नई दिल्ली: देश के 200 से ज्यादा अकादमिक जगत के विद्वानों ने पीएम नरेंद्र मोदी को लिखकर लेफ्ट विचारधारा से जुड़े लोगों पर शिक्षण का माहौल खराब करने का आरोप लगाया है। पत्र लिखने वाले लोगों में कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर भी शामिल हैं। पत्र में लिखा गया है कि लेफ्ट विंग के ऐक्टिविस्ट्स की मंडली देश में अकादमिक माहौल को खराब करने में जुटी है।
अकादमिक विद्वानों ने अपने पत्र में लिखा, ‘हमारा मानना है कि स्टूडेंट पॉलिटिक्स के नाम पर अतिवादी वामपंथी अजेंडे को आगे बढ़ाया जा रहा है। हाल में ही जेएनयू से जामिया औ एएमयू से जाधवपुर यूनिवर्सिटी तक में सामने आए घटनाक्रम से पता चलता है किस तरह से अकादमिक माहौल को खराब किया जा रहा है। इसके पीछे लेफ्ट ऐक्टिविस्ट्स के एक छोटे से वर्ग की शरारत है।’
इस पत्र को लिखने वालों में हरि सिंह गौर यूनिवर्सिटी के कुलपति आरपी तिवारी, साउथ बिहार सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कुलपति एचसीएस राठौर और सरदार पटेल यूनिवर्सिटी के वीसी शिरीष कुलकर्णी शामिल हैं। ‘शिक्षण संस्थानों में लेफ्ट विंग की अराजकता के खिलाफ बयान’ शीर्षक से लिखे गए पत्र में कुल 208 अकादमिक विद्वानों के हस्ताक्षर हैं।
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शनों और जेएनयू में हुई हिंसा के बाद लिखे गए इस पत्र को सरकार की ओर से अकदामिक जगत में समर्थन जुटाने की कोशिश माना जा रहा है। लेफ्ट से जुड़े समूहों पर हमला बोलते हुए पत्र में कहा गया है कि लेफ्ट विंग राजनीति की ओर से लगाई गई सेंशरशिप के चलते स्वतंत्र रूप से कुछ भी बोलना और कोई सार्वजनिक कार्यक्रम करना मुश्किल हो गया है।