14.1 C
Indore
Friday, November 22, 2024

साहित्य या तमाशा ?

  literature
demo pic

पिछले दिनों फेसबुक पर वास्तविकता से भरा हुआ एक व्यंग्य पढऩे को मिला जो इस प्रकार था-‘एक अंग्रेज़ डॉक्टर भारत में घूम-फिर रहा था। वह एक बुक स्टॉल पर गया और वहां उसकी नज़र एक पुस्तक पर पड़ी। मात्र 20 रुपये मूल्य की इस पुस्तक का शीर्षक था-‘मात्र एक महीने में घर बैठे डॉक्टर बनें’। वह अंग्रेज़ डॉक्टर उस पुस्तक का मूल्य तथा उसका शीर्षक पढ़ते ही बेहोश हो गया। हमारे देश में इसी प्रकार की और भी न जाने कितनी पुस्तकें बाज़ार में किताबों की दुकानों,सडक़ों व फुटपाथ पर बिकती दिखाई देंगी। जिनके शीर्षक में ही काफी आकर्षण होता है। उदाहरण के तौर पर घर बैठे करोड़पति बनें,भाग्यशाली बनें,इंजीनियर बनें,पत्रकार बनें,इलेक्ट्रीशियन बनें,मेकैनिक बनें गायक व संगीतकार बनें आदि। और कुछ नहीं तो सेक्स संबंधी अनेक पुस्तकें जिनके शीर्षक भडक़ाऊ व आकर्षक होते हैं बाज़ारों में बिकती दिखाई देती हैं। इसी भारतीय बाज़ार में तीन-चार दशकों से देश की विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाशित होने वाली एक पुस्तक बेहद लोकप्रिय हुई जिसके शीर्षक में यह दावा किया जाता था कि घर बैठे फर्ऱाटेदार अंग्रेज़ी बोलना सीखें। सवाल यह है कि यदि उपरोक्त पुस्तकें इतनी ही प्रभावशाली होतीं तो आज दस-बीस रुपये की इन्हीं पुस्तकों को पढऩे के बाद पूरे देश में गली-गली फर्ऱाटेदार अंग्रेज़ी बोलने वाले,डॉक्टर,इंजीनियर,गीतकार-संगीतकार,गायक,मैकेनिक आदि नज़र आ जाते। परंतु हकीकत में ऐसा नहीं है। जब हमारे देश में आरएमपी और बीएमएस अथवा बीयूएमएस डॉक्टरों पर जनता इतना भरोसा नहीं करती जितना कि एमबीबीएस,एमएस अथवा एमडी किए हुए डॉक्टरों पर करती है फिर आखिर बीस रुपये की पुस्तक मात्र एक महीने में पढक़र बने हुए डॉक्टर पर लोग कैसे विश्वास कर सकते हैं?
हमारे देश में जब कभी मेकैनिक अथवा इलेक्ट्रीशियन की ज़रूरत किसी भी संस्थान में पड़ती है तो संस्थान द्वारा अभ्यार्थी से उसका आईटीआई अथवा पोलटेक्निक का डिप्लोमा मांगा जाता है। और आगे चलकर बीटेक,एमटक अथवा आईआईटी पास करने वाले होनहार व काबिल उम्मीदवार तलाश किए जाते हैं। मात्र दस रुपये की किताब पढक़र बने हुए मेकैनिक,इंजीनियर अथवा इलेक्ट्रीशियन को कोई नहीं पूछता।

