32.1 C
Indore
Saturday, November 2, 2024

राजनीति में युवाओं की कमी लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी

वर्तमान समय चिंताजनक स्थिति को दर्शाता है जहाँ युवाओं का राजनीति में भाग गिरता जा रहा है | आज हमारी संसद में 35 वर्ष से कम उम्र के मात्र 20% नेता ही है और उनमे से 70 से 90 प्रतिशत केवल पारिवारिक संबंधों द्वारा ही राजनीति में आये हैं | हार्दिक पटेल और कन्हैया कुमार जैसे युवा सक्रिय राजनीति में बहुत कम हिस्सा लेते हैं |

एक देश का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि वह कितना युवा है। 15-24 वर्ष के बीच के सभी युवा, आमतौर पर कॉलेज जाने वाले छात्र होते हैं। उनके करियर विकल्प में इंजीनियर, डॉक्टर, शिक्षक, खेल, रक्षा और कुछ उद्यमी शामिल हैं। विशेष रूप से भारत के संदर्भ में, राजनीति को कैरियर विकल्प के रूप में बहुत कम लिया जाता हैं। इस प्रकार दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को परिभाषित करने और नेतृत्व करने के लिए राजनीति में युवा प्रतिभाशाली दिमागों की भारी कमी है। यह स्थान उन लोगों द्वारा लिया गया है जिनके पास आपराधिक आरोप, निरक्षर धन और बाहुबल हैं, जो सुपर पावर नेशन की लीग का हिस्सा बनने के भारत के दृष्टिकोण को खतरे में डाल रहे हैं।

वर्तमान समय में युवा और उनके परिवार भूमंडलीकरण की घटनाओं के कारण निजी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की नौकरी से अधिक संतुष्ट हैं। हार्दिक पटेल और कन्हैया कुमार जैसे युवा सक्रिय राजनीति में बहुत कम प्रतिशत हिस्सा लेते हैं, हालांकि सरकार की ओर से इन मामलों में बहुत कम प्रतिक्रिया हुई। सरकार को कॉलेज की राजनीति को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित करना चाहिए और छात्र संघों को पहचानना चाहिए, ताकि छात्र बाद के चरणों में राजनीति की सक्रिय भागीदारी कर सकें।

‘चम्पारण सत्याग्रह’ इस बात का उदाहरण है की युवा किस प्रकार देश की राजनीति को बदल सकते हैं | इस सत्याग्रह में गाँधी जी के आह्वाहन पर ‘बाबू राजेंद्र प्रसाद’ जैसे युवा सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में उभरे| गाँधी जी ने युवाओं को प्रमुखता के साथ स्वंतंत्र आन्दोलन से जोड़ा जिसके परिणाम स्वरुप ‘सरदार वल्लभ भाई पटेल’, ‘जवाहर लाल नेहरु’, ‘सरोजिनी नायडू’, आदि जैसे महान नेता भारत को प्राप्त हुए | वहीँ युवा भगत सिंह की दूरदर्शी क्रांतिकारिता और समाजवादी उद्देश्य आज भी देश के युवाओं हेतु प्रेरणा स्रोत है |

मध्ययुगीन काल और औपनिवेशिक युग के दौरान युवाओं के पास राजनीति में प्रत्यक्ष हिस्सा लेने के लिए कम विकल्प थे, इसके बावजूद उस समय ऐसे युवा राजनीति में आगे बढे जो आगे चलकर महान नेता बने लेकिन स्वतंत्रता के बाद भारत के संविधान ने मानदंड निर्धारित किए, उन्हें भारतीय नागरिक होना चाहिए और एमएलए और एमपी के लिए न्यूनतम आयु 25 वर्ष, ग्राम पंचायत सरपंच के लिए 21 वर्ष होनी चाहिए। इस प्रकार एक बार उनकी शिक्षा पूरी होने के बाद वे सीधे राजनीति में भाग ले सकते हैं।

राजनीति में भी बदलाव लाना जरुरी है जिससे इसमें जुझारू व पढाई में अव्वल युवाओं का समावेश भी संभव हो | कॉलेज राजनीति में अपराधीकरण को रोकना होगा तथा अनुचित व्यय पर नियंत्रण करना होगा | कॉलेज की राजनीति में राजनैतिक दलों का हस्तछेप सीमित करना होगा तथा विद्यार्थियों का राजनैतिक लाभों हेतु लामबंदीकरण रोकना होगा |

