भगवान विष्णु का श्रीकृष्ण अवतार प्रेम स्वरूप माना जाता है। यह अवतार विष्णु ने द्वापरयुग में लिया था। श्रीकृष्ण अवतार में विष्णु जी ने जहां गोपियों संग रास रचाया वहीं अपनी सुंदरता बढ़ाने के लिए वे मोर पंख सिर पर लगाते थे, बांसुरी बजाते थे, माखन-मिश्री खाते थे और वैजयंती माला पहनते थे।
इस तरह उन्हें ये 5 चीजें बहुत प्रिय थीं। यदि कोई भी भक्त इन पांच वस्तुओं को श्रीकृष्ण की मूर्ति के सामने अर्पित करता है। उसके घर, परिवार और व्यवसाय हमेशा दिन रात प्रगति करता है।
श्रीकृष्ण को बांसुरी प्रिय है। इसके तीन कारण है पहला यह कि यह एकदम सीधी होती है। दूसरा कारण इस वाद्य यंत्र में किसी तरह की गांठ नहीं होती। और तीसरी यह बहुत मधुर स्वर में बजती है। यानी इंसान को जिंदगी में सरल रहना चाहिए। और मन में किसी के प्रति दुर्भाव नहीं रखना चाहिए और हमेशा मीठे बोलना चाहिए।
भगवान मोरपंख सिर पर धारण करते है। मोर पंख सम्मोहन का प्रतीक है। इसका आशय है कि मोर मुकुट का गहरा रंग दु:ख और कठिनाइयों, हल्का रंग सुख-शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। कृष्ण को माखन मिश्री बहुत ही प्रिय है। मिश्री का एक महत्वपूर्ण गुण यह है कि जब इसे माखन में मिलाया जाता है, तो उसकी मिठास माखन के
कण-कण में घुल जाती है। मिश्री युक्त माखन जीवन और व्यवहार में प्रेम को अपनाने का संदेश देता है। यह बताता है कि प्रेम में किसी प्रकार से घुल मिल जाना चाहिए।
भगवान के गले में वैजयंती माला है, जो कमल के बीजों से बनी हैं। दरअसल, कमल के बीज सख्त होते हैं। कभी टूटते नहीं, सड़ते नहीं, हमेशा चमकदार बने रहते हैं। इसका तात्पर्य है, जब तक जीवन है, तब तक ऐसे हमेशा प्रसन्न रहो।