को पद से इस्तीफा देना पड़ा था और इसी के साथ विधानसभा में उनकी सदस्यता भी खत्म हो गई थी। जयललिता को विधानसभा का सदस्य बनने के लिए फिर से चुनाव लडना होगा। ऐसी संभावना है कि जयललिता राधाकृष्णन नगर विधानसभा सीट से दोबारा चुनाव लड़ेंगी।
इसके लिए पार्टी के एक विधायक पी. वेत्रीवेल ने 17 मई को राधाकृष्णन नगर विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था, जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिया था। वेट्रीवेल के इस्तीफे के बाद कर्नाटक की 234 सदस्यीय विधानसभा में एआईएडीएमके के विधायकों की संख्या विधासभा अध्यक्ष को छोड़कर 150 रह गई है।
गौरतलब है कि आय से अधिक संपत्ति मामले में गत वर्ष सितंबर में सजा सुनाए जाने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी छोडऩे को मजबूर हुईं जयललिता को अन्नाद्रमुक विधायक दल ने शुक्रवार को फिर से अपना नेता चुना। इसके बाद मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
जयललिता ने 2011-14 के अपने मंत्रिमंडल के पुराने चेहरों को ही नए मंत्रिमंडल के लिए तवज्जो दी है। इसमें उनके विश्वासपात्र और पूर्व मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम को जयललिता कैबिनेट में जगह मिली है। पन्नीरसेल्वम के पास वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी होगी। इसके साथ ही पन्नीरसेल्वम के मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों को बरकरार रखा है। उन्होंने किसी भी मंत्री के विभाग में कोई परिवर्तन नहीं किया है।
एआईएडीएमके के संस्थापक नेता एमजीआर की सहयोगी जयललिता 1980 की शुरुआत में पार्टी की प्रचार सचिव नियुक्त की गई थीं। 1984 में पार्टी ने उन्हें राज्यसभा सांसद बना दिया।
1989 में पहली बार जयललिता तमिलनाडु विधानसभा की सदस्य बनीं। दो साल बाद 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद हुए चुनावों में उन्होंने व्यापक जीत दर्ज की और पहली बार राज्य की मुख्यमंत्री बनीं।
1996 में भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच उनकी सरकार सत्ता से बाहर हो गई। हालांकि 2001 में वह एक बार फिर सत्ता में वापस लौटीं।
जयललिता ने 2011 में एक बार फिर एआईएडीएमके को जबरदस्त जीत दिलाई। इस बार उन्होंने कई लोकलुभावन योजनाओं की घोषणा की जिसके कारण वह तमिलनाडु में काफी लोकप्रिय हुईं। एजेंसी