युवाओं के राजनैतिक विकास के लिए स्वायत्त व स्वतंत्र कॉलेज राजनीति के साथ साथ बचपन से ही आदर्श नेता के गुण स्थापित करने होंगे, इसमें स्कूलों द्वारा विचार विमर्श तथा तर्क वितर्क की क्षमता का विकास शामिल होना चाहिए | बच्चों को शिक्षा द्वारा अपनी आस-पास की समस्याओं का विश्लेषण करने की योग्यता देनी होगी | युवाओं में राजनीतिक कौशल विकास हेतु पंचायतों व नगर पालिकाओं को बड़ी भूमिका निभानी होगी| इस स्तर पर प्रशिक्षण द्वारा युवाओं को भविष्य की राजनीति हेतु तैयार किया जा सकता है |

कानूनी मानदंडों के अलावा, राजनीति में युवाओं की भागीदारी से संबंधित युवा मामलों पर संसदीय समिति उन पहलुओं पर गौर करे जो युवाओं को करियर विकल्प के रूप में राजनीति करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। ‘मन की बात ’जैसी सरकारी पहलें युवाओं को जोड़ने और देश के सामने आने वाली समस्याओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए गुंजाइश प्रदान करती हैं और युवाओं को खुले में शौच और भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए ‘स्वच्छ भारत’, विस्सल ब्लोअर जैसे समाधान का हिस्सा बनाया जा सकता है। अन्ना के लोकपाल आंदोलन, दिल्ली सामूहिक बलात्कार उत्पीड़न, समान रूप से युवाओं में राजनीतिक जागरूकता पैदा करते हैं।

हालांकि, इन सभी के बावजूद, वर्तमान युवाओं का मानना है कि राजनीति उनके लिए नहीं है। यह बड़े पैमाने पर वर्तमान राजनीति की छवि के कारण है – लगातार भ्रष्टाचार जैसे 2 जी, कोयला घोटाले; संसदीय कार्यवाही में धन, चुनावों में धन और बाहुबल का उपयोग, गठबंधन सरकारों का लगातार पतन, सत्ता का लालच, राजनीति और गिरफ्तारी का अनैतिक खेल – ये सभी युवाओं को सोच की राजनीति से डरते हैं और उन्हें दूर रखते हैं, यहां तक कि माता-पिता भी इस विकल्प के लिए आगे नहीं आते हैं। अपने बच्चों को राजनीति में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना उनके लिए खतरे की घंटी है। पर वर्तमान समय चिंताजनक स्तिथि को दर्शाता है जहाँ युवाओं का राजनीति में भाग गिरता जा रहा है | आज हमारी संसद में 35 वर्ष से कम उम्र के मात्र 20% नेता ही है और उनमे से 70 से 90 प्रतिशत केवल पारिवारिक संबंधों द्वारा ही राजनीति में आये हैं |

युवा भागीदारी सकारात्मक बदलाव ला सकती है – वे युवा और अभिनव हैं जो आमतौर पर प्रकृति में कड़ी मेहनत करते हैं, उन्हें मेक इन इंडिया से संबंधित नीति निर्माण, बच्चों के खिलाफ अपराध, भ्रष्टाचार, महिला सशक्तिकरण आदि में आमंत्रित किया जा सकता है। वे स्टार्टअप इंडिया और स्वच्छ भारत अभियान के ब्रांड एंबेसडर हो सकते हैं।। वर्तमान समय में युवाओं को नशीली दवाओं, मानव तस्करी जैसी बुरी शक्तियों से अलग किया जा रहा है, वे इन समस्याओं का समाधान हो सकते हैं।

वर्तमान में भारत के युवाओं और बच्चों में कुल जनसंख्या का लगभग 55% हिस्सा है। भारत युवा राष्ट्र है और दुनिया में सबसे तेजी से विकास करने वाला राष्ट्र है। जनसांख्यिकी लाभांश का लाभ उठाने के लिए हमें समावेशी विकास की आवश्यकता है – युवा राजनीति एक ऐसा अछूता क्षेत्र है, जिस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए और नीति निर्माण में योगदान करने के लिए उन्हें नया करना चाहिए। सबसे बड़ी युवा आबादी वाले राष्ट्र को वर्तमान गतिशील नेतृत्व के बाद राष्ट्रीय भवन के नेताओं में विराम नहीं देना चाहिए। पूर्व ब्रितानी प्रधानमंत्री के उपर्युक्त विचार दर्शाते हैं की युवावस्था वह समय है जब व्यक्ति के पास महान परिवर्तनों को लाने की शक्ति होती है |

