भोपाल- प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस को लेकर हो रहे चौतरफा विरोध को देखते हुए सरकार अब कानून बनाएगी। शिक्षण शुल्क नियंत्रण अधिनियम बनाने पर सरकार विचार कर रही है। प्रस्तावित कानून में निजी स्कूलों की फीस, किताब व ड्रेस सहित कई अन्य मुद्दे शामिल रहेंगे। इसके साथ ही स्कूल शिक्षा विभाग फीस तय करने के लिए एक शुल्क निर्धारण समिति भी बनाएगी। ये घोषणा स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी ने सोमवार को विधानसभा में विभागीय बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए की।
विधानसभा में कई सदस्यों ने बजट चर्चा के दौरान निजी स्कूलों की मनमानी फीस को लेकर सवाल उठाए थे। सदस्यों का कहना था कि सरकार को निजी स्कूलों की फीस पर नियंत्रण करने के लिए कदम उठाने चाहिए। स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री ने विभाग के बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि सरकार ने निजी स्कूलों की फीस, किताब व ड्रेस में मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए नीति बनाई थी लेकिन कुछ स्कूल संचालक कोर्ट चले गए।
इसके कारण मामला अटका गया। सरकार इस मामले को लेकर पूरी तरह गंभीर और सजग है, इसलिए शिक्षण शुल्क विनियम समिति बनाना प्रस्तावित किया गया है। साथ ही फीस नियंत्रण कानून भी बनाया जाएगा ताकि अभिभावकों को अनावश्यक परेशानी न हो।
सरकार पर उर्दू विरोधी होने के आरोप का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने मदरसों को अपग्रेड करने के लिए आर्थिक सहायता देना बंद कर दी तो राज्य ने अपने खजाने से राशि देने का फैसला किया है। प्रत्येक मदरसे को साफ-सफाई सहित अन्य कामों के लिए 25 हजार रुपए देगी। छात्राओं को साइकिल के लिए चेक की जगह अब साइकिल खरीदकर दी जाएगी।