चारा घोटाले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि इस मामले में लालू यादव पर अलग -अलग धाराओं में अलग-अलग मुकदमे चलाए जाएं। कोर्इट के इस आदेश के बाद अब राजद प्रमुख को विशेष सीबीआई कोर्ट से फिर से जमानत लेनी पड़ेगी।
जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ ने सीबीआई को इस मामले में देरी करने व सुप्रीम कोर्ट में अपील बेहद देर से पेश करने पर कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने सीबीआई निदेशक को आदेश दिया कि वह इस मामले में देरी करने वालों की जिम्मेदारी तय करें। कोर्ट ने कहा कि यह देरी असहनीय है इससे सीबीआई के मकसद पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं। इस मामले में सीबीआई ने अपने मैनुअल के अनुसार काम नहीं किया जो निंदनीय है। कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट का आदेश रद्द करते हुए कहा कि सीबीआई पांच महीने में ट्रायल को पूरा करे।
बता दें कि झारखंड हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ षडयंत्र का चार्ज रद्द कर दिया था। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि लालू के खिलाफ आईपीसी की धारा 201 और धारा 511 के तहत मामला चलेगा, लेकिन षडयंत्र का चार्ज रद्द कर दिया था।
चारा घोटाला 1996 में सामने आया था। मामला बिहार पशुपालन विभाग में से करोड़ों रुपये के घपले से जुड़़ा है। उस वक्त लालू यादव राज्य के मुख्यमंत्री थे। चारा घोटाले में कुल 950 करोड़ रुपये के गबन किए जाने का आरोप है । इस मामले में कुल 56 लोगों के खिलाफ आरोप तय किए गए। लालू यादव पर 6 अलग-अलग मामले चल रहे हैं, एक में उन्हें 5 साल की सजा हो चुकी है।
क्या है चारा घोटाला ?
लालू के सीएम रहते 1000 करोड़ रुपयों की गलत निकासी के मामले से जुड़ा है। यह घोटाला 1990 से लेकर 1997 के बीच बिहार के पशुपालन विभाग में अलग-अलग जिलों में हुआ था। उस वक्त लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे और पशुपालन विभाग भी उनकी देखरेख में था।
घोटाले के आरोपियों में बिहार के दो पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्र और लालूप्रसाद यादव सहित विद्यासागर निषाद, आर के राना, घ्रुव भगत, आईएए अफसर महेश प्रसाद और बेक जूलियस आदि नाम शामिल हैं। इसके अलावा कोर्ट ने मामले में लालू यादव को दोषी करार दिया है।