किशोर कुमार एक ऐसे कलाकार थे जो बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वो ना केवल गायकी और अदाकारी के बादशाह थे बल्कि संगीतकार, लेखक, निर्माता और बतौर निर्देशक इंडस्ट्री में खूब नाम कमाया। किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त 1929 को मध्य प्रदेश के खंडवा में हुआ था।
किशोर कुमार का असली नाम आभास कुमार गांगुली था। धनी परिवार में जन्मे किशोर कुमार का बचपन से एक ही सपना था कि वो अपने बड़े भाई अशोक कुमार से ज्यादा पैसे कमाना चाहते थे, साथ ही केएल सहगल जैसा गाना चाहते थे। किशोर चार भाईयों अशोक कुमार, सती देवी, अनूप कुमार में सबसे छोटे थे।
किशोर कुमार 70 और 80 के दशक के सबसे महंगे सिंगर थे। उन्होंने राजेश खन्ना से लेकर अमिताभ बच्चन तक के बड़े-बड़े कलाकारों को अपनी आवाज दी।
माना जाता है राजेश खन्ना को सुपरस्टार बनाने में किशोर कुमार की आवाज का बड़ा योगदान है। किशोर कुमार ने राजेश खन्ना की 91 फिल्मों में अपनी आवाज दी।
किशोर कुमार भले ही मुंबई में रहते थे लेकिन उनका मन हमेशा अपने जन्म स्थान खंडवा में रमा रहा। किशोर कुमार ने एक इंटरव्यू में कहा था कि ‘कौन मूर्ख इस शहर में रहना चाहता है। यहां हर कोई दूसरे का इस्तेमाल करना चाहता है। कोई दोस्त नहीं है। किसी पर भरोसा नहीं कर सकते हैं। मैं इन सबसे दूर चला जाऊंगा। अपने शहर खंडवा में। इस बदसूरत शहर में भला कौन रहे।’
किशोर कुमार की बातों से ही बता चलता था कि वो इतनी शोहरत और कामयाबी के बावजूद कभी मुंबई को अपना शहर नहीं मान सके।
साल 1986 में किशोर कुमार को दिल का दौरा पड़ा था जिसके बाद उन्होंने फिल्मों में गाना कम कर दिया और खंडवा लौट जाना चाहते थे लेकिन अपने आखिरी वक्त में वो वहां नहीं जा पाए। 13 अक्टूबर 1987 को दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई। कहते हैं मौत से पहले उन्हें आभास हो गया था कि जल्दी ही वो दुनिया को अलविदा कहने वाले हैं।
किशोर कुमार के बेटे अमित कुमार ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘उस दिन उन्होंने सुमित (अमित का सौतेला भाई) को स्वीमिंग के लिए जाने से रोक दिया था और वो इस बात को लेकर भी काफी चिंतित थे कि कनाडा से मेरी फ्लाइट सही वक्त पर लैंड करेगी या नहीं। उन्हें हार्ट अटैक संबंधी कुछ लक्षण तो पहले से ही दिख रहे थे लेकिन एक दिन उन्होंने मजाक किया कि अगर हमने डॉक्टर को बुलाया तो उन्हें सच में हार्ट अटैक आ जाएगा…और अगले ही पल उन्हें सच में अटैक आ गया।’
बता दें कि किशोर कुमार के निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार खंडवा में ही हुआ।