भारत सरकार की ओर से भेजे गए केंद्रीय दल के सामने मंगलवार को ऐसी तमाम समस्याएं रखी गईं। रेसीडेंसी कोठी पर दल ने कृषि और उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से भी चर्चा की हैं।
कोरोना वायरस से बचने के लिए देशभर में लॉकडाउन किया गया हैं। लॉक डाउन के वजह से हर काम ठप पड़ गया हैं।
इस खतरनाक वायरस की यह कैसी मार है कि किसान अपना गेहूं, चना, फल और सब्जी मंडी में बेच नहीं सकता और शहर के लोग हैं कि फल-सब्जी खा नहीं पा रहे हैं। मुश्किल दोनों तरफ है, लेकिन फिलहाल सरकार के पास इसका कोई ठोस हल भी नहीं है।
वहीं, कोरोना संक्रमण का हॉट स्पॉट होने से इंदौर जिले में तो गेहूं की सरकारी खरीदी भी शुरू नहीं की गई है। अनाज, फल और सब्जी मंडी भी एक महीने से बंद है।
इंदौर के आसपास के गांवों में तो किसानों के पास हजारों टन प्याज खेत और खलिहान में पड़ा है।
दरअसल, भारत सरकार की ओर से भेजे गए केंद्रीय दल के सामने मंगलवार को ऐसी तमाम समस्याएं रखी गईं। रेसीडेंसी कोठी पर दल ने कृषि और उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से भी चर्चा की हैं।
स्थानीय अधिकारियों ने भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव अभिलक्ष्य लिखी, संचालक खाद्य सिमरजीत कौर आदि अधिकारियों के समक्ष किसानों की समस्याएं रखीं हैं।
केंद्रीय दल ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी की तैयारियों को लेकर पूछा तो अधिकारियों ने बताया कि जिले में 82 केंद्र बनाए गए हैं, लेकिन फिलहाल यहां खरीदी शुरू नहीं की गई है।
जानकारी के लिए बता दें की बैठक में कृषि संयुक्त संचालक आरएस सिसोदिया, उप संचालक कृषि वीके चौरसिया, संयुक्त संचालक उद्यानिकी डीके जाटव, उप संचालक टीके वास्केल, मंडी सचिव मानसिंह मुनिया सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
केंद्रीय दल के अधिकारियों ने इन समस्याओं की रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपने का आश्वासन दिया।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि भारत सरकार ने किसान एप बनाया हुआ है। किसान इसके जरिए अपनी उपज ऑनलाइन भी बेच सकते हैं, लेकिन कर्फ्यू और लॉकडाउन के दौर में यह तरीका भी कारगर होता नजर नहीं आ रहा है।