मंडला : मंडला जिले के विश्वप्रसिद्ध कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में एक 7 वर्षीय वयस्क नर बाघ की मौत हो गई। इस बाघ के शिकार किये जाने की सम्भावना जताई जा रही है। मृत बाघ कान्हा टाइगर रिजर्व के खटिया रेंज के बफर ज़ोन मानेगांव क्षेत्र में मिला है। घटना की सूचना मिलते ही विभाग के आला अधिकारी व पशु चिकित्सक मौके पर पहुँच मामले की पड़ताल में जुट गए। इस मामले में खोजी कुत्ते की मदद भी ली जा रही है। बाघ का शव जंहा पाया गया वह रहवासी क्षेत्र है जबकि बाघ के चारों पैर के पंजे, मूंछ के बाल और पेट के एक हिस्से से चमड़ा गायब मिला है यही वजह है कि बाघ के शिकार की आशंका जताई जा रही है। इस घटना में अपराधी की जानकारी देने वाले कानाम गोपनीय रखाने के साथ रुपये 15000/- (पन्द्रह हजार ) इनाम की घोषणा की गई है।
बाघ के चारों पंजे गायब –
कान्हा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर संजय शुक्ला ने बताया कि शनिवार की शाम कान्हा टाईगर रिजर्व के अंतर्गत बफर क्षेत्र वन ग्राम मानेगांव के समीपस्थ वनक्षेत्र में एक बाघ के मृत होने की सूचना प्राप्त होने पर वन परिक्षेत्र अधिकारी खटिया एवं उनकी टीम तत्काल मौके पर पहुँची। मौके पर उन्होंने पाया कि मृत बाघ के चारों पैर कटे हुये थे। प्रथम दृष्टया इस अपराध में स्थानीय व्यक्तियों के शामिल का अनुमान होने पर प्रारंभिक जांच हेतु जबलपुर से डाॅग स्क्वायड बुलवाया गया। डाॅग स्क्वाड की मदद से मामले की जांच शुरू कर दी गई।
वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट्स ने किया पोस्ट मार्टम –
डाॅ ए.बी. श्रीवास्तव, संचालक, वन्यप्राणी फाॅरेन्सिक एवं स्वास्थ्य केन्द्र, जबलपुर एवं उनके सहयोगी डाॅ. अमोल करोड़े तथा कान्हा टाईगर रिजर्व के वन्यप्राणी चिकित्सक डाॅ. संदीप अग्रवाल की टीम ने मृत बाघ का शव परीक्षण किया। पोस्ट मार्टम के बाद पार्क के आला अधिकारियों व विशेषज्ञों की मौजूदगी में बाघ का अंतिम संस्कार कर दिया गया है। पार्क प्रबंधन इस पूरे मामले को लेकर कंफ्यूस्ड नज़र आ रहा है। उसका कहना है कि बाघ के पंजे, मूछ के बाल व पेट के कुछ हिस्से से चमड़ा गायब होने से बाघ के शिकार की सम्भावना जताई रही है। इस काम में उसे लोकल इन्वॉल्वमेंट भी नज़र आ रहा है।
शिकार को लेकर अटकले –
एक तरफ जहाँ प्रबंधन शिकार की आशंका जता रहा है तो वही दूसरी तरफ खुद ही इसमें शातिर अपराधियों का हाथ होने की संभावना से इनकार भी कर रहा है। प्रबंधन की दलील है कि मृत बाघ का शव स्थान वनग्राम मानेगांव की सीमा पर था जहां से विद्युत लाईन भी गुजरती है। अतः बाघ की मृत्यु विद्युत करेंट से होने की संभावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है। प्रबंधन की एक और दलील यह भी है कि चूंकि बाघ के समस्त दांत सुरक्षित थे अतः यह संभावना है कि यह कार्य किसी संगठित गिरोह एवं अपराधी का नहीं होगा। बहरहाल सच्चाई जो भी होगी वो जाँच और पोस्ट मार्टम रिपोर्ट आने के बाद सामने आ ही जाएगी लेकिन इस घटना ने कान्हा टाइगर रिज़र्व में वन्य प्राणियों की सुरक्षा को लेकर सवालियां निशान जरूर खड़े कर दिए है।
नहीं हुई प्रॉपर मॉनिटरिंग –
वाइल्ड लाइफ के जानकार बताते है कि टाइगर के मूवमेंट पर कड़ी नज़र राखी जाती है। यदि टाइगर पार्क के कोर एरिया के बहार निकल जाता है तो पार्क के अधिकारियों – कर्मचारियों का दायित्व और अधिक बढ़ जाता है। प्रबंधन इस बात की पूरी जानकारी रखता है कि टाइगर किस क्षेत्र में मूवमेंट कर रहा है। उस क्षेत्र में टाइगर की सुरक्षा को लेकर कोई खतरा तो नहीं है। खतरा होने की स्थिति में मोनिटरिंग और अधिक बढ़ दी जाती है। मानेगांव क्षेत्र में इस टाइगर का मूवमेंट करीब एक पखवाड़े से अधिक समय से था बावजूद उसके कोई एहतियाती उपाय और प्रोटोकॉल का पालन क्यों नहीं किया गया इसका जवाब भी पार्क प्रबंधन को देना होगा।
पन्ना में बाघों के पुनर्वास में है कान्हा का योगदान –
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के बाघों के कारण न केवल बाघ विहीन हो चुका पन्ना नेशनल पार्क एक बार फिर से आबाद हुआ है बल्कि कुछ वर्ष पूर्व इसी वजह से प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला था लेकिन अब कान्हा में ही बाघ के शिकार जैसी घटना अनेक सवालो को जन्म दे रही है। राष्ट्रीय उद्यान की सुरक्षा को लेकर सवाल इसलिए भी खड़े हो रहे है क्योंकि इसी माह वन्य प्राणी सुरक्षा सप्ताह के दौरान ही मध्यप्रदेश – छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के बफर जोन के ग्राम गढ़ी से तीन आरोपियों को टाईगर के नाखून, मूछ के बाल, चमड़ा व अन्य सामग्रियों के साथ गिरफ्तार किया था। इन दोनों वारदातों से इतना तो साफ़ है कि वन्य प्राणियों के लिए सुरक्षित समझ जाने वाला कान्हा भी अब शिकारियों की हिट लिस्ट में आ गया है। यदि समय रहते इनसे नहीं निपटा गया तो स्थिति खतरनाक हो सकती है। DEMO – pic
@सैयद जावेद अली