भारत की कविता चहल यहां जारी विश्व महिला मुक्केबाजी चैम्पियनशिप के क्वार्टर फाइनल में गुरुवार को हारकर टूर्नामेंट से बाहर हो गई। कविता को 81 प्लस किलोग्राम भारवर्ग के अंतिम-8 के मुकाबले में बेलारूस की कावालीवा कातसियार्ना ने 4-1 से करारी शिकस्त दी।
मैच की शुरुआत कविता ने अच्छी की और अपने से लंबे प्रतिद्वंद्वी को उसकी लंबाई का फायदा नहीं उठाने दिया। पहले राउंड के अंतिम 30 सेकेंड ने कविता ने कुछ बेहतरीन जैब भी लगाए।
दूसरे राउंड की शुरुआत में कविता फॉर्म में नजर आई, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया उनकी रफ्तार धीमी होती गई। इसका लाभ बेलारूस की खिलाड़ी ने उठाया और कई अंक अर्जित किए।
कावालीवा आखिरी राउंड में भारतीय खिलाड़ी पर हावी नजर आई और मुकाबला जीतकर सेमीफाइनल में प्रवेश कर लिया। इस जीत के साथ उन्होंने अपना पदक भी पक्का कर लिया है। मैच में चार जजों ने बेलारूस की खिलाड़ी के पक्ष में फैसला सुनाया जबकि ट्यूनीशियाके एक जज ने कविता के पक्ष में निर्णय लिया।
जानिये कविता चहल की जिन्दगी से जुडी बाते
कविता चहल ने अपने बच्चे के लिए मुक्केबाजी से दूरी बना ली थी लेकिन उनके पती सुधीर कुमार ने उन्हें हिम्मत दी। अब फिर से मुक्केबाजी की शुरुआत करने के बाद कविता ने अपना बेहतरीन प्रदर्शन दिखाते हुए अमेरिका के लॉस एंजलिस में चल रहे विश्व पुलिस खेलों में स्वर्ण पदक जीता ।
यहां मुक्केबाजी की फाइनल प्रतियोगिता में कविता ने लंदन मेट्रो पुलिस फॉर्स की हॉरगन को 3-0 से हराकर स्वर्ण पदक पर अपना कब्जा जमाया।
कविता अपनी कामयाबी के पीछे अपने पति का हाथ बताती हैं। उनका कहना है कि जब मैं हरियाणा पुलिस में अपनी दारोगा की नौकरी करके मुक्केबाजी की प्रैक्टिस के लिए जाती थी तो मेरे पति हमारे बच्चे का ध्यान रखते थे।
उनके होते हुए मुझे कभी भी कोई परेशानी नहीं हुई है। मुक्केबाजी कविता को विरासत में अपने पिता भूप सिंह से मिली जो कि सेना में मुक्केबाजी का खेल खेलते थे।
कविता ने द्रोणाचार्य अवॉर्ड विजेता जगदीश सिंह से मुक्केबाजी के गुण सीखे हैं। कविता जब 18 वर्ष की थीं, तब से ही वे मुक्केबाजी कर रही हैं। कविता ने 2007 में राष्ट्रीय मुक्केबाज प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता था।
राष्ट्रीय स्तर पर अब तक कविता 28 स्वर्ण, दो रजत और तीन कांस्य पदक जीत चुकी हैं। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कविता ने दो स्वर्ण, दो रजत और 7 कांस्य पदक जीते हैं। कविता के बेहतरीन प्रदर्शन के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा खेल का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार अर्जुना अवॉर्ड भी दिया जा चुका है।