मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापम महाघोटाले की जांच से अब शायद ही कोई आरोपी बच पाए।
कमलनाथ सरकार 1200 से ज़्यादा शिकायतों की जांच करा रही है। अब तक की जांच के बाद खबर है कि करीब 100 FIR दर्ज करायी जाएगी। जिसमें 500 लोगों के नाम हो सकते हैं।
ये वो मामले हैं जिन्हें CBI ने बिना जांच किए ही STF को लौटा दिया था। एसटीएफ की राडार पर शिवराज सरकार में रहे कई मंत्री, आईएएस और आईपीएस अफसर हैं।
कांग्रेस ने सरकार में आने से पहले ही शिवराज सरकार के दौरान हुए व्यापम घोटाले की जांच का वादा जनता से किया था। अब कांग्रेस सत्ता में है और अपना वादा पूरा कर रही है। सरकार के निर्देश के बाद एसटीएफ हरकत में आ गई है।
उसने पेंडिंग शिकायतों की जांच तेज कर दी है। 1200 शिकायतों का वेरिफिकेशन किया जा चुका है। उसमें से 197 शिकायतों में बयान लिए जा रहे हैं।
पूरे प्लान के तहत यह जांच चल रही है। इसकी जद में शिवराज सरकार में रहे कई मंत्री, प्रदेश के आईपीएस, आईएएस अफसरों और रसूखदार लोग भी आ गए हैं।एसटीएफ सभी के खिलाफ सबूत जुटा रही है।
जिन 197 पेंडिंग शिकायतों की जांच की जा रही है उसके लिए भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में एसआईटी बनायी गयी हैं। इन एसआईटी को ज़िले के एसटीएफ एसपी लीड कर रहे हैं।
एसटीएफ सूत्रों से पता चला है कि इनमें से करीब 100 ऐसी शिकायतें हैं, जिनमें एफआईआर करायी जा रही है, उनमें से 500 लोगों को आरोपी बनाया जाएगा।
शिकायतों की जांच में शिवराज सरकार के कई मंत्री, आईएएस, आईपीएस अफसरों और रसूखदारों के नाम सामने आ रहे हैं।
जांच के दौरान पूर्व मंत्री जगदीश देवड़ा के साथ कई बड़े राजनेताओं और नौकरशाहों पर शिकंजा कसा जा सकता है। सबसे पहले पीएमटी और प्रीपीजी को लेकर हुई शिकायतों में एफआईआर दर्ज होगी।
एसटीएफ सिर्फ पेंडिंग शिकायतों या फिर आने वाली नई शिकायतों पर जांच करेगा। एसटीएफ के अधिकारी सीबीआई की जांच में किसी तरह का हस्ताक्षेप नहीं करेंगे।
सीबीआई ने 2015 में व्यापम घोटाले की जांच एसटीएफ से अपने हाथ में ली थी। उस दौरान CBI ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का हवाला देकर सिर्फ उन मामलों की जांच अपने हाथ में ली थी, जिनमें प्रकरण दर्ज थे। बाकी बची हुई 12 सौ से ज्यादा शिकायतों में एफआईआर नहीं हुई थी, उन्हें सीबीआई ने एसटीएफ को वापस भेज दिया था।
एसटीएफ अब उन्हीं शिकायतों की जांच कर रही है। कमलनाथ सरकार के निर्देश पर ऐसा किया जा रहा है। सभी पेंडिंग शिकायतें 2014 से 2015 के बीच की बताई जा रही हैं।
व्यापम से जुड़ी जांच के लिए 3 एसआईटी बनायी गयी हैं। जांच में तीनों ही टीम शामिल हैं। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी एफआईआर भी दर्ज होती जाएंगी । आरोपियों की गिरफ्तारी भी हो सकती है।