मण्डला – वन्यप्राणी संरक्षण के क्षेत्र में मध्यप्रदेश का योगदान उत्कृष्ठ रहा है। बाघ एवं अन्य विभिन्न प्राणियों के संरक्षण हेतु प्रदेश की ख्याति देश एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक है। वन्यप्राणी संरक्षण के लिए प्रदेश में विभिन्न संरक्षित क्षेत्र घोषित किए गए हैं, जिसमें राज्य के छ: टाईगर रिजर्व भी शामिल हैं। इस वर्ष (2016) राज्य के संरक्षित वन क्षेत्रों के वन्यप्राणियों में बाघ एवं अन्य माँसाहारी एवं शाकाहारी प्राणियों की गणना हेतु मध्यप्रदेश राज्य वन अनुसंधान संस्थान, जबलपुर द्वारा समस्त संरक्षित क्षेत्रों के अधिकारी एवं क्षेत्रीय कर्मचारियों की सहयोग से अध्ययन कार्य किया गया।
शाकाहारी प्राणियों की गणना के लिए लाईन ट्रेजेक्ट पद्धति का उपयोग किया गया। कान्हा टाइगर रिजर्व में कुल 240 ट्रांजेक्ट चले गए जिसकी कुल लंबाई 1440 कि.मी.है। इस पद्धति द्वारा प्रतिवर्ग किलोमीटर में शाकाहारी प्राणियों की संख्या का आंकलन किया गया। इसके प्रोटोकॉल के अनुसार आंकलित शाकाहारी पशुओं की संख्या का गुणा उनके औसत वजन से करके प्रतिवर्ग किलोमीटर में उनके बायोमॉस का आंकलन किया गया। माँसाहारी प्राणियों के सर्वेक्षण हेतु वन विभाग की न्यूनतम इकाई अर्थात बीट में पदचिन्हों का सर्वेक्षण किया गया। माँसाहारी प्राणियों के एन्काउंटर रेट के लिए कुल 4646.60 किलोमीटर की ट्रेल चली गई। बाघों की गणना हेतु कैमरा ट्रैप प्रणाली का उपयोग किया गया।
इस प्रणाली के अंतर्गत वन क्षेत्रों के मानचित्रों पर 2 2 किलोमीटर (4 वर्ग किलोमीटर) के गिडस् स्थापित किए गए तथा प्रत्येक ग्रिड में आमने-सामने जोड़ी में दो कैमरा ट्रैप स्थापित किए गए। इस कार्य हेतु कुल आठ संरक्षित क्षेत्रों के 9851.03 वर्ग किलो मीटर में कुल 2371 कैमरा ट्रैप स्थापित किए गए। इन स्थापित कैमरों द्वारा दर्ज किए गए फोटो का विश्लेषण करने पर प्रत्येक बाघ के शरीर की धारियों के आधार पर यूनीक आईडेंटिफिकेशन मार्क की पहचान की गई। उपरोक्त पद्धति का अनुसरण करते हुए बाघों की संख्या एवं न्यूनतम भ्रमण क्षेत्र का आंकलन किया गया।
इस टाइगर रिजर्व में शाकाहारी प्राणियों का घनत्व 108.2 प्रति वर्ग किलोमीटर दर्ज की गई। जिमसें से चीतल का घनत्व 26.3, सांबर 8.2, नीलगाय 0.5, जंगली सुअर 4.9, लंगूर 59.6, गौर 4.5, भेड़की 2. 5 प्रति वर्ग किलोमीटर पाई गई। कान्हा टाइगर टाइगर रिजर्व में कुल बायोमॉस 4094.7 किलोग्राम प्रति वर्ग किलोमीटर दर्ज किया गया, जिसमें से चीतल 789, सांबर 1230, नीलगाय 75, जंगली सुअर 196, लंगूर 417.0, गौर 1350, भिड़की 37.5 किलो ग्राम प्रतिवर्ग किलोमीटर बायोमॉस की उपलब्धता दर्ज की गई।
मांसाहारी प्राणियों के सर्वेक्षण हेतु कुल 4646.60 किमी ट्रेल चले गए जिसके दौरान प्रति कि.मी. में बाघों का 2.9919 पाया गया, इसी प्रकार तेंदुआ 0.8869, भालू 0.4339, सोनकुत्ता 0.0357, लकड़बग्घा 0.0026, सियार 0.1842 एवं भेडिय़ा 0.0041 प्रति कि.मी. दर्ज किया गया। कैमरा ट्रैप की पाई गई जानकारी अनुसार इस संरक्षित क्षेत्र में बाघों की कुल 1660 फोटोग्राफ्स दर्ज किए गए, जिसमें से 83 विशेष टाइगर पाए गए। प्राप्त बाघों की अनुमानित संख्या 86.4 दर्ज की गई एवं प्रति 100 वर्ग किलोमीटर मे बाघों का घनत्व 3.54 पाया गया।
उपरोक्त 83 बाघों का जीआईएस पद्धति द्वारा न्यूनतम भ्रमण क्षेत्र तैयार कर क्षेत्र के नक्शे पर दर्शाया गया हैं तथा सर्वाधिक न्यूनतम भ्रमण क्षेत्र दर्ज किया गया जो 135.9 वर्ग किलोमीटर है। कान्हा टाइगर रिजर्व में बाघों के भ्रमण क्षेत्र को देखते हुए ये सुझाव है कि टाइगर रिजर्व में चीतल के लिए है बिटेट विकसित किए जाने पर कदम उठाया जाएँ वर्तमान गणना के समय प्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व में इंडियन जाइंट स्क्वायरल की उपस्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त हुई हैै जो प्रदेश के वन्यप्राणी संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी है।
रिपोर्ट- @सैयद जावेद अली