युवा उस वायु के सामान है जो अपने वेग से समाज , राजनीति और दुनिया को बदलने की क्षमता रखती है | युवाओं में वह ओज होता है जो उन्हें नए विचारों के प्रति सजग रखता है और उनके पास अतीत से सीखने की काबिलियत भी होती है | जब युवा राजनीति में आते हैं तो नव परिवर्तन की धारा बहती है और नयी सोच का निर्माण होता है | जब युवा पुनः राजनीति में लौटेंगे तो निश्चित ही देश विकास के मार्ग पर चल निकलेगा | युवाओं से यही आशा है की वे दुष्यंत कुमार के वाक्य अपने ह्रदय में उतार कर राजनीति में प्रवेश करेंगे और नव देश का निर्माण करेंगे |

“सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं ,
मेरी कोशिश है की ये सूरत बदलनी चाहिए
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग , लेकिन आग जलनी चाहिये”|

प्रियंका सौरभ
रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार,

Related Articles

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...

वीडियो: गुजरात की तबलीगी जमात के चार लोगों की नर्मदा में डूबने से मौत, 3 के शव बरामद, रेस्क्यू जारी

जानकारी के अनुसार गुजरात के पालनपुर से आए तबलीगी जमात के 11 लोगों में से 4 लोगों की डूबने से मौत हुई है।...

अदाणी मामले पर प्रदर्शन कर रहा विपक्ष,संसद परिसर में धरने पर बैठे राहुल-सोनिया

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण भी पहले की तरह धुलने की कगार पर है। एक तरफ सत्ता पक्ष राहुल गांधी...

शिंदे सरकार को झटका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘दखलअंदाजी’ बताकर खारिज किया फैसला

मुंबई :सहकारी बैंक में भर्ती पर शिंदे सरकार को कड़ी फटकार लगी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे...

सीएम शिंदे को लिखा पत्र, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को लेकर कहा – अंधविश्वास फैलाने वाले व्यक्ति का राज्य में कोई स्थान नहीं

बागेश्वर धाम के कथावाचक पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का महाराष्ट्र में दो दिवसीय कथा वाचन कार्यक्रम आयोजित होना है, लेकिन इसके पहले ही उनके...

IND vs SL Live Streaming: भारत-श्रीलंका के बीच तीसरा टी20 आज

IND vs SL Live Streaming भारत और श्रीलंका के बीच आज तीन टी20 इंटरनेशनल मैचों की सीरीज का तीसरा व अंतिम मुकाबला खेला जाएगा।...

पिनाराई विजयन सरकार पर फूटा त्रिशूर कैथोलिक चर्च का गुस्सा, कहा- “नए केरल का सपना सिर्फ सपना रह जाएगा”

केरल के कैथोलिक चर्च त्रिशूर सूबा ने केरल सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि उनके फैसले जनता के लिए सिर्फ मुश्कीलें खड़ी...

अभद्र टिप्पणी पर सिद्धारमैया की सफाई, कहा- ‘मेरा इरादा CM बोम्मई का अपमान करना नहीं था’

Karnataka News कर्नाटक में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि सीएम मुझे तगारू (भेड़) और हुली (बाघ की तरह) कहते हैं...

Stay Connected

5,577FansLike
13,774,980FollowersFollow
136,000SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...

वीडियो: गुजरात की तबलीगी जमात के चार लोगों की नर्मदा में डूबने से मौत, 3 के शव बरामद, रेस्क्यू जारी

जानकारी के अनुसार गुजरात के पालनपुर से आए तबलीगी जमात के 11 लोगों में से 4 लोगों की डूबने से मौत हुई है।...

अदाणी मामले पर प्रदर्शन कर रहा विपक्ष,संसद परिसर में धरने पर बैठे राहुल-सोनिया

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण भी पहले की तरह धुलने की कगार पर है। एक तरफ सत्ता पक्ष राहुल गांधी...

शिंदे सरकार को झटका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘दखलअंदाजी’ बताकर खारिज किया फैसला

मुंबई :सहकारी बैंक में भर्ती पर शिंदे सरकार को कड़ी फटकार लगी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे...