लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आज यहां लोकभवन में सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:-
शासकीय विभागों में ई-टेंडरिंग
ई-प्रोक्योरमेंट प्रणाली लागू किये जाने का फैसला मंत्रिपरिषद ने शासकीय विभागों में ई-टेंडरिंग तथा ई-प्रोक्योरमेंट प्रणाली लागू किये जाने का फैसला लिया है। यह निर्णय वर्तमान सरकार के लोक-कल्याण संकल्प पत्र 2017 के ‘सभी सरकारी काॅन्ट्रैक्ट के लिए ई-टेंडरिंग व्यवस्था लागू की जायेगी‘ के वायदे के अनुरूप लिया गया है।
इस निर्णय के तहत प्रदेश के सभी शासकीय विभागों, सार्वजनिक उपक्रमों, विकास प्राधिकरणों, नगर निगमों, स्वायत्त शासी संस्थाओं, निकायों इत्यादि में एन.आई.सी. के ई-प्रोक्योरमेंट प्लेटफार्म का प्रयोग करते हुये सभी निर्माण कार्यो, सेवाओं, जाॅब वर्क, सामग्री क्रय के लिए ई-प्रोक्योरमेंट प्रणाली को लागू किया जाएगा। निर्माण कार्यो, सेवाओं, जाॅब वर्क, सामग्री क्रय के लिए निविदा प्रक्रिया मैनुअल विधि से संपादित की जाती है, उन निविदाओं को ई-प्रोक्योरमेंट एवं ई-टेंडरिंग के माध्यम से कराया जाना प्रत्येक विभाग के लिए अनिवार्य होगा।
संबंधित विभागों, उपक्रमों इत्यादि द्वारा ई-टेंडरिंग तथा ई-प्रोक्योरमेंट प्रणाली लागू करने हेतु आवश्यक हार्डवेयर, प्रशिक्षण, साॅफ्टवेयर कस्टमाईजेशन, डिजिटल सिग्नेचर आदि व्यवस्थायंे तीन माह में पूर्ण करायी जायेगी। निविदा शुल्क (टेण्डर फीस) के भुगतान तथा धरोहर राशि (ई.एम.डी) के भुगतान एवं वापसी की प्रक्रिया भी भौतिक प्रारूप में न करके आॅनलाइन व्यवस्था के माध्यम से की जायेगी।
ई-प्रोक्योरमेंट एवं ई-टेंडरिंग प्रणाली के अन्तर्गत विभिन्न कार्यवाहियां जैसे ई-रजिस्ट्रेशन, ई-कोडिंग, टेण्डर क्रियेशन, टेण्डर प्रकाशन, टेण्डर परचेज, सबमिशन, बिड-ओपनिंग आदि समस्त कार्य इलेक्ट्रानिक माध्यम से किये जायेंगे। सर्वाधिक प्रतिस्पर्धात्मक दरें प्राप्त करने के लिए अलग-अलग ई-प्रोक्योरमेंट प्लेटफार्म का प्रयोग करने के स्थान पर सभी विभागों द्वारा एन.आई.सी. द्वारा विकसित ई-प्रोक्योरमेंट प्लेटफार्म पर ई-प्रोक्योरमेंट किया जायेगा। ई-प्रोक्योरमेंट के बिड्स एवं डाटा की गोपनीयता, सुरक्षा तथा अनुरक्षण का दायित्व एन.आई.सी. का होगा। ई-प्रोक्योरमेंट प्रणाली में नियमों एवं प्रक्रियाओं में कोई परिवर्तन नहीं किया जा रहा है, अपितु वर्तमान नियमों एवं प्रक्रियाओं के अन्तर्गत ही केवल इलेक्ट्रानिक मीडिया का उपयोग करते हुए टेण्डरिंग की कार्यवाही की जायेगी। स्टोर-परचेज रूल्स, टेण्डर रूल्स एवं तत्सम्बंधी अन्य नियम उक्त श्रेणियों की ई-टेंडरिंग में यथावत् लागू रहेंगे एवं इनमें, प्रचलित पेपर ट्राजेक्शन के स्थान पर मात्र इलेक्ट्रानिक माध्यम का प्रयोग करते हुए ई-टेंडरिंग/ई-प्रोक्योरमेंट की जायेगी।
आईटी एवं इलेक्ट्रानिक विभाग, उत्तर प्रदेश शासन के अधीनस्थ यूपी इलेक्ट्रानिक्स कारपोरेशन लिमिटेड, पूर्ववत् प्रदेश में ई-टेंडरिंग/ई-प्रोक्योरमेंट लागू करने हेतु नोडल एजेन्सी होगी तथा ई-टेंडरिंग करने वाले विभागों/उपक्रमों इत्यादि को एन.आई.सी. लखनऊ तथा यूपीएलसी द्वारा आवश्यकतानुसार हैण्डहोल्डिंग सहायता प्रदान की जायेगी। ई-प्रोक्योरमेंट/ई-टंेडरिंग में प्रतिभाग करने वाले ठेकेदारों और विभागीय अधिकारियों एवं टेण्डर समिति के सदस्यों को डिजिटल सिग्नेचर प्राप्त करने होंगे। ये डिजिटल सिग्नेचर भारत सरकार द्वारा अधिकृत किसी भी संस्था से लिये जा सकते हंै। मंत्रिपरिषद द्वारा इस संबध में अन्य निर्णय लिए जाने हेतु मुख्यमंत्री को अधिकृत किया गया है।
