मेष- सदृढ़ता, व्याभिचारी, कामी
वृष- कन्या, संताति प्रधान, परोपकारी
मिथुन- विद्वान, कामी, शास्त्रज्ञ
कर्क- भोगी, विद्वान, चतुर
सिंह- उदर रोगी, मातृ प्रियता, सुदृढ़ शरीर
कन्या- मिष्ठ भाषी, अच्छा चरित्र
तुला- धार्मिक, आस्तिक
वृश्चिक- व्याभिचारी, धर्महीन
धनु- कला निपुण, नीतिज्ञ, शत्रुदमन, उन्नतिशील
मकर- क्रोधी, लोभी, धार्मिक
कुंभ- नशेड़ी, दुराचारी
मीन- बकवादी, हंसमुख, उदासचित्त।
चन्द्रमा जन्म वुंहृडली के किस भाव में स्थित होकर क्या फल देगा। इसकी विवेचना इस प्रकार है।
– विभिन्न भावों में चन्द्र का फल
प्रथम भाव- सुख स्फुर्तिवान।
द्वितीय भाव- सुन्दरता, धनी, ज्ञान पिपासु।
तृतीय भाव- भाइयों से लगाव, मननशील।
चतुर्थ भाव- सम्मानित, गुणी, सूखी।
पंचम भाव- कन्या संतति प्रधान, मंत्री सलाहकार
छठा भाव- अल्पायु, कफ प्रधान, कर्जदार।
सातवां भाव- कीर्तिवान, सौम्य अभिमानी।
आठवां भाव- इसमें चन्द्र अशुभ माना गया है।
नौवां भाव- धर्मपरायण, उद्यमशील।
दसवां भाव- कार्यकुशल, न्यायप्रिय, दयालु, बुद्धिजीवी।
ग्यारहवां भाव- चंचल, यशस्वी, लोकप्रिय, दीर्घायु।
– अशुभ चन्द्रमा (कृष्ण पक्षीय)
प्रथम भाव- दुःख, चिंता, नेत्र विकार।
द्वितीय भाव- मुख पर दाग, धनी मगर चिंतित।
तृतीय भाव- भाइयों से अलगाव लापरवाह।
चतुर्थ भाव- लम्पट, कामी, मातृसुख में कमी।
पंचम भाव- चंचल सट्टेबाजी।
छठा भाव- चंचल सट्टेबाजी, कर्जदार, नेत्र रोग।
सातवां भाव- जीवनसाथी से चिंतित व चंचल स्वभाव।
आठवां भाव- अस्वस्थता हताश, रोगी, अल्पायु।
नौवां भाव-अपेक्षाकृत, हताशा, रोगी, अल्पायु कामी ईष्यालु।
दसवां भाव- लाभ अपेक्षाकृत कम लाभ।
ग्यारहवां भाव- अपेक्षाकृत ज्यादा अशुभ, (माता या पत्नी से चिंता)।