खंडवा : मध्यप्रदेश के अधिकारी कर्मचारी कितने सवेंदनशील हैं इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता हैं कि मंगलवार को जहां रतलाम में भूख से परेशान एक मासूम ने कीटनाशक पी लिया तो वहीं खंडवा में स्कूल में नन्हें बच्चों को दिया जाने वाला क्विंटलों दूध पॉवडर जला कर राख कर दिया गए।
हद तो तब हो गई जब कोई भी अधिकारी इस काम की जिम्मेदारी लेने के बजाए एक दूसरे के विभाग पर आरोप लगाते नजर आए।
एमपी अजब हैं ये तो आप ने सुना हैं पर इसी एमपी को सब से गजब भी कहा जाता हैं। यहाँ भूख से परेशान हो कर कोई मासूम कीटनाशक पी लेता हैं तो वहीं बच्चों को पोषण आहार के रूप में दिया जाने वाला साँची कंपनी का सैकड़ो किलों दूध पॉवडर आग के हवाले कर मासूमों की भूख से खिलवाड़ किया जाता हैं।
ऊपर से सितम ये कि सैकड़ो किलों दूध पॉवडर किसने और क्यों जलाया किसी को पता नहीं होता हैं। हद तो इस बात ही है जिस सरकारी भवन के शौचालय में इस दूध पॉवडर के एक्सपायर दूध के पैकेट मिलते हैं उस विभाग की प्रमुख को भी ये पता नहीं की यहाँ दूध पॉवडर के बैग्स कौन रख गया।
दूध पॉवडर के पैकेट बांटने और बच्चों को इसे पिलाने का जिम्मा महिला एवं बाल विकास और स्कूलों के बीआरसीसी विभाग के पास हैं।
महिला एवं बाल विकास अधिकारी ने तो इस मुद्दे पर कोई बात नहीं की लेकिन बीआरसीसी विभाग ने कहा की जो दूध पॉवडर के पैकेट जलाए गए है उनसे उनका कोई वास्ता नहीं हैं। क्यों कि उन्हें तो एक वर्ष पहले ही दूध पॉवडर के पैकेट बांटने की जिम्मेदारी मिली हैं। इस से पहले ये जवावदारी जनपत पंचायत के पास थी और ये पैकेट्स जनपत पंचायत के परिसर में ही जलाए गए हैं।
इधर जब जनपत पंचायत के कार्यपालन अधिकारी से बात करने की कोशिश की गई तो साहब ने फोन उठाने की जहमत भी नहीं समझी।
इस मामले में जब जिला कलेक्टर से बात कि गई तो उन्होंने कहा की उन्हें एक व्ह्ट्सऐप ग्रुप से जानकारी मिली हैं। अब इस मामले का पता कर दोषियों पर कार्यवाही की जायगी।
साहब जब कार्यवाही करेंगे तब करेंगे पर सवाल ये उठता हैं की आखिर जनता की कमाई के टेक्स से ख़रीदे इस पोषण आहार को किसने और क्यों आग लगाई। सवाल तो ये भी है की आखिर बच्चों की भूख का निवाला क्यों छीना गया।