फिर आखिर ऐसे अनर्गल साहित्य की अहमियत ही क्या है? और क्योंकर ऐसे साहित्य देश में सडक़ों व फुटपाथ पर बिकते दिखाई देते हैं। कहीं वशीकरण करने के यंत्र वाली पुस्तक बिकती नज़र आती है तो कहीं इंद्रजाल व काला जादू जैसा ज्ञान देने वाली पुस्तकें बिकती रहती हैं। अश्लील साहित्य प्रकाशन की तो हमारे देश में भरमार है। आखिर इस प्रकार की पुस्तकों के प्रकाशक ऐसे प्रकाशन के माध्यम से चाहते क्या हैं? क्या वे वास्तव में लोगों का ज्ञान वर्धन करना चाहते हैं? सचमुच लोगों को दस-बीस रुपये के अपने साहित्य के द्वारा डॅाक्टर,इंजीनियर, मेकैनिक व इलेक्ट्रिश्यिन आदि बनाना चाहते हैं? या फिर इस प्रकार के शीर्षक से बिकने वाले उनके साहित्य प्रकाशकों के व्यवसाय तथा आमदनी का साधन मात्र हैं? यदि आज ऐसी अनर्गल पुस्तकों में प्रयुक्त सामग्री पर गौर करें तो इसमें प्राय: पुस्तक का कवर मात्र रंगीन व आकर्षक छपा होता है। जबकि पुस्तक के भीतर के सभी पन्ने आमतौर पर न्यूज़ प्रिंट यानी समाचार पत्रों के प्रकाशन में प्रयुक्त होने वाला कागज़ के होते हंै। और आमतौर पर ऐसी पूरी एक पुस्तक में इतना कागज़ भी नहीं लगता जितना कि 16 पृष्ठ के एक समाचार पत्र में लगता है यानी मोटे तौर पर जो समाचार पत्र दो या तीन रुपये में मिलता है उसी को यदि चतुर प्रकाशक पुस्तक का रूप देकर बुक स्टॉल या फुटपाथ के माध्यम से ग्राहकों को बेचते हैं तो वही सामग्री दस से लेकर बीस रुपये तक बिक जाती है।

आजकल जिस प्रकार स्कूल के बच्चों की पुस्तकों का वज़न काफी बढ़ गया है उसी प्रकार उनकी शिक्षा का स्तर भी काफी ऊंचा हुआ है। आजकल प्राईमरी सकूल के बच्चों को विज्ञान तथा सामान्य ज्ञान की वह बातें पढ़ाई जा रही हैं जो दो दशक पूर्व छठी से लेकर आठवीं कक्षा तक के बच्चों को पढ़ाई जाती थी। परंतु अनर्गल साहित्य के प्रकाशक तथा घटिया पुस्तकों के विक्रेता अब भी फुटपाथ पर तथा रेल व बसों में अपने एजेंटस के माध्यम से मात्र पांच-दस रुपये में सामान्य ज्ञान की ऐसी पुस्तकें बिकवाते हैं जिनमें भारत की राजधानी दिल्ली,देश की सबसे ऊंची मीनार कुतुबमीनार, ताजमहल कहां है तो आगरा में जैसे अति साधारण ज्ञान बेचते नज़र आते हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि उत्तर प्रदेश व बिहार जैसे राज्यों में ऐसी ही पुस्तकों को पढऩे के बाद तमाम लोग अपनी जुगाड़बाजि़यों की बदौलत अथवा कुछ ले-देकर ऐसे शिक्षक बन बैठे हों जिनकी विभिन्न टीवी चैनल्स समय-समय पर सामान्य ज्ञान की परीक्षा लेते दिखाई देते हैं। गौरतलब है कि कई टीवी चैनल्स इन राज्यों के ऐसे स्कूली शिक्षकों के साक्षात्कार दिखा चुके हैं जिन्हें न तो अपने देश के राष्ट्रपति का नाम पता होता है न प्रधानमंत्री का और न ही अपने राज्य के मुख्यमंत्री का। ऐसे शिक्षकों द्वारा शिक्षित किए गए छात्र कितने ज्ञानी हो सकते हैं इस बात का सहज ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है। मुझे नहीं लगता कि इस प्रकार के शिक्षक अथवा इस प्रकार का घटिया व अनर्गल साहित्य दुनिया के अन्य देशों में भी देखने को मिल सकेगा?

अपने बचपन में एक चुटकुला सुना था। वह इस प्रकार था। तीन वैज्ञानिक जोकिअमेरिका,जापान तथा भारत के थे एक जगह पर बैठे थे। तीनों ने एक-दूसरे से कहा कि अपने-अपने देश का कोई वैज्ञानिक चमत्कार दिखाओ। सर्वप्रथम अमेरिका के वैज्ञानिक ने प्रयोगशाला में जाकर बाल जितना बारीक लोहे का एक बोल्ट तैयार कर दिया। और जापान व भारत के वैज्ञानिकों को इस प्रकार का करिश्मा कर दिखाने की चुनौती दी। उसके बाद जापान का वैज्ञानिक अमेरिकी वैज्ञानिक द्वारा बनाए गए उसी बोल्ट को लेकर प्रयोगशाला में गया और जब वापस बाहर निकला तो उसने भारत व अमेरिका के वैज्ञानिकों को आश्चर्यचकित कर दिया। जापानी वैज्ञानिक ने अमेरिकी वैज्ञानिक द्वारा बनाए गए बाल जितने बारीक बोल्ट पर चूडिय़ां गढ़ दी थीं। यह देखकर भारतीय व अमेरिकी वैज्ञानिक बहुत हैरान हुए। अब बारी थी भारतीय वैज्ञानिक की। वह भी उसी बोल्ट को लेकर प्रयोगशाला में दा$िखल हुआ और चंद ही मिनटों बाद उसी बोल्ट को लेकर बाहर निकला व उसे अमेरिकी व जापानी वैज्ञानिकों के समक्ष रख दिया। अमेरिकी व जापानी वैज्ञानिक यह देखकर अचंभे में पड़ गए कि भारतीय वैज्ञानिक ने उस बारीक बोल्ट पर अपनी कला कौशल के साथ लिख दिया था- मेड इन इंडिया। यानी हम भारतीय जहां स्वयं पर विश्वगुरू देश के नागरिक होने का भ्रम पाले रहते हैं तथा अध्यात्म की दुनिया में स्वयं को बादशाह समझते हैं वहीं हम दुनिया के जाने-माने नकलची होने की सनद भी हासिल कर चुके हैं। बकवास साहित्य प्रकाशन के क्षेत्र में भी लगभग यही स्थिति है।

यदि हम सरकारी व निजी स्कूलों,आईटीआई व पोलीटेक्निक आदि में पढ़ाई जाने वाली पुस्तकों पर नज़र डालें तो वहां भी आपको ऐसी तमाम पुस्तकें देखने को मिलेंगी जिनमें पुस्तक के गत्ते तो मोटे होते हैं जबकि उनके पृष्ठ कम। और पृष्ठों पर भी बड़े-बड़े चित्र छाप कर पुस्तकों के पन्नों को मोटा किया जाता है। एक ही प्रकाशक एक ही सामग्री (मैटर) को अलग-अलग पुस्तक शीर्षक से प्रकाशित कर अलग-अलग स्कूल में चलाता है। आईटीआई व पॉलटेक्निक अथवा महाविद्यालयों में चलने वाली अनेक पुस्तकें ऐसी हैं जिनमें घटिया व निम्रस्तरीय कागज़ का इस्तेमाल किया जाता है। यहां भी कई पुस्तकें ऐसी देखी जा सकती हैं जिनमें समाचार पत्र में प्रकाशित होने वाले न्यूज़ प्रिंट के कागज़ का इस्तेमाल किया जाता है। जबकि ऐसी पुस्तकों के मूल्य सौ-दो सौ रुपये से लेकर पांच सौ रुपये तक निर्धारित होते हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि इस प्रकार के कई प्रकाशक ऐसे भी मिलेंगे जो स्वयं निरक्षर व अंगूठा टेक हैं परंतु उन्हें व्यवसायिक तौर-तरीकों व कलाबाजि़यों का भरपूर ज्ञान है इसलिए वे अपनी पुस्तकें सफलतापूर्वक शिक्षण संस्थान के माध्यम से छात्रों के हाथों तक पहुंचाने में सफल हो जाते हैं। यानी संसथा के प्रिंसीपल से लेकर शिक्षामंत्री,शिक्षा निदेशक व जि़ला शिक्षा अधिकारी तक यह लोग अपनी सीधी पैठ रखते हैं। लिहाज़ा उनकी पुस्तकों को खरीदने की संस्तुति संबंधित अधिकारियों द्वारा आसानी से कर दी जाती है। लिहाज़ा छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले तथा आम लोगों को गुमराह करने वाले साहित्य प्रकाशनों को नियंत्रित किए जाने की ज़रूरत है। ज़रूरत इस बात की भी है कि पुस्तक के खरीददारों द्वारा जिस पुस्तक की जो कीमत अदा की जा रही है उसके बदले में उसे उसकी कीमत के बराबर की सामग्री तथा अच्छे कागज़ों पर प्रकािशत पुस्तक उपलब्ध कराई जाए। अनर्गल व बकवास $िकस्म के साहित्य प्रकाशनों पर भी रोक लगाए जाने की ज़रूरत है।

:-निर्मल रानी

nirmalaनिर्मल रानी 
1618/11, महावीर नगर,
अम्बाला शहर,हरियाणा।
फोन-09729-229728

Related Articles

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...

वीडियो: गुजरात की तबलीगी जमात के चार लोगों की नर्मदा में डूबने से मौत, 3 के शव बरामद, रेस्क्यू जारी

जानकारी के अनुसार गुजरात के पालनपुर से आए तबलीगी जमात के 11 लोगों में से 4 लोगों की डूबने से मौत हुई है।...

अदाणी मामले पर प्रदर्शन कर रहा विपक्ष,संसद परिसर में धरने पर बैठे राहुल-सोनिया

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण भी पहले की तरह धुलने की कगार पर है। एक तरफ सत्ता पक्ष राहुल गांधी...

शिंदे सरकार को झटका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘दखलअंदाजी’ बताकर खारिज किया फैसला

मुंबई :सहकारी बैंक में भर्ती पर शिंदे सरकार को कड़ी फटकार लगी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे...

सीएम शिंदे को लिखा पत्र, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को लेकर कहा – अंधविश्वास फैलाने वाले व्यक्ति का राज्य में कोई स्थान नहीं

बागेश्वर धाम के कथावाचक पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का महाराष्ट्र में दो दिवसीय कथा वाचन कार्यक्रम आयोजित होना है, लेकिन इसके पहले ही उनके...

IND vs SL Live Streaming: भारत-श्रीलंका के बीच तीसरा टी20 आज

IND vs SL Live Streaming भारत और श्रीलंका के बीच आज तीन टी20 इंटरनेशनल मैचों की सीरीज का तीसरा व अंतिम मुकाबला खेला जाएगा।...

पिनाराई विजयन सरकार पर फूटा त्रिशूर कैथोलिक चर्च का गुस्सा, कहा- “नए केरल का सपना सिर्फ सपना रह जाएगा”

केरल के कैथोलिक चर्च त्रिशूर सूबा ने केरल सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि उनके फैसले जनता के लिए सिर्फ मुश्कीलें खड़ी...

अभद्र टिप्पणी पर सिद्धारमैया की सफाई, कहा- ‘मेरा इरादा CM बोम्मई का अपमान करना नहीं था’

Karnataka News कर्नाटक में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि सीएम मुझे तगारू (भेड़) और हुली (बाघ की तरह) कहते हैं...

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Stay Connected

5,577FansLike
13,774,980FollowersFollow
136,000SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...

वीडियो: गुजरात की तबलीगी जमात के चार लोगों की नर्मदा में डूबने से मौत, 3 के शव बरामद, रेस्क्यू जारी

जानकारी के अनुसार गुजरात के पालनपुर से आए तबलीगी जमात के 11 लोगों में से 4 लोगों की डूबने से मौत हुई है।...

अदाणी मामले पर प्रदर्शन कर रहा विपक्ष,संसद परिसर में धरने पर बैठे राहुल-सोनिया

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण भी पहले की तरह धुलने की कगार पर है। एक तरफ सत्ता पक्ष राहुल गांधी...

शिंदे सरकार को झटका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘दखलअंदाजी’ बताकर खारिज किया फैसला

मुंबई :सहकारी बैंक में भर्ती पर शिंदे सरकार को कड़ी फटकार लगी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे...