समाजवादी पार्टी ने निकाय चुनाव के के लिए मेयर पद के लिए सात प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। अयोध्या से उन्होंने एक किन्नर को प्रत्याशी बनाया है।
सपा के मेयर पद के प्रत्याशी ये रहे-
मेरठ नगर निगम- दीपू मनेठिया वाल्मीकि
बरेली- आई एस तोमर
मुरादाबाद- यूसुफ अंसारी
अलीगढ़- मुजाहिद किदवई
झांसी- राहुल सक्सेना
अयोध्या-फैजाबाद- गुलशन बिंदु
गोरखपुर- राहुल गुप्ता
इसके साथ ही सात नगर निगमों के लिए समाजवादी पार्टी के मेयर पद के उम्मीदवारों की घोषणा हो गई है। इनकी घोषणा सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने की।
समाजवादी पार्टी ने अयोध्या नगर पालिका चुनाव में गुलशन बिंदू को मेयर पद का उम्मीदवार बनाया है। अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी ने रविवार (29 अक्टूबर) को प्रदेश के 16 नगर निगमों से सात के मेयर पद के उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की। पहली लिस्ट में शामिल में शामिल गुलशन किन्नर हैं।
पहली सूची में दो मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। समाजवादी पार्टी ने मुरादाबाद से यूसुफ अंसारी को और अलीगढ़ से मुजाहिर किदवई को मेयर उम्मीदवार बनाया है। सूची जारी करते हुए समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि पार्टी ने सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व दिया है।
सपा प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार में महिलाओं और व्यापारियों का सबसे ज्यादा शोषण हो रहा है इसलिए उन्होंने सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व इन दोनों वर्गों को दिया है। शुक्रवार (27 अक्टूबर) को राज्य चुनाव आयोग ने स्थानीय निकायों के चुनाव की घोषणा की।
ये चुनाव तीन चरणों में कराए जाएंगे। चुनाव के लिए मतदान 22 नवंबर, 26 नवंबर और 29 नवंबर को होगा। वोटों की गिनती एक दिसंबर को होगी। इन चुनाव में करीब 3.32 करोड़ मतदाता वोट देंगे। यूपी में 16 नगर निगमों, 198 नगर परिषदों और 438 नगर पंचायतों के लिए चुनाव होंगे।
राज्य चुनाव आयोग ने मेयर चुनाव की खर्च की सीमा पिछले20 लाख कर दी है। जिन नगरपालिकाओं में 80 या उससे ज्यादा वार्ड हैं उनमें मेर के लिए खर्च की सीमा 25 लाख रुपये है।
पहले मेयर उम्मीदवार 12.50 लाख रुपये की प्रचार अभियान में खर्च कर सकते थे। नगर परिषद के लिए खर्च की सीमा चेयरमैन पद के लिए आठ लाख रुपये और सदस्यों के लिए छह लाख रुपये रखी गयी है। नगर पंचायत अध्यक्ष के लिए खर्च की सीमा 1.5 लाख रुपये और सदस्यों के लिए 30 हजार रुपये रखी गयी है।
फरवरी-मार्च में हुए विधान सभा चुनाव के बाद पहली बार यूपी में चुनाव होंगे। ऐसे में इन चुनाव को योगी आदित्यनाथ सरकार के कामकाज पर जनता के रिपोर्ट कार्ड के तौर पर भी देखा जाएगा। विधान सभा चुनाव में बीजेपी नीत गठबंधन ने दो-तिहाई से अधिक सीटें जीती थीं।
साल 2014 में हुए लोक सभा चुनाव में भी एनडीए को राज्य की कुल 80 लोक सभा सीटों में से 73 पर जीत मिली थी। वहीं अगले नवंबर में होने वाले हिमाचर प्रदेश चुनाव और दिसंबर में होने वाला गुजरात विधान सभा चुनाव में भी यूपी के स्थानीय निकायों के चुनाव की गूंज सुनाई दे सकती है।