लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से मिली जीत से उत्साहित भारतीय जनता पार्टी के मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार के अल्पमत में होने के दावों के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विधायकों के साथ रविवार को बैठक की।
बैठक में सरकार की स्थिरता पर चिंतन के बीच कमलनाथ ने विधायकों से दो टूक पूछा कि आप ही लोगों ने मुझे सीएम बनाया है, आप लोग ही बताएं, क्या मैं कुर्सी छोड़ दूं? इस पर विधायकों ने एकजुट होकर उन पर भरोसा जताया और कहा कि सरकार पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी।
दरअसल, भाजपा के ‘अल्पमत सरकार’ के आरोपों के बाद कमलनाथ ने आनन-फानन में विधायकों की बैठक बुलाई थी।
इस बैठक में विधायकों के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया और मध्यप्रदेश के इकलौते कांग्रेस सांसद और कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ भी मौजूद थे।
भाजपा के ‘अल्पमत की सरकार’ के आरोपों पर चर्चा करते हुए कमलनाथ ने विधायकों से दो टूक कहा कि “प्रदेश में कांग्रेस सरकार को कभी लंगड़ी-लूली, कभी बैसाखी के सहारे तो कभी अल्पमत में बताया जा रहा है। आप विधायकों ने ही मुझे दल का नेता चुना, मुख्यमंत्री बनाया। अब आप ही निर्णय करें कि क्या मैं यह कुर्सी छोड़ दूं?”
इस पर निर्दलीय, सपा, बसपा और कांग्रेस के सभी विधायकों ने एकजुट होकर कहा कि हमें आप पर भरोसा है। आप चाहें तो विधानसभा में फ्लोर टेस्ट करा लें।
राज्यपाल के यहां परेड के लिए भी हम तैयार हैं। कमलनाथ ने चेताया कि सोशल मीडिया पर अफवाहें, झूठे वीडियो और अन्य फर्जी मैसेज चलाए जा रहे हैं। इनसे सावधान रहें और दूसरों को भी सावधान रखें।
कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद, हरदीप सिंह डंग और कुणाल चौधरी ने कहा कि आप भरोसा रखें, हम टेस्ट के लिए तैयार हैं।
वहीं बसपा विधायक संजीव सिंह कुशवाहा, रामबाई और सपा विधायक राजेश शुक्ला ने कहा कि बोले- सरकार पर भरोसा है। पूरे पांच साल चलेगी। निर्दलीय विधायकों में सुरेंद्र सिंह ठाकुर और केदार डाबर भी मंच के पास पहुंचे और सीएम कमलनाथ से कहा कि हमारा समर्थन जारी रहेगा।
सभी विधायकों ने एक स्वर में कहा कि हमें आपके नेतृत्व में सरकार पर भरोसा है, चाहें तो फ्लोर टेस्ट करा लें।
बिसाहूलाल सिंह ने कहा कि सरकार में आदिवासी वर्ग से 30 से ज्यादा विधायक हैं फिर भी मंत्रिमंडल में इन्हें तवज्जो नहीं दी गई।
वहीं, हरदीप सिंह डंग ने अधिकारियों को निर्देश देने की मांग रखी कि अधिकारी विधायकों का सम्मान करें।
बैठक में कुछ विधायकों ने लोकसभा चुनाव की हार की समीक्षा करने और ग्वालियर-चंबल में भाजपा के बागियों को कांग्रेस में शामिल किए जाने से हुए नुकसान का मुद्दा उठाया तो कमलनाथ ने इन मुद्दों पर बाद में समीक्षा बैठक बुलाकर बात करने के लिए आश्वस्त किया।