ज्ञातव्य है कि इस व्यवस्था के लागू होने से टेण्डर एवं ठेकेदारी प्रक्रिया में माफिया राज समाप्त होगा तथा कोई भी व्यक्ति कहीं से भी भयमुक्त होकर निविदा प्रक्रिया में आवेदन कर सकेगा। प्रतिस्पर्धा बढ़ने से विभागों को वस्तुओं एवं सेवाओं के क्रय के लिए न्यूनतम तथा विक्रय के लिए अधिकतम दरें प्राप्त होंगी। इससे इस प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ने से अधिकारियों पर से अवांछित दबाव समाप्त होगा। मैनुअल टेण्डर के तहत इनडेंट के प्रारम्भ से लेकर तुलनात्मक परिक्षण तक लगने वाले तीन माह के समय में कमी आयेगी तथा यह प्रक्रिया एक माह में पूरी हो सकेगी। टेण्डर प्रक्रिया के असफल प्रतिभागियों को स्वतः सूचना उनके ई-मेल पर मिल जायेगी। टेण्डर से संबंधित सभी प्रत्रावलियां ई-टेण्डर डाटा बेस पर सुरक्षित रहती है। इससे पांच-दस वर्षो के बाद भी टेण्डर से संबंधित किसी अभिलेख को देखा जा सकेगा।
गोरखपुर फर्टिलाइजर प्लांट कोे पुनर्जीवित करने के लिए हिन्दुस्तान उवर्रक एवं रसायन लिमिटेड को भूमि के अन्तरण हेतु स्टाम्प शुल्क में छूट के प्रस्ताव को मंजूरी
मंत्रिपरिषद ने गोरखपुर फर्टिलाइजर प्लांट कोे पुनर्जीवित करने के लिए फर्टिलाइजर कारपोरेशन आॅफ इण्डिया लिमिटेड (एफ.सी.आई.एल.) से हिन्दुस्तान उवर्रक एवं रसायन लिमिटेड को भूमि के अन्तरण के लीज विलेख हेतु अनुमानित स्टाम्प शुल्क 210 करोड़ रूपये की छूट के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि हिन्दुस्तान उवर्रक और रसायन लिमिटेड, एनटीपीसी, कोल इंडिया लिमिटेड तथा इंडियन आॅयल कारपोरेशन का संयुक्त उपक्रम है। भारत सरकार द्वारा दिनांक 13 जुलाई, 2016 को इस संयुक्त उपक्रम के द्वारा गोरखपुर स्थित उवर्रक प्लांट को पुनर्जीवित किये जाने का प्रस्ताव अनुमोदित किया गया है।
इस उवर्रक प्लांट को पुनर्जीवित करने के लिए 6500 करोड़ रूपये का निवेश होना प्रस्तावित है। इस निवेश से सम्पूर्ण क्षेत्र में आर्थिक विकास और अतिरिक्त निवेश होगा। उवर्रक प्लांट के पुनर्जीवित होने से बड़ी संख्या में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन होगा। जिससे क्षेत्र के स्थानीय निवासियों को विकास के अवसर प्राप्त होंगे। प्लांट के उत्पादन आरम्भ करने से उवर्रक आपूर्ति में सुगमता आयेगी जो इस क्षेत्र के किसानों के लिये लाभदायक सिद्ध होगी। उवर्रक उत्पादन से आपूर्ति में वृद्वि होने से देश में उवर्रक आयात में कमी आयेगी और विदेशी मुद्रा भण्डार की बचत होगी।
उ0प्र0 जिला खनिज फाउण्डेशन न्यास
मंत्रिपरिषद ने खनन संक्रिया से प्रभावित व्यक्तियों एवं क्षेत्रों के विकास के लिए जनपदों में स्थापित जिला खनिज फाउण्डेशन न्यास हेतु उत्तर प्रदेश जिला खनिज फाउण्डेशन न्यास नियमावली, 2017 को प्रख्यापित करने की अनुमति प्रदान कर दी है।
