बेंगलुरू- बीडीएसएम (Bondage, Dominance, Sadism, Masochism), अगर शॉर्ट में कहें तो दर्द से कामुकता का रिश्ता। जी हां अपने पार्टनर के हाथों को बांधकर शरीर को पूरे नियंत्रण में ले आना और फिर जो चाहे करना। मारना कभी चांटों से, कभी चाबुक से, कभी चमड़े की बेल्ट से, यहां तक की पॉलिथीन से मुंह को ऐसे दबाना कि सांस ना आए। और उस दर्द का मजा लेना। ऐसा आमतौर पर विदेशों में सुनने या देखने को मिलता है। लेकिन एक ताजा मामला आईटी हब कहे जाने वाले बेंगलुरू में सामने आया है।
अंग्रेजी अखबार बेंगलुरू मिरर में छपी एक खबर के मुताबिक ‘बेंगलुरु में BDSM समुदाय के काफी लोग हैं।’
बेंगलुरू में है किंक कम्यूनिटी
36 साल के राहुल (बदला हुआ नाम) हॉस्पीटलिटी सेक्टर में काम करते हैं। राहुल कामोत्तेजक गतिविधियों से जुड़ी किंक कम्यूनिटी का हिस्सा हैं, लेकिन उनकी पत्नी को इसकी जानकारी नहीं है। भारत के किंक कम्यूनिटी में राहुल एक जाना-पहचाना और लोकप्रिय चेहरा हैं। वह आधिकारिक बेंगलुरु किंकी की शुरुआत करने वाले लोगों में भी शामिल हैं। बढ़ रही है लोगों की दिलचस्पी बेंगलुरू मिरर से बातचीत में राहुल ने बताया कि काफी तादाद में लोग हमें नियमित तौर पर संपर्क करते हैं।’
किंक असल में कामुकता का एक ‘मजेदार’ तरीका है। इसमें सेक्स के सामान्य तरीकों से अलग कुछ नया रोमांच जोड़कर आनंद लेने की कोशिश की जाती है। पार्टनर की सेक्स कल्पनाओं को पूरा करने के लिए अलग-अलग तरीके इख्तियार करने वाले शख्स को ‘किंकस्टर’ कहा जाता है। महिला और पुरुष दोनों बन सकते हैं किंकस्टर महिला और पुरुष, दोनों में से कोई भी किंकस्टर की भूमिका निभा सकता है।
हो सकता है आपने किसी फिल्म या विडियो में कामोत्तेजक कपड़े पहनकर और अपने पार्टनर के हाथ बांधकर उन्हें रिझाने के लिए चाबुक का इस्तेमाल करते हुए या फिर पार्टनर के हाथों में हथकड़ी लगाकर उसके सामने कामुक नृत्य करते हुए किसी शख्स को देखा हो। यह BDSM का ही हिस्सा है।
डॉक्टर, इंजीनियर और बिजनेसमैन हैं शामिल
राहुल ने अखबार को बताया कि डॉक्टर, इंजिनियर, कारोबारी, छात्र और यहां तक कि शिक्षक भी हमारे सत्र में शामिल होते हैं। हमारी सबसे बड़ी परेशानी यह है कि लोग सोचते हैं BDSM अप्राकृतिक और विकृत तरीका है। ऐसा नहीं है, लेकिन इतना जरूर है कि इसमें पार्टनर की सहमति जरूरी है। साथ ही, सुरक्षा का भी ध्यान रखे जाने की जरूरत होती है।
500 से ज्यादा लोगों होते हैं शरीक
अनुमान के मुताबिक, केवल बेंगलुरु शहर में ही 500 से ज्यादा लोग किंक कम्यूनिटी की मासिक बैठकों में शरीक होते हैं। इसकी अनाधिकारिक शुरुआत साल 2007 में हुई थी। इन बैठकों में कम्यूनिटी के लोग साथ मिलते हैं और अपने किंक तरीकों पर बात करते हैं। बाकायदा होती है ट्रेनिंग हाल ही में 26 दिसंबर को इस तरह के वर्कशॉप का आयोजन किया गया था, जिसमें 25 लोग शामिल हुए थे। इसमें शरीक हुए एक शख्स ने बताया, ‘इसमें 20 से 40 साल की उम्र तक के लोग शामिल हुए थे। BDSM को लेकर एक प्रेज़ेंटेशन दी गई और दोपहर के खाने के बाद हुए सत्र में कुछ तरीकों का डेमो दिखाया गया। कुछ नसीहतें भी दी गईं कि चाबुक का इस्तेमाल करते समय किन बातों का ख्याल रखना चाहिए।
750 रुपए रजिस्ट्रेशन फी
इस वर्कशॉप में शामिल होने के लिए 750 रुपये देकर पंजीकरण भी कराना था, जिसमें नाश्ता, दोपहर का खाना और स्नैक्स का खर्च भी शामिल था।’ बेंगलुरु में इस तरह का पहला वर्कशॉप साल 2014 में आयोजित हुआ था और उसमें करीब 12 लोग आए थे। आमतौर पर ऐसे वर्कशॉप महीने के आखिरी शनिवार या फिर महीने के आखिरी हफ्ते में पड़ने वाली किसी छुट्टी के दिन आयोजित किए जाते हैं। [एजेंसी]