पटना – बिहार में सीएम की कुर्सी को लेकर मचे घमासान के बीच विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने मांझी सरकार के विश्वास मत साबित करने के एक दिन पहले जदयू के विजय चौधरी को विपक्षी दल के नेता के तौर पर मान्यता दे दी है। इसके साथ ही उन्होंने जदयू को मुख्य विपक्षी दल का दर्जा दे दिया है।
इस बीच जदयू के एक विधायक शर्फुद्दीन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया कि उन्हें मांझी के समर्थन में वोट करने के लिए पद और पैसे का लालच दिया गया। जदयू विधायक ने आरोप लगाया कि उन्हें यह लालच राजद के सांसद पप्पू यादव ने फोन पर दिया और उनसे जीतनराम मांझी की भी बात करवाई थी। हालांकि, पप्पू यादव ने इस आरोप से इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि वे तो आरोप लगाने वाले विधायक को जानते भी नहीं हैं तो लालच देने की बात कहां से सामने आ सकती है।
स्पीकर के इस फैसले के खिलाफ भाजपा विधायकों ने स्पीकर के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन किया और मार्शल के साथ धक्का-मुक्की की। भाजपा नेता सुशील मोदी ने कहा कि उनकी पार्टी मांझी को समर्थन देने पर विचार कर रही है लेकिन अभी इस पर फैसला नहीं हो पाया है।
माना जा रहा है कि स्पीकर के इस फैसले से मांझी सरकार के विश्वास मत हासिल करने के दौरान जदयू को अपने विधायकों को एकजुट रखने में मदद मिलेगी और सभी विधायक सरकार के खिलाफ वोट करेंगे।
विश्वास मत प्रस्ताव के दौरान सदन में बैठने की व्यवस्था और जदयू के विपक्ष में बैठने की मांग के आवेदन पर सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी और इस बैठक में भी हंगामा देखने को मिला।