38.4 C
Indore
Thursday, April 25, 2024

राहुल गांधी कांग्रेस को यूं मझधार में मत छोड़ो

पंडित जवाहर लाल नेहरू ने विकास की जो बुनियाद रखी, इंदिरा गांधी ने उसे परवान चढ़ाया. राजीव गांधी ने देश के युवाओं को आगे बढ़ने की राह दिखाई. उन्होंने युवाओं के लिए जो ख़्वाब संजोये, उन्हें साकार करने में सोनिया गांधी ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. कांग्रेस ने देश को दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाया. देश को मज़बूत करने वाली कांग्रेस को आज ख़ुद को मज़बूत करने की ज़रूरत है.


लोकसभा में हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने पद से इस्तीफ़ा देने का ऐलान करते हुए साफ़ कह दिया कि पार्टी अपना नया अध्यक्ष चुन ले. कार्यकर्ताओं और पार्टी नेताओं के लाख मनाने पर भी वे अपना इस्तीफ़ा वापस लेने को तैयार नहीं हैं. राहुल गांधी के इस फ़ैसले से पार्टी कार्यकर्ताओं में मायूसी छा गई है.

पहले लोकसभा हार ने उन्हें मायूस किया, फिर राहुल गांधी के इस्तीफ़े ने उन्हें दुख पहुंचाया. हालांकि उन्होंने कहा है कि वे नये पार्टी अध्यक्ष की पूरी मदद करेंगे. दरअसल, राहुल गांधी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के बिछाये जाल में फंस गए हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी ने साज़िशन कांग्रेस पर परिवारवाद के आरोप लगाए और राहुल गांधी ने इसे गंभीरता से लेते हुए पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी ने जो चाहा, राहुल गांधी ने वही किया.

राहुल गांधी को न तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को कोई सफ़ाई देनी है और न भारतीय जनता पार्टी को कोई जवाब देना है. उनकी ज़िम्मेदारी कांग्रेस के प्रति है और इस देश की अवाम के प्रति है, जो उनसे उम्मीद करती है कि वे उन्हें एक बेहतर नेतृत्व देंगे, ख़ुशनुमा जीने लायक़ माहौल देंगे.

जीत और हार, धूप और छांव की तरह हुआ करती हैं. वक़्त कभी एक जैसा नहीं रहता. देश पर हुकूमत करने वाली कांग्रेस बेशक आज गर्दिश में है, लेकिन इसके बावजूद वह देश की माटी में रची-बसी है. देश का मिज़ाज हमेशा कांग्रेस के साथ रहा है और आगे भी रहेगा. कांग्रेस जनमानस की पार्टी रही है. कांग्रेस का अपना एक गौरवशाली इतिहास रहा है.

इस देश की माटी उन कांग्रेस नेताओं की ऋणी है, जिन्होंने अपने ख़ून से इस धरती को सींचा है. देश की आज़ादी में महात्मा गांधी के योगदान को भला कौन भुला पाएगा. देश को आज़ाद कराने के लिए उन्होंने अपनी पूरी ज़िन्दगी समर्पित कर दी. पंडित जवाहरलाल नेहरू, श्रीमती इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी ने देश के लिए, जनता के लिए बहुत कुछ किया.

पंडित जवाहर लाल नेहरू ने विकास की जो बुनियाद रखी, इंदिरा गांधी ने उसे परवान चढ़ाया. राजीव गांधी ने देश के युवाओं को आगे बढ़ने की राह दिखाई. उन्होंने युवाओं के लिए जो ख़्वाब संजोये, उन्हें साकार करने में सोनिया गांधी ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. कांग्रेस ने देश को दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाया. देश को मज़बूत करने वाली कांग्रेस को आज ख़ुद को मज़बूत करने की ज़रूरत है.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को हार को भुलाकर अन्याय के ख़िलाफ़ संघर्ष को जारी रखना करना चाहिए. सड़क से सदन तक पार्टी को नये सिरे से खड़ा करने का मौक़ा उनके पास है. राहुल गांधी किसी ख़ास वर्ग के नेता न होकर जन नेता हैं. वे कहते हैं, “जब भी मैं किसी देशवासी से मिलता हूं. मुझे सिर्फ़ उसकी भारतीयता दिखाई देती है. मेरे लिए उसकी यही पहचान है. अपने देशवासियों के बीच न मुझे धर्म, ना वर्ग, ना कोई और अंतर दिखता है.” राहुल गांधी के कंधों पर दोहरी ज़िम्मेदारी है. पहले उन्हें पार्टी को मज़बूत बनाना है और फिर खोई हुई हुकूमत को हासिल करना है. उन्हें चाहिए कि वे देश भर के सभी राज्यों में युवा नेतृत्व ख़ड़ा करें.

