मुंबई- सोशल मीडिया पर इन दिनों सरेआम किडनियों की खरीद-फ़रोख़्त का मामला सामने आने से मेडिकल बिरादरी से लेकर कानून लागू कराने वाली एजेंसियां तक सकते में हैं! यह मामला तब प्रकाश में आया है जबकि मुंबई, अकोला, गुरुग्राम और गुजरात के आनंद जिले में जाने-माने अस्पतालों में किडनी रैकेट्स के भंडाफोड़ की खबरें आ रही हैं।
पुणे मिरर की एक ख़बर के अनुसार, महाराष्ट्र की स्टेट ह्यूमन आॅर्गन ट्रांसप्लांट यूनिट को हाल ही यह पता लगा कि फेसबुक पर ‘आई वान्ट टू सेल माय किडनी’ नाम से पेज चल रहे हैं।
इन पेजों को देखकर यूनिट का माथा ठनका और उसने इसे गंभीरता से लिया है। इस संबंध में यूनिट सायबर क्राइम सेल से संबंध स्थापित किए हुए है ताकि इन पेजों के असल मकसद तक पहुंचा जा सके।
महाराष्ट्र की स्टेट ह्यूमन आॅर्गन ट्रांसप्लांट यूनिट की मुखिया और सहायक निदेशक गौरी राठौड़ ने कहा कि जब उन्हें ऐसे फेसबुक पेजों के बारे में पता लगा तो वह आश्चर्यचकित हो गईं! उन्होंने कहा कि इसे पूरी गंभीरता से लिया जा रहा है और इस मामले में जरा भी हीलाहवाली नहीं बरती जाएगी क्योंकि मामला किडनी को दान करने से जुड़ा है।
इन पेजों को देखकर साफ है कि ज्यादातर लोग ऐसे फेसबुक पेज पर किडनी दान करने के संदेश इसलिए पोस्ट कर रहे हैं क्योंकि वे अभी भारत के आॅर्गन डोनेशन कानून से अनजान हैं। साथ ही इसका एक दूसरा पहलू यह भी है कि किडनी रैकेट संचालित करने वाले गिरोहों से जुड़े लोग किडनी दान करने वालों को लालच देकर इससे बड़े स्तर पर पैसा कमाने की साजिश रच रहे हैं।
राठौड़ के मुताबिक, उन्होंने देखा कि लोग भ्रामक विज्ञापनों के झांसे में आकर किडनी दान करने सरीखे पोस्ट डाल रहे हैं। इन लोगों को शायद यह नहीं मालूम कि खुलेआम किडनी दान करने की पेशकश करना अपराध की श्रेणी में आता है। इसके लिए जेल तक हो सकती है। सोशल मीडिया को किडनी रैकेट चलाने वाले गिरोह गलत हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं, जो कि काफी घातक है। ऐसी हरकतों पर भविष्य में नियंत्रण बनाए रखने के लिए सायबर सेल की मदद ली जा रही है और मामले की तह तक जाने की कोशिश जारी है।