नई दिल्ली- भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने जिम्बाब्वे दौरे के लिए रवाना होने से पहले 2 बातें खुलकर कही। पहला यह कि टीम की कप्तानी के बारे में फैसला करने का अधिकार बीसीसीआई का है, वो इस बारे में कुछ भी तय नहीं कर सकते हैं। दूसरा यह कि कोच के लिए हिंदी बोलना जरुरी नहीं बल्कि उन्हें हमारी संस्कृति के बारे में जानकारी होनी चाहिए और उसे टीम के प्रदर्शन को और ऊंचाइयों पर ले जाने की समझ हो।
बीसीसीआई की ओर से टीमम इंडिया के मुख्य कोच के लिए आवेदन करने के वास्ते तैयार की गई 9 शर्तों में एक शर्त यह भी है कि कोच को हिंदी या किसी देशी भाषा की जानकारी होनी चाहिए।
जिम्बाब्वे में 11 जून से शुरू हो रही तीन वनडे और तीन टी-20 मैचों की सीरीज के लिए टीम के रवाना होने से पहले मुंबई में धोनी ने कहा, “भारतीय खिलाड़ियों की नई फसल के लिए अंग्रेजी अब कोई बाधा नहीं रह गई है और कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो अपने साथी के साथ रहकर अनुवाद करके जान सकता है। सबसे खास बात यह है कि किसी को भी हमारी संस्कृति की समझ होनी चाहिए।”
2011 में वनडे वर्ल्ड कप में टीम इंडिया को 28 साल बाद खिताबी जीत दिलाने वाले धोनी ने कहा, “हिंदी या अंग्रेजी से ज्यादा जरूरी यह है कि उन्हें हमारी संस्कृति की जानकारी हो, जिसके जरिए हम खुद को ऊपर ले जा सकें और यही हमारे लिए बेहतर होगा। यह सही है कि बीते समय में ऐसे कोच आए जिन्होंने हमें समझा जिससे हम शानदार परिणाम देने में कामयाब रहे।”