नई दिल्ली- बिहार में चुनाव से पहले ही नए नए गुल खिलने लगे हैं, महागठबंधन के बाद अब भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए में घमासान शुरू हो गया है। नाक की लड़ाई में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और केन्द्रीय मंत्री राम विलास पासवान एक दूसरे से भिड़ गए हैं।
मांझी ने खुद को पासवान से बड़ा दलित नेता बताते हुए उन पर आरोपों की बौछार कर दी है। राम विलास पासवान द्वारा खुद पर की गई टिप्पणी पर मांझी ने कह डाला कि पासवान तो अपनी जाति के भी नेता नहीं हैं, न ही लोकसभा चुनावों में एनडीए की जीत में पासवान और उनकी पार्टी का कोई योगदान नहीं है।
मांझी यहीं नहीं रुके और बोले पासवान की पार्टी बस भाई भतीजावाद की पार्टी बन कर रह गई है। मांझी ने कहा कि अगर पासवान को ज्यादा सीटें मिलती हैं तो वो भी उनसे ज्यादा सीटों पर अपना दावा करेंगे।
इससे पहले मांझी ने पासवान को यह कहकर चुनौती दी थी कि मुझे चीटीं समझने की भूल न करें। मांझी ने कहा कि चीटीं भी कई बार हाथी का ज्यादा नुकसान कर जाती है।
बता दें कि ये विवाद उस समय शुरू हुआ था जब पासवान बिहार में दलितों के हक को लेकर राज्यपाल से मिले थे। इसके बाद सोमवार को जहानाबाद में मांझी ने राम विलास पासवान पर बातों बातों में तंज कस दिया था। हालांकि अभी तक पासवान ने इस पर मुंह नहीं खोला है।
वहीं मंगलवार को मांझी ने पासवान के बहाने बिहार सरकार पर निशाना साधते हुए खुद को बड़ा दलित नेता साबित करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि नीतीश राज में दलितों का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। दलितों को हर मुद्दे पर निशाना बनाया जा रहा है। बिहार में हर काम में भ्रष्टाचार हावी है।
मंगलवार को फिर उन्होंने इस मुद्दे पर मोर्चा खोल दिया। असल में ये झगड़ा सामने से कुछ ज्यादा पर्दे के पीछे का है।
राम विलास पासवान की पार्टी को इस बात पर आपत्ति है कि जेडीयू से टूट कर आए कुछ विधायक मांझी की पार्टी हिंदूस्तान अवाम मोर्चा (हम) में शामिल हो गए हैं।
इनमें से ज्यादातर विधायक वे हैं जो 2005 के चुनावों में रामविलास पासवान के साथ थे लेकिन चुनावों के बाद निष्ठा बदलकर नीतीश कुमार की जेडीयू के साथ चले गए और अब मांझी के साथ जुड़ गए हैं। पासवान की एलजेपी किसी सूरत में ऐसे लोगों को एनडीए से टिकट नहीं मिलने देना चाहती। इसी मुद्दे को लेकर पूर्व में एलजेपी संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष चिराग पासवान भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मिल चुके हैं।