इसके तहत जिला खनिज फाउण्डेशन की निधि के 60 प्रतिशत फण्ड का उपयोग प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना के तहत उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्र यथा-पेय जल आपूर्ति, पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण उपाय, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, महिला एवं बाल कल्याण, स्वच्छता, कौशल विकास पर खर्च किया जाएगा। इसके अलावा 40 प्रतिशत अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों यथा-भौतिक संरक्षण, सिंचाई आदि पर व्यय किया जाएगा। जिला खनिज निधि में पट्टा धारक द्वारा जमा की जाने वाली धनराशि राॅयल्टी के अतिरिक्त होगी और राॅयल्टी के एक तिहाई से अधिक नहीं होगी। न्यास की निधि में प्राप्त होने वाली धनराशि वाणिज्यिक राष्ट्रीयकृत बैंक में रखी जाएगी, जिसका संचालन सम्बन्धित खान अधिकारी व प्रबन्ध समिति द्वारा नामित सदस्य के संयुक्त हस्ताक्षर से किया जाएगा।
ज्ञातव्य है कि जिला खनिज फाउण्डेशन की स्थापना 25 अप्रैल, 2017 को अधिसूचना के माध्यम से की गयी है। इस फाउण्डेशन की संरचना एवं क्रिया-कलाप हेतु उत्तर प्रदेश जिला खनिज फाउण्डेशन न्यास नियमावली, 2017 का प्रख्यापन किया जा रहा है। नियमावली के अनुसार फाउण्डेशन की निधि में मुख्य खनिज के प्रत्येक पट्टा धारक द्वारा खनिज की निकासी के सापेक्ष देय राॅयल्टी के ऐसे प्रतिशत की धनराशि, जिसका निर्धारण भारत सरकार द्वारा किया जाएगा एवं जो राॅयल्टी के अतिरिक्त होगा, जमा की जाएगी। इसी प्रकार उप खनिज के पट्टा धारकों द्वारा खनिज की निकासी के सापेक्ष देय राॅयल्टी के 10 प्रतिशत की धनराशि या ऐसी धनराशि, जो राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित की जाएगी, जिला खनिज फाउण्डेशन की निधि में जमा होगी।
उल्लेखनीय है कि खान मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जिला खनिज फाउण्डेशन की निधि के उपयोग सम्बन्धी निर्देश ‘प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना’ में दिए गए हैं।
‘उ0प्र0 माल और सेवा कर विधेयक, 2017’ का प्रस्ताव
प्रदेश में जी0एस0टी0 प्रणाली लागू किए जाने के उद्देश्य से मंत्रिपरिषद ने ‘उत्तर प्रदेश माल और सेवा कर विधेयक, 2017’ के प्रारूप का अनुमोदन करते हुए विधान मण्डल में विधेयक को पुरःस्थापित किए जाने व इसका पारण कराए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
24 जनवरी को उत्तर प्रदेश दिवस के रूप में मनाने का निर्णय
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आज यहां लोक भवन में सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में 24 जनवरी को उत्तर प्रदेश दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया।
प्रदेश की जिन महान विभूतियों ने देश की आजादी में योगदान दिया है, उत्तर प्रदेश दिवस के अवसर पर उन्हें प्रचारित-प्रसारित किया जाएगा। साथ ही, प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर एवं विविधता को भी प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा। नई पीढ़ी को प्रदेश के विकास एवं परिवेश से जोड़ने के लिए विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। यह भी निर्णय लिया गया है कि राज्य के बाहर अन्य प्रान्तों में वहां रहने वाले प्रवासी प्रदेशवासियों के बीच भी उत्तर प्रदेश दिवस सम्बन्धी कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिससे उनकी प्रतिबद्धता उत्तर प्रदेश के प्रति बढ़ सके।
उत्तर प्रदेश दिवस के आयोजन हेतु मंत्रिपरिषद की एक समिति गठित की जाएगी, जो 01 माह में दिवस आयोजन की कार्ययोजना को अंतिम स्वरूप प्रदान करेगी। उत्तर प्रदेश दिवस के कार्यक्रमों को मुख्यतः सूचना, संस्कृति तथा पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित किया जाएगा, जिसका समन्वय सूचना विभाग द्वारा किया जाएगा। इस आयोजन में ग्राम्य विकास, नगर विकास, आवास एवं शहरी नियोजन तथा औद्योगिक विकास विभाग सहित अन्य विभागों की सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी।
