करीब 15-20 करोड़ रुपये के बजट वाली इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर ताबड़तोड़ कमाई की है। वहीं अब कातांरा, रॉकिंग स्टार यश (Yash) की फिल्म केजीएफ चैप्टर 2 (KGF Chapter 2) के कलेक्शन को भी मात देकर इतिहास रच
अक्सर ऐसा होत है जब कोई छोटे बजट वाली फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बड़ा कमाल दिखा जाती है। ऐसा ही कुछ हाल ही में अभिनेता व निर्देशक ऋषभ शेट्टी (Rishab Shetty) और सप्तमी गौड़ा (Sapthami Gowda) स्टारर ‘कांतारा’ (Kantara) के साथ देखने को मिला। करीब 15-20 करोड़ रुपये के बजट वाली इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर ताबड़तोड़ कमाई की है। वहीं अब कातांरा, रॉकिंग स्टार यश (Yash) की फिल्म केजीएफ चैप्टर 2 (KGF Chapter 2) के कलेक्शन को भी मात देकर इतिहास रचने के करीब है।
केजीएफ 2 को मात देगी कांतारा?
फिल्म केजीएफ 2 का नाम उन फिल्मों में शुमार है, जो इंडियन सिनेमा के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन में कमाल कर गई हैं। हालांकि अब कातांरा, केजीएफ 2 को कर्नाटक के कलेक्शन में मात दे सकती है। दरअसल केजीएफ 2 और कांतारा दोनों ही मूल रूप से कन्नड़ फिल्में हैं, जिन्हें बाकी भाषाओं में भी रिलीज किया गया था। Koimoi की रिपोर्ट के मुताबिक केजीएफ 2 ने कर्नाटक में 155 करोड़ रुपये की कमाई की थी, जबकि कांतारा की स्टेट में अभी तक 152.90 करोड़ रुपये की कमाई हो चुकी है। ऐसे में केजीएफ 2 के कर्नाटक कलेक्शन को मात देने के लिए कांतारा को सिर्फ 2.10 करोड़ रुपये का कलेक्शन और करना है।
क्या है कांतारा की कहानी
दक्षिण कन्नड़ के काल्पनिक गांव में स्थापित, ‘कांतारा’ एक विज़ुअल ट्रीट है, जो कंबाला और भूत कोला कला की पारंपरिक संस्कृति को जीवंत करती है। फ़िल्म की कहानी मानव और प्रकृति के संघर्ष पर आधारित है, जो कर्नाटक की तटीय संस्कृति और लोककथाओं में गहराई से निहित है। कंटारा की रिलीज पर बोलते हुए, निर्माता विजय किरागंदूर ने कहा, “कंटारा केजीएफ से एक अलग शैली में है। हम चाहते थे कि दुनिया हमारी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान देखे जिस पर हमें गर्व है। फिल्म पवित्र रीति-रिवाजों और परंपराओं, छिपे हुए खजाने और तटीय कर्नाटक के विशिष्ट बीहड़, आकर्षक परिदृश्य की पृष्ठभूमि के साथ पीढ़ीगत रहस्यों को दर्शाती है।’
केजीएफ से कैसे अलग है कांतारा
फिल्म कांतारा की सबसे खास बात ये है कि इसे भूत कोला परंपरा से जोड़कर दिखाया गया है। जब भी कोई फिल्म किसी परंपरा से जुड़ जाती है तो अपने आप ही इसके देखने वाले दर्शकों के बीच उसको लेकर रुचि बढ़ जाती है। केजीएफ सीरीज में अधिकतर एक्शन था, और हर किसी को एक्शन पसंद हो, ऐसा जरूरी नहीं। वहीं कुछ हिस्से मार्मिक थे। लेकिन कांतारा में वो सब कुछ है, जो इसे एक परफेक्ट फैमिली एंटरटेनर बनाती है। फिल्म आपको हंसाती भी है, रुलाती भी है और डराती भी है। कांतारा फिल्म का कैमरा वर्क और कलर पैलेट भी काबिल-ए-तारीफ है। केजीएफ में जहां एक ही कलर पैलेट के इर्द गिर्द पूरी फिल्म दिखाई गई थी तो यहां पर सीन्स की इंटेसिटी के हिसाब से कलर पैलेट बदलता है, जो विजुअली काफी इम्पेक्टफुल लगता है। कांतारा का एक और स्ट्रॉन्ग प्वाइट है इसकी कहानी और डायलॉग्स। फिल्म (हिंदी वर्जन) के डायलॉग्स को ऐसे दिखाया और लिखा गया कि जैसे आम देसी भाषा के बोलचाल शब्द है। ऐसे शब्द और डायलॉग्स जो हर दिन की जिंदगी में इस्तेमाल होते हैं। केजीएफ एक टिपिकिल हीरो फिल्म है, जहां कहीं न कहीं सभी को मालूम था कि जीतेगा तो हीरो ही, लेकिन कांतारा आपको आखिर तक बांधे रखती है और आप ये जानने के लिए उत्सुक रहते हैं कि आगे क्या होगा।