नई दिल्ली- जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन को लेकर भाजपा और पीडीपी के बीच कायम गतिरोध टूट सकता है। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के दिल्ली दौरे से यह संभावना बनी है।
महबूबा के साथ पीडीपी के कुछ वरिष्ठ नेता भी आए हैं। इसी क्रम आज पीडीपी अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। यह जम्मू कश्मीर में सरकार गठन में बड़ा कदम माना जा रहा है।
भाजपा के सख्त रुख के बाद गतिरोध दूर करने के लिए पीडीपी ने नरम रवैया अपना लिया है। पीडीपी की ओर से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को संदेश भेजा गया है कि पार्टी ने कोई नई शर्त नहीं रखी है।
पीडीपी ने गठबंधन एजेंडा में मौजूद कुछ बिंदुओं के मामले में इन्हें पूरा करने के लिए समय सीमा तय करने की बात कही थी। इस बीच, भाजपा ने गठबंधन एजेंडा पर कायम रहने का संकेत देकर सरकार गठन की नई उम्मीदें जगा दी हैं।
माना जा रहा है कि अगर दिल्ली में बीजेपी और महबूबा की बातचीत के ताजा दौर में सब कुछ ठीक रहता है तो पीडीपी 24 मार्च को अपने विधायक दल का नेता चुन सकती है। यह प्रक्रिया संबंधी निर्णय होगा जिससे राज्य में नई सरकार बनने का रास्ता साफ हो जाएगा।
भाजपा अब महबूबा मुफ्ती की कोई नई शर्त मानने के लिए तैयार नहीं हैं। हम उनकी मांगों से तंग आ चुके हैं। देखा जाए तो बीजेपी का यह रुख चौंकाने वाला है क्योंकि अभी तक भाजपा सरकार बनाने की जल्दबाजी दिखा रही थी। भाजपा के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार महबूबा और अमित शाह के बीच हुई बातचीत में अमित शाह ने उनकी मांगें मानने से साफ इनकार कर दिया था।
गौरतलब है कि दोनों पार्टियों के पास सरकार बनाने के लिए 8 अप्रैल तक का समय है। इस दिन विधानसभा को हेल्ड रखने के छह महीने पूरे हो जाएंगे। माना जा रहा है कि सरकार बनाने को लेकर पीडीपी में भी तीन गुट बन चुके हैं, पहला वो जो भाजपा के साथ सरकार बनाने के खिलाफ है, दूसरा गुट दुबारा राज्य में विधानसभा चुनाव करवाना चाहता है और तीसरा गुट अभी भी भाजपा के साथ मिल कर सरकार बनाने के पक्ष में है। इन विधायकों को डर है अगर अभी सरकार नहीं बनाई गई तो उनकी सीटें खतरे में पड़ जाएंगी।