ज्ञातव्य है कि प्रदेश का नाम पूर्व में यूनाइटेड प्राॅविन्सेंस था, जिसे गवर्नमेंट आॅफ इण्डिया एक्ट, 1935 के तहत 24 जनवरी, 1950 को परिवर्तित कर उत्तर प्रदेश कर दिया गया था, जो गजट आॅफ इण्डिया एक्स्ट्राआॅर्डिनरी में दिनांक 24 जनवरी, 1950 को प्रकाशित हुआ।
समस्त स्थानांतरण 30 जून तक पूर्ण कर लिए जाएंगे
आज यहां लोक भवन में सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में स्थानांतरण सत्र 2017-18 के लिए सरकारी अधिकारियों/कर्मचारियों हेतु वार्षिक स्थानांतरण नीति को अनुमोदित किया गया। इसके तहत व्यवस्था दी गई है कि शासन, विभागाध्यक्ष, मण्डल एवं जिला स्तर के समस्त स्थानांतरण 30 जून, 2017 तक पूर्ण कर लिए जाएंगे। स्थानांतरण करने हेतु अवधि के निर्धारण के लिए 31 मार्च, 2017 को कट आॅफ डेट निर्धारित की गई है।
नई स्थानांतरण नीति के अनुसार समूह ‘क’ एवं ‘ख’ के ऐसे अधिकारियों के स्थानांतरण किए जा सकेंगे, जो जनपद में 03 वर्ष एवं मण्डल में 07 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण कर चुके हैं। समूह ‘ख’ के अधिकारियों के स्थानांतरण विभागाध्यक्षों द्वारा किए जाएंगे। स्थानांतरण नीति के प्रावधानों से आच्छादित होने वाले प्रकरणों में 20 प्रतिशत की सीमा तक स्थानांतरण किए जा सकेंगे। समूह ‘ग’ के कार्मिकों का प्रत्येक 03 वर्ष के उपरान्त पटल परिवर्तन करने के प्रावधान किए गए हैं। दिव्यांगजन को स्थानांतरण नीति से मुक्त रखा गया है।
विभागीय आवश्यकता के दृष्टिगत स्थानांतरण नीति में विभागीय मंत्री के माध्यम से मुख्यमंत्री का अनुमोदन प्राप्त कर विचलन किए जाने का प्रावधान भी किया गया है। जनहित एवं प्रशासनिक दृष्टिकोण से मुख्यमंत्री द्वारा कभी भी किसी भी कार्मिक को स्थानांतरित किए जाने का आदेश दिया जा सकता है। 02 वर्ष में सेवानिवृत्त होने वाले समूह ‘ग’ के कार्मिकों को उनके गृह जनपद एवं समूह ‘क’ तथा ‘ख’ के कार्मिकों को उनके गृह जनपद को छोड़ते हुए इच्छित जनपद में तैनात करने पर विचार किया जा सकेगा। स्थानांतरण नीति में संशोधन की कार्रवाई मुख्यमंत्री से अनुमोदन प्राप्त कर किया जा सकेगा।
स्थानांतरण नीति में अन्य मार्गदर्शक सिद्धांतों के तहत स्पष्ट किया गया है कि संदिग्ध सत्यनिष्ठा वाले कार्मिकों की तैनाती संवेदनशील पदों पर कदापि न की जाए। मंदित बच्चों के माता-पिता की तैनाती अधिकृत सरकारी चिकित्सक के प्रमाण-पत्र के आधार पर विकल्प प्राप्त करके ऐसे स्थान पर की जा सकेगी, जहां चिकित्सा की समुचित व्यवस्था उपलब्ध हो। समूह ‘क’ के अधिकारियों को उनके गृह मण्डल में तैनात नहीं किया जाएगा। सरकारी सेवकों के मान्यता प्राप्त सेवा संघों के अध्यक्ष/सचिव, जिनमें जिला शाखाओं के अध्यक्ष एवं सचिव भी सम्मिलित हैं, के स्थानांतरण उनके द्वारा संगठन में पद धारित करने की तिथि से 02 वर्ष तक नहीं किए जाएंगे। यदि स्थानांतरण किया जाना अपरिहार्य हो तो स्थानांतरण हेतु प्राधिकृत अधिकारियों से एक स्तर उच्च अधिकारी का पूर्वानुमोदन प्राप्त किया जाएगा। जिला शाखाओं के पदाधिकारियों के स्थानांतरण प्रकरणों पर जिला अधिकारी की पूर्वानुमति प्राप्त की जाएगी।
@शाश्वत तिवारी