खंडवा : आप ने रामायण में देखा होगा रावण का पुत्र मेघनाथ भगवान श्री राम के खिलाफ युद्ध कर राक्षस सेना का साथ दिया था। जिसके चलते वाह युद्ध में श्री राम के भाई लक्षमण के हाथों मारा जाता हैं। भारत में दशहरा के अवसर पर रावण और उसके पुत्र मेघनाद का पुतला जलाया जाता हैं। पर भारत में एक वर्ग ऐसा भी है जो मेघनाद को अपना इष्ट देव मान कर उसकी पूजा करता हैं। जी हां मेघनाथ की पूजा ! मध्यप्रदेश के खंडवा में गोंड आदिवासी मेघनाथ को भगवान मान कर उसकी पूजा करते हैं।
खंडवा के आदिवासी ब्लॉक खालवा के कई ग्रामों में रावण के पुत्र मेघनाथ की पूजा की जाती हैं। यहाँ रहने वाले गोंड जाति के आदिवासी मेघनाद को अपना देवता मान हर वर्ष उसे प्रशन्न करने के लिए मेले का योजन करते है। गोंड आदिवासियों मानना है कि उनके पूर्वज रंगपंचमी के कुछ दिन बाद भगवान मेघनाद को खुश करने और अपनी मान-मन्नतें पूरी होने पर बलि चढ़ाने के लिए पूजा की जाती हैं।
मन्नत पूरी होने पर दी जाती हैं बलि
शार्मलाल गोंड ने बताया कि मेघनाद बाबा अदिवासियों के महान देवता हैं उन्हें प्रषन्न करने के लिए मेघबाबा को मुर्गे या बकरे की बलि दी जाती हैं शर्मालाल के अनुसार हर वर्ष यह पर्व होली के बाद पड़ने वाली रंगपंचमी के 9 दिन बाद बाबा मेघनाद की पूजा कर उन्हें याद किया जाता हैं।
पुरे भारत में सिर्फ गोंड ही करते है मेघनाद की पूजा
स्थानीय गोंड समाज के अनुयाईयों के मुताबिक मेघनाद की पूजा भारत में सिर्फ गोंड प्रजाति के लोग ही करते है। मध्यप्रदेश में खंडवा ,बुरहानपुर,बैतूल,झाबुआ ,अलीराजपुर ,डिंडोरी अदि स्थानों पर आदिवासीयों की सांख्य ज्यादा है। खास कर खंडवा के खालवा क्षेत्र में गोंड जाति के लोग अधिक संख्या में हैं ऐसे में यहाँ के लोग मेघनाद के पर्व को बहुत ही खास तरीके से मानते हैं।
@सुमित दूधे