इंदौर : इंदौर में बुधवार रात को लोकायुक्त पुलिस का छापा पड़ा। जिसमें बड़ी कार्रवाई करते हुए लोकायुक्त ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के कार्यपालन यंत्री (ईई) धर्मेंद्र जायसवाल को उनके घर से तीन लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ पकड़ा है। इंजीनियर ने महू से जुलवानिया के बीच रोड बनाने वाले ठेकेदार मेहरुद्दीन खान से 50 लाख रुपये का भुगतान करने के बदले में रिश्वत मांगी थी। रिश्वत की रकम लेते ही लोकायुक्त की टीम ने उसे रंगेहाथ पकड़ लिया।
डीएसपी संतोष सिंह भदौरिया को देखते ही इंजीनियर गश खाकर नीचे गिर गया। डीएसपी ने बताया कि ठेकेदार ने लोकायुक्त एसपी एसएस सराफ से शिकायत की थी। जायसवाल सड़क भुगतान के लिए खान को पिछले पांच महीने से चक्कर लगवा रहा था। वह बिना कमीशन लिए भुगतान करने को तैयार नहीं था। जिसपर लोकायुक्त ने ठेकेदार को तीन लाख रुपये लेकर रात के आठ बजे उसके ओल्ड पलासिया स्थित सरकारी बंगले पर भेजा।
जायसवाल ने जैसे ही मेहरुद्दीन को देखा वह मुस्कुरा दिया। उसने ठेकेदार को अंदर बुलाया और चाय-पानी के लिए पूछा। हाथ में थैली देखकर इधर-उधर की बातें कीं। मेहरुद्दीन ने इंजीनियर के हाथ में पैसे दिए और थोड़ी देर बाद बाहर आ गए। उसके जाते ही लोकायुक्त डीएसपी उसने सामने खड़े हो गए। उन्होंने अपना परिचय देते हुए कहा कि मैं डीएसपी लोकायुक्त भदौरिया हूं और आपने अभी घूस ली है। यह सुनते ही जायसवाल गश खाकर गिर गए। उसके गरिने की आवाज सुनकर पत्नी बाहर आ गईष टीम ने उसे पानी पिलाया जिसके बाद वह थोड़ा सामान्य हुआ।
फिनापथिनिल से जब जायसवाल के नोट लेने वाले हाथ धुलवाए गए तो वह गुलाबी हो गए। 2017 में वह खरगोन में कार्यरत थे। उस समय तत्कालीन प्रमुख सचिव विवेक अग्रवाल दौरे पर पहुंचे थे। जायसवाल की निगरानी में जो सड़क बनी था उसकी क्वालिटी बहुत घटिया थी। इससे अग्रवाल नाराज हो गए और उन्होंने जायसवाल सहित दो अन्य पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए एक करोड़ 24 लाख रुपए की रिकवरी निकाल दी थी। अभी तक इसकी जांच चल रही है। पीडब्ल्यूडी ने इतनी बड़ी गड़बड़ी करने के बावजूद जायसवाल की पदोन्नति करके उन्हें एसडीओ बनाकर बड़े जिलों का चार्ज दे दिया।