स्वतंत्रता सेनानी और हिंदू महासभा के संस्थापक गणेश दामोदर सावरकर का जन्म साल 1879 में 13 जून को हुआ था। आज जानिए उनसे जुड़ी कुछ खास बातें…
– सावरकर तीन भाइयों में सबसे बड़े थे। उन्हें बाबाराव सावरकर के नाम से भी बुलाया जाता था।
– अपने भाई वीर सावरकर के साथ उन्होंने देश में हिंदू राष्ट्रवाद की अवधारणा दी।
– वीर सावरकर के साथ मिलकर उन्होंने अभिनव भारवत सोसाइटी की स्थापना की।
– आजादी की जंग में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह के चलते उन पर मुकदमा चलाया और दो बार सजा सुनाई गई।
– उन्होंने राष्ट्रमिमांसा लिखी, जहां सबसे पहले हिंदुस्तान को हिंदू राष्ट्र के तौर पर स्थापित करने की बात की गई।
– 1922 में उन्होंने वीर सावरकर के साथ मिलकर हिंदू महासभा का गणन किया।
– राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पांच संस्थापकों में से एक थे गणेश दामोदर सावरकर।
ईसा मसीह को बताया था तमिल हिंदू
1946 में यानी आजादी से पहले गणेश सावरकर की एक किताब बाजार में आई। ‘क्राइस्ट परिचय’ नामक किताब ने उस समय तहलका मचा दिया था। दरअसल किताब में लिखा था कि ईसा मसीह तमिल हिंदू थे। RSS के पांच संस्थापकों में से एक गणेश दामोदर (बाबाराव) सावरकर ने इस किताब में लिखा कि ईसा मसीह तमिलनाडु के विश्वकर्मा ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे। उन्होंने दावा किया था कि ईसाई धर्म और हिंदू धर्म का ही एक पंथ है। कभी वर्तमान फिलीस्तीन और अरब इलाके हिंदू भूमि हुआ करते थे। क्राइस्ट का असली नाम केशव कृष्णा था।
उनका रंग काला था और उनकी मातृ भाषा तमिल थी। जब क्राइस्ट 12 साल के थे तब ब्राह्मण परंपरा के अनुसार उनका जनेऊ संस्कार हुआ था। उन्होंने जनेऊ भी पहना था। जब क्राइस्ट मृत्यु शैया पर थे, तो उन्हें ठीक होने के लिए जड़ी-बूटियों दी गईं थीं। कश्मीर में क्राइस्ट ने 3 साल भगवान शिव की आराधना की थी, और उन्हें शिव के दर्शन हुए। उन्होंने अपने जीवन का अंतिम समय हिमालय पर बिताया। वहां उनकी समाधि भी है। क्राइस्ट का परिवार भारतीय परिधान पहनता था और उनके शरीर पर हिंदू चिन्ह बने हुए थे। क्राइस्ट ने भारत की यात्र की और योग सीखा।