भोपाल : मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार अपने गठन के बाद से ही विवादों में है, या यूं कहें कि विवाद इसका दामन छोड़ने का नाम नहीं ले रहे। इसी कड़ी में कमलनाथ सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया है जिससे राजनीतिक गलियारों में भूचाल आना तय है।
दरअसल कमलनाथ ने हर महीने की एक तारीख को मंत्रालय में गाए जाने वाले वंदे मातरम को बंद करने का फैसला लिया है। सूबे की शिवराज सरकार ने इस परंपरा की शुरुआत की थी। इसके तहत मंत्रालय के सभी कर्मचारी महीने की पहली तारीख को परिसर में इकट्ठा होकर एकसाथ राष्ट्रगीत मिलकर ‘वंदे मातरम’ गान करते थे। इससे पहले भी वंदे मातरम को लेकर सियासत होती रही है।
जहां कांग्रेस राष्ट्रगीत के मुद्दे पर अपना रुख साफ नहीं करती वहीं भाजपा कांग्रेस पर तुष्टिकरण के आरोप लगाकर घेरती रहती है। इस मुद्दे पर कांग्रेस को घेरते हुए कुछ दिनों पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि यह किसी धर्म से जुड़ा हुआ नहीं हो सकता है। लेकिन कांग्रेस ने गीत पर प्रतिबंध लगाकर इसको धर्म से जोड़ दिया।
बता दें कि इससे पहले अपने घोषणा पत्र में सरकारी कर्मचारियों के संघ की शाखाओं में जाने पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी। कांग्रेस के मुताबिक सरकारी इमारतों के परिसरों में संघ की शाखाओं का आयोजन नहीं किया जा सकता।