लखनऊ- नीति आयोग की रिपोर्ट ने अखिलेश सरकार पर गंभीर आर्थिक सवाल खड़े किये है। आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है की केंद्र सरकार द्वारा चालू वित्त वर्ष में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत भेजे गए करीब सात हजार करोड़ रुपए, सर्व शिक्षा अभियान के तहत केंद्र द्वारा दिए गए 19 हजार करोड़ रुपए सहित मोदी सरकार द्वारा ढाई साल में राज्य के विकास के लिए दिए गए अतिरिक्त ढाई लाख करोड़ रुपए का लाभ प्रदेश की जनता तक नहीं पहुंचा।
अखिलेश सरकार को निति आयोग को जवाब देना होगा कि केंद्र सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश के आम नागरिकों का जीवन स्तर उठाने और गरीबों, दलितों, पिछड़ों को मजबूत करने के लिए दिए गए लगभग साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए किसकी जेब में गए?
नीति आयोग के आंकड़ों को अपराध व भ्रष्टाचार के गठबंधन सपा-कांग्रेस के झूठे दावों की पोल खोलने वाला बताते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से जवाब तलब किया है।
भाजपा इसको बड़ा मुद्दा बनाते हुये प्रदेश अध्यक्ष केशव मौर्य ने कहा कि अखिलेश यादव के पास इसका कोई जवाब नहीं है। अगर है तो सबूत जनता के सामने रखे। श्री मौर्य ने कहा कि सपा सरकार पूरे पांच साल भ्रष्टाचारियों व अपराधियों को बचाने में लगे रही और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव शासन-प्रशासन को भ्रष्टाचारियों-अपराधियों की कठपुतली बनाकर जनहित के कार्यों में अड़ंगा लगाते रहे।
नीति आयोग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चालू वित्त वर्ष में केंद्र द्वारा यूपी को गैर योजना व्यय के लिए 54 प्रतिशत धन दिए गए, लेकिन अखिलेश सरकार की निष्क्रियता के कारण विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का धन अवाम तक पहुंचा ही नहीं। कैग की अद्यतन रिपोर्ट में भी प्रदेश सरकार लगभग 1 लाख 20 हजार करोड़ का प्रमाणीकरण नहीं दे सकी।
श्री मौर्य ने कहा कि आयोग की रिपोर्ट बताती है कि केंद्र सरकार ने अपने ढाई साल के कार्यकाल में 1.6 लाख करोड़ रुपए की विकास परियोजनाएं या तो पूरी कर दी हैं, या पूरी होने के कगार पर हैं। लेकिन अखिलेश के पास केंद्र सरकार द्वारा राज्य को दिए गए कर संग्रह का 83 हजार 427 करोड़ 69 लाख रुपए का हिसाब तक मौजूद नहीं है। मौर्य ने कहा कि उत्तर प्रदेश ने 80 में से 73 सांसद देकर मोदी को दिल्ली में काम करने के लिए भेजा तो प्रधानमंत्री मोदी ने अमृत योजना के तहत राज्य के 61 शहरों को बुनियादी सुविधाओं व संसाधनों से संवारने के लिए 3865 करोड़ रुपए आवंटित किए, लेकिन अखिलेश सरकार ने अमृत योजना के लिए काम ही नहीं किया।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में 55 प्रतिशत स्कूलों में हेड मास्टर नहीं हैं। स्कूलों में कमरे नहीं हैं, बच्चों के लिए पीने का स्वच्छ पानी तक नहीं है। अखिलेश यादव बताएं कि केंद्र सरकार ने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था दुरूस्त करने के लिए सर्व शिक्षा अभियान के तहत 19 हजार करोड़ रुपए भेजे थे, लेकिन इसमें से 14 हजार 694 करोड़ रुपए क्यों नहीं खर्च किए? महालेखा परीक्षