नई दिल्ली – दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों में प्रवेश में मनमानी रोकने के लिए बुधवार को कड़ा फैसला करते हुए प्रबंधन कोटा को खत्म करने का एलान किया और इसका पालन नहीं करने वाले विद्यालयों की मान्यता रद्द करने की चेतावनी दी है। यह फैसला मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। निजी स्कूलों में बच्चों के एडमिशन में प्रबंधन का 75 प्रतिशत कोटा होता है।
यह फैसला बुधवार से ही लागू हो गया है और अब केवल आर्थिक रूप से कमजोर तबके के बच्चों के लिए सीटे आरक्षित होंगी। शेष सीटों पर खुली श्रेणी में एडमिशन किए जाएंगे। बैठक के बाद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने संवाददाताओं को इसकी जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने कहा स्कूलों को प्रवेश प्रक्रिया पारदर्शी बनानी होगी। इसके अलावा सरकार ने निजी स्कूलों द्वारा बच्चों के प्रवेश के लिए पहले बनाए गए 62 मानदंडों को भी खत्म कर दिया है।
इन मानदंडों में अभिभावकों से तरह-तरह के सवाल जिनमें शराब पीना, सिगरेट पीना और मांसाहारी भोजन खाना जैसे सवाल पूछा जाना शामिल थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार बच्चों के प्रवेश में हस्तक्षेप नहीं करेगी, लेकिन उनकी मनमानी भी नहीं चलने दी जाएगी, जो स्कूल आदेश नहीं मानेगा उसकी मान्यता रद्द किए जाने जैसे कड़े कदम उठाए जा सकते हैं।
स्टाफ के मामले में केवल उन्हीं बच्चों के प्रवेश पर गौर किया जाएगा जिनके अभिभावक स्कूल में काम करते हैैं। हालांकि सरकार ने इतने कड़े कदम के पीछे कोई वजह नहीं बताई है लेकिन माना यह जा रहा है कि सम-विषम योजना के लिए स्कूलों से बसें उपलब्ध कराने को कहा गया था, लेकिन अधिकांश स्कूलों ने बसें मुहैया नही कराईं थी। हो सकता है इससे नाराज होकर सरकार ने यह कदम उठाया है।