सियासत में आज जो हालात हैं, वे कल भी रहेंगे, ऐसा ज़रूरी नहीं है. जनता को ऐसी सरकार चाहिए, जो जनहित की बात करे, जनहित का काम करे. बिना किसी भेदभाव के सभी तबक़ों को साथ लेकर चले. कांग्रेस ने जनहित में बहुत काम किए हैं. ये अलग बात है कि वे अपने जन हितैषी कार्यों का प्रचार नहीं कर पाई, उनसे कोई फ़ायदा नहीं उठा पाई, जबकि भारतीय जनता पार्टी लोक लुभावन नारे देकर सत्ता तक पहुंच गई. बाद में ख़ुद प्रधानमंत्री ने अपनी पार्टी के चुनावी वादों को’ जुमला’ क़रार दे दिया.

आज देश को राहुल गांधी जैसे नेता की ज़रूरत है, जो छल और फ़रेब की राजनीति नहीं करते. वे कहते हैं, ”मैं गांधीजी की सोच से राजनीति करता हूं. अगर कोई मुझसे कहे कि आप झूठ बोल कर राजनीति करो, तो मैं यह नहीं कर सकता. मेरे अंदर ये है ही नहीं. इससे मुझे नुक़सान भी होता है. ‘मैं झूठे वादे नहीं करता.” क़ाबिले-ग़ौर है कि एक सर्वे में विश्वसनीयता के मामले में दुनिया के बड़े नेताओं में राहुल गांधी को तीसरा दर्जा मिला हैं, यानी दुनिया भी उनकी विश्वसनीयता का लोहा मानती है. ऐसे ईमानदार नेता को जनता भला क्यों न सर-आंखों में बिठाएगी.

बेशक लोकसभा चुनाव में हार से पार्टी को झटका लगा है. लेकिन आज पार्टी हारी है, तो कल जीत भी सकती है. कांग्रेस को इस हार से सबक़ लेकर उन कारणों को दूर करना होगा, जिनकी वजह से पार्टी आज इस हालत तक पहुंची है.

कांग्रेस को मज़बूत करने के लिए पार्टी की आंतरिक कलह को दूर करना होगा. पार्टी की अंदरूनी ख़ेमेबाज़ी को भी ख़त्म करने की ज़ररूरत है. मार्च 2017 में पार्टी के वरिष्ठ नेता सज्जन वर्मा ने तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने कुछ सियासी परिवारों पर कांग्रेस को ख़त्म करने की एवज में सुपारी लेने का आरोप लगाया था. उन्होंने पार्टी अध्यक्ष को फ़ौरन सख़्त कार्रवाई करने की सलाह देते हुए लिखा था- “इंदिरा गांधी ने राजा-महाराजाओं का प्रभाव ख़त्म करने के लिए रियासतें ख़त्म कर दी थीं, तब कुछ लोगों ने ख़ूब शोर मचाया था.

अब वही लोग राजनीतिक शोर मचा रहे हैं. ऐसे लोगों का प्रभाव ख़त्म करने के लिए कठोर निर्णय लेने होंगे. तभी हमारी पार्टी खड़ी हो पाएगी.” हालांकि सज्जन कुमार का पत्र सार्वजनिक होने के बाद इस पर बवाल भी मचा था. इसमें कोई दो राय नहीं है कि अगर सज्जन कुमार की बातों को गंभीरता से लिया जाता और उन पर अमल किया जाता, तो शायद आज हालात कुछ और होते.

बहरहाल, इस बात में कोई दो राय नहीं कि कांग्रेस की नैया डुबोने में इसके खेवनहारों ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. राहुल गांधी भी अब इस बात को बाख़ूबी समझ चुके हैं. हाल में हुई कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में उन्होंने ख़ुद कहा है कि पार्टी के कई नेताओं ने पार्टी से आगे अपने बेटों को रखा और उन्हें टिकट दिलाने के लिए दबाव बनाया. हालांकि राहुल गांधी ने किसी का नाम नहीं किया, लेकिन कई वरिष्ठ नेताओं के बेटे और बेटियों को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. इनमें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत, कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष मोहन देव की बेटी सुष्मिता देव भी शामिल हैं. दरअसल कांग्रेस नेताओं के निजी स्वार्थ ने पार्टी को बहुत नुक़सान पहुंचाया है.

