नई दिल्लीः भारत-पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरिडोर को लेकर अंतिम मसौदे पर सहमति न बनने के कारण गुरुद्वारा श्री करतापुर साहिब के दर्शनों के लिए रविवार को शुरू होने वाली ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया स्थगित कर दी गई है।
प्रत्येक श्रद्धालु से 20 अमरीकी डॉलर की फीस के कारण दोनों देशों के बीच करतारपुर कॉरिडोर के संचालन को लेकर गतिरोध बना हुआ है। भारत पाकिस्तान की इस शर्त का कड़ा विरोध कर रहा है। वहीं पाक फीस वसूलने पर अड़ा हुआ है।
भारत-पाकिस्तान अधिकारियों के बीच करतारपुर कॉरिडोर को लेकर तीन बैठकें हो चुकी हैं। अंतिम बैठक में पाकिस्तान ने प्रति श्रद्धालु 20 डॉलर फीस की शर्त रखी थी। भारतीय अधिकारियों ने इस शर्त का तुरंत विरोध किया था। भारत का तर्क था कि करतारपुर कॉरिडोर सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी द्वारा स्थापित गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के दर्शनों के लिए बनाया गया है। विश्व के किसी भी देश में धार्मिक कॉरिडोर पर एंट्री फीस वसूलने की प्रथा नहीं है लेकिन पाकिस्तान ने भारत के इस प्रस्ताव को मानने से इंकार कर दिया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आठ नवंबर को कॉरिडोर के उद्घाटन के लिए डेरा बाबा नानक पहुंच रहे है। पाक प्रधानमंत्री इमरान खान 9 नवंबर को अपनी तरफ कॉरिडोर का उद्घाटन करेंगे। वहीं मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का अपने सभी विधायकों, सांसदों और कुछ चुनिंदा अधिकारियों के साथ इसी कॉरिडोर से गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के दर्शनों का कार्यक्रम है।
इसी बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने घोषणा की है कि करतारपुर कॉरिडोर नौ नवंबर को दुनिया भर के सिखों के लिए खोल दिया जाएगा। कॉरिडोर का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। फेसबुक पोस्ट में इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान सिखों के लिए अपने दरवाजे खोलने जा रहा है। गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब दुनिया का सबसे बड़ा गुरुद्वारा होगा। उनके अनुसार कॉरिडोर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा। इससे कई नौकरियां पैदा होंगी।
वहीं शनिवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने घोषणा की थी कि पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नौ नवंबर को पाकिस्तान में होने वाले करतारपुर गलियारे के उद्घाटन समारोह में शामिल होने का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है। हालांकि, पूर्व प्रधानमंत्री एक आम सिख के रूप में वहां जाएंगे।