झाँसी : आईपीएस गरिमा सिंह को हाल ही में झांसी जिले की कमान सौंपी गई है। महज 25 की उम्र में आईपीएस बनीं गरिमा की यह पहली पोस्टिंग है।बात उन दिनों की है जब गरिमा दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहीं थीं।
गरिमा बताती हैं, “डीयू में पढाई के दौरान मैं एक मॉल से रात में दोस्तों के साथ होस्टल लौट रही थी। रात ज्यादा हो चुकी थी। तभी चेकिंग के लिए तैनात पुलिसवाले ने हमारा रिक्शा रोक लिया। रात में कहां से आ रही हो, कहां जाना है जैसे सवाल पूछने के बाद पुलिस वाले ने हमसे 100 रुपए मांगे। जब हमने मना किया तो मेरे पापा को फोन कर रात में घूमने की शिकायत करने की धमकी देने लगा। थोड़ी बहस के बाद पुलिस वाले ने उन्हें जाने तो दिया, लेकिन इस वाक्ये ने गरिमा के मन में पुलिस के प्रति नेगेटिविटी भर दी।
आईपीएस गरिमा सिंह बलिया जिले के गांव कथौली की रहने वाली हैं। गरिमा का सपना हमेशा से आईपीएस बनने का नहीं था, वो एमबीबीएस की पढ़ाई कर डॉक्टर बनना चाहती थीं। गरिमा बताती हैं, “मेरे पापा ओमकार नाथ सिंह पेशे से इंजीनियर हैं। वे चाहते थे कि मैं सिविल सर्विसेज में जाऊं। सिर्फ उनके कहने पर मैंने तैयारी शुरू की। गरिमा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफन कॉलेज से बीए और एमए (हिस्ट्री) की पढ़ाई की है।
उन्होंने पहली बार 2012 में सिविल सर्विसेज का एग्जाम दिया था और तभी उनका सिलेक्शन आईपीएस में हो गया।आप परेशान लोगों से बेहद सम्मान-जनक तरीके से पेश आकर उनकी परेशानी सुनना उनकी लोकप्रियता की प्रमुख वजह है। उनकी कुशलता को देखते हुए उन्हें लखनऊ के बहुचर्चित मोहनलाल गंज रेप केस की जांच टीम में शामिल किया गया था।
उन्होंने इस केस पर रात-रात भर जागकर काम किया। इसके अलावा उन्होंने महिला हेल्पलाइन 1090 को स्थापित करने में भी योगदान दिया।लखनऊ में 2 साल तक अंडरट्रेनिंग एएसपी के तौर पर रहीं गरिमा झांसी में एसपी सिटी के रूप में लोकप्रिय हो रही हैं। रिपोर्ट@ अरुण सिंह चन्देल