राहुल गांधी को इसी को मद्देनज़र रखते हुए आगामी रणनीति बनानी होगी. पार्टी के नेताओं ने कांग्रेस को अपनी जागीर समझ लिया और सत्ता के मद में चूर वे कार्यकर्ताओं से भी दूर होते गए. नतीजतन, जनमानस ने कांग्रेस को सबक़ सिखाने की ठान ली और उसे सत्ता से बदख़ल कर दिया. वोटों के बिखराव और सही रणनीति की कमी की वजह से भी कांग्रेस को ज़्यादा नुक़सान हुआ. पिछले लोकसभा चुनाव में जहां कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं, वहीं इस बार के आम चुनाव में कांग्रेस महज़ 52 सीटें ही जीत पाई है. मेहनत और सही रणनीति से यह संख्या 300 से 400 तक भी पहुंच सकती है.
Rahul Gandhi road show Varanasi

राहुल गांधी को चाहिए कि वे ऐसे नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाएं, जो पार्टी के बीच रहकर पार्टी को कमज़ोर करने का काम कर रहे हैं. राहुल गांधी को चाहिए कि वे कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाएं, क्योंकि कार्यकर्ता किसी भी पार्टी की रीढ़ होते हैं. जब तक रीढ़ मज़बूत नहीं होगी, तब तक पार्टी भला कैसे मज़बूत हो सकती है.

उन्हें पार्टी के क्षेत्रीय नेताओं से लेकर पार्टी के आख़िरी कार्यकर्ता तक अपनी पहुंच बनानी होगी. बूथ स्तर पर पार्टी को मज़बूत करना होगा. साफ़ छवि वाले जोशीले युवाओं को ज़्यादा से ज़्यादा पार्टी में शामिल करना होगा. कांग्रेस की मूल नीतियों पर चलना होगा, ताकि पार्टी को उसका खोया हुआ वर्चस्व मिल सके. इसके साथ ही कांग्रेस सेवा दल को भी मज़बूत करना होगा.

राहुल गांधी को याद रखना होगा, मन के हारे हार है और मन के जीते जीत. जो सच के साथ होते हैं, वो कभी हारा नहीं करते.
-फ़िरदौस ख़ान (लेखिका स्टार न्यूज़ एजेंसी में संपादक हैं)

Related Articles

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...

वीडियो: गुजरात की तबलीगी जमात के चार लोगों की नर्मदा में डूबने से मौत, 3 के शव बरामद, रेस्क्यू जारी

जानकारी के अनुसार गुजरात के पालनपुर से आए तबलीगी जमात के 11 लोगों में से 4 लोगों की डूबने से मौत हुई है।...

अदाणी मामले पर प्रदर्शन कर रहा विपक्ष,संसद परिसर में धरने पर बैठे राहुल-सोनिया

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण भी पहले की तरह धुलने की कगार पर है। एक तरफ सत्ता पक्ष राहुल गांधी...

शिंदे सरकार को झटका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘दखलअंदाजी’ बताकर खारिज किया फैसला

मुंबई :सहकारी बैंक में भर्ती पर शिंदे सरकार को कड़ी फटकार लगी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे...

सीएम शिंदे को लिखा पत्र, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को लेकर कहा – अंधविश्वास फैलाने वाले व्यक्ति का राज्य में कोई स्थान नहीं

बागेश्वर धाम के कथावाचक पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का महाराष्ट्र में दो दिवसीय कथा वाचन कार्यक्रम आयोजित होना है, लेकिन इसके पहले ही उनके...

IND vs SL Live Streaming: भारत-श्रीलंका के बीच तीसरा टी20 आज

IND vs SL Live Streaming भारत और श्रीलंका के बीच आज तीन टी20 इंटरनेशनल मैचों की सीरीज का तीसरा व अंतिम मुकाबला खेला जाएगा।...

पिनाराई विजयन सरकार पर फूटा त्रिशूर कैथोलिक चर्च का गुस्सा, कहा- “नए केरल का सपना सिर्फ सपना रह जाएगा”

केरल के कैथोलिक चर्च त्रिशूर सूबा ने केरल सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि उनके फैसले जनता के लिए सिर्फ मुश्कीलें खड़ी...

अभद्र टिप्पणी पर सिद्धारमैया की सफाई, कहा- ‘मेरा इरादा CM बोम्मई का अपमान करना नहीं था’

Karnataka News कर्नाटक में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि सीएम मुझे तगारू (भेड़) और हुली (बाघ की तरह) कहते हैं...

Stay Connected

5,577FansLike
13,774,980FollowersFollow
135,000SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...

वीडियो: गुजरात की तबलीगी जमात के चार लोगों की नर्मदा में डूबने से मौत, 3 के शव बरामद, रेस्क्यू जारी

जानकारी के अनुसार गुजरात के पालनपुर से आए तबलीगी जमात के 11 लोगों में से 4 लोगों की डूबने से मौत हुई है।...

अदाणी मामले पर प्रदर्शन कर रहा विपक्ष,संसद परिसर में धरने पर बैठे राहुल-सोनिया

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण भी पहले की तरह धुलने की कगार पर है। एक तरफ सत्ता पक्ष राहुल गांधी...

शिंदे सरकार को झटका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘दखलअंदाजी’ बताकर खारिज किया फैसला

मुंबई :सहकारी बैंक में भर्ती पर शिंदे सरकार को कड़ी फटकार लगी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे...