नई दिल्ली- तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता का सोमवार देर रात को निधन हो गया। वह छह बार मुख्यमंत्री रहीं। इसके बाद से तमिलनाडु सहित पूरे देश में शोक की लगह है।
> जयललिता को श्रद्धांजलि देने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे।
> जयललिता को श्रद्धांजलि देने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी पहुंचे।
> जयललिता के निधन पर लोकसभा और राज्यसभा आज स्थगित रहेगा।
> डीएमके लीडर एमके स्टालीन ने जयललिता को दी श्रद्धांजलि।
> जयललिता के निधन पर केंद्र सरकार ने एक दिन का शोक घोषित किया।
> राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी जयललिता को श्रद्धांजलि देने जाएंगे चेन्नई।
> जयललिता को श्रद्धांजलि देने प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी चेन्नई जाएंगे।
> कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी श्रद्धांजलि देने जाएंगे चेन्नई।
> तमिलनाडु में कई प्राईवेट संस्थानों में छुट्टी ।
> जयललिता के पार्थिव शरीर को चेन्नई के राजाजी हॉल लाया गया।
> तमिलनाडु में सात दिन का राजकीय शोक घोषित
> जयललिता के सम्मान नें केरल सरकार ने मंगलवार को सार्वजनिक अवकााश घोषित किया।
> मरीना बीच पर एमजीआर समाधि के पास शाम 4.30 बजे होगा अंतिम संस्कार।
> चेन्नई: मंत्रियों को विभागों का आवंटन किया गया
> जयललिता का पार्थिव शरीर अस्पताल से उनके निवास पोज गॉर्डन ले जाया गया
एमजीआर के पार्थिव शरीर पर खिंचाई थी तस्वीर
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता के निधन के बाद सोमवार देर रात 2.30 बजे उनके पार्थिव शरीर को अपोलो अस्पताल से उनके आधिकारिक निवास ‘पोज गार्डन’ ले जाया गया। जहां उनके अंतिम संस्कार से संबंधित कार्यक्रम उनके निवास पर पूरे किए जाएंगे। इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को लोगों के दर्शन के लिए चेन्नई के ‘राजाजी भवन’ में रखा जाएगा। चेन्नई के मरीना बीच पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
‘राजाजी हॉल’ वही जगह है जहां 1987 में एमजी रामाचंद्रन के पार्थिव शरीर को लोगों के अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था। उस वक्त रामाचंद्रन के दर्शन के लिए उन्हें राजाजी हॉल में प्रवेश नहीं करने दिया गया था। वह किसी तरह राजाजी भवन में प्रवेश करने में सफल हुई थीं और इसके बाद उन्होंने एमजीआरे के पार्थिव शरीर के पास खड़े होकर एक तस्वीर खिंचवाई थी।
एमजीआर के देहांत के बाद पार्टी दो धड़े में बंट गई थी
एमजीआर के देहांत के बाद पार्टी दो धड़े में बंट गई थी। एक धड़ा जानकी रामाचंद्रन के समर्थन में था तो दूसरा जयललिता के। एमजीआर की पत्नी जानकी रामाचंद्रन ने 7 जनवरी 1988 को प्रदेश के मुख्यमंत्री की कमान संभाली। उनके पास 96 विधायकों का समर्थन था।
वह केवल 23 दिन तक मुख्यमंत्री रह पाईं। तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष अनियमितता बरतते हुए जयललिता के खेमे के 6 विधायकों की सदस्यता समाप्त कर दी। जिसके कारण जानकी के लिए विश्वासमत हासिल करना आसान हो गया। लेकिन राजीव गांधी सरकार ने तमिलनाडु में राष्ट्रपति शासन लगाने की घोषणा कर दी। इसके बाद पार्टी में जयललिता की पकड़ मजबूत हो गई। इसके बाद 1991 में वो पहली बार तमिलनाडू की मुख्यमंत्री बनीं।