खंडवा [ TNN ] गरीबों और असहाय लोगों के रात्रि विश्राम के लिए बनाए गए रैन बसेरे औचित्यहीन साबित हो रहे हैं। शहर में अलग-अलग क्षेत्रों में दो रैन बसेरे बने हैं। इसमें एक रैन बसेरा स्वयं सेवी संस्था को सौंप दिया गया है। वहीं दूसरा भवन बनने के बाद करीब दो साल से बंद पड़ा है।
तापमान में लगातार गिरावट के चलते ठंड बढ़ रही है। इससे सबसे अधिक परेशानी उन गरीब लोगों को हो रही है जो असहाय और मजबूर होकर फुटपाथ या फिर रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर सोते हैं। रात्रि में कई लोगों को रेलवे स्टेशन या फिर बस स्टैंड के आसपास ठिठुरते हुए देखा जा सकता है। ऐसे लोगों के रात्रि विश्राम के लिए शासन की ओर से जो व्यवस्थाएं की गई हैं उन्हें निगम प्रशासन की ओर से अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है। जिला अस्पताल में बने रैन बसेरे पर एक स्वयं सेवी संस्था ने कब्जा जमा रखा है।
हालांकि संस्था की ओर से दावा किया जाता है कि यहां प्रतिदिन गरीबों और असहाय लोगों को ठहरने की व्यवस्था की जाती है लेकिन हकीकत इससे अलग है। आश्चर्यजनक तो यह है कि जिला अस्पताल परिसर में रैन बसेरा है इसकी जानकारी जरूरतमंद लोगों को कम ही है। सार्वजनिक स्थलों पर किसी तरह का सूचना बोर्ड नहीं लगाया गया है ताकि असहाय लोग यहां तक पहुंच सकें।
शहर में एक रैन बसेरा जूनी इंदौर लाइन पर बनाया गया है। इस भवन के निर्माण को करीब दो साल हो चुके हैं। बनने के बाद से यह भवन नहीं खुला। वर्तमान स्थिति यह है कि इस भवन की खिड़कियों के कांच असामाजिक तत्वों ने तोड़ डाले हैं। निगम की ओर से इस रैन बसेरे के संचालन को लेकर किसी तरह के प्रयास अब तक नहीं किए गए। शासकीय राशि के उपयोग के बावजूद आमजन को इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है।
नियमानुसार नगर निगम को एक समिति का गठन कर इस रैन बसेरे का संचालन शुरू कराना था लेकिन इसे लेकर रुचि नहीं दिखाई गई। इस क्षेत्र में झुग्गी बस्ती क्षेत्र के लोग अधिक रहते हैं यदि इस रैन बसेरे का संचालन शुरू हो जाता है तो गरीब तबके के लोगों को बेहतर सुविधा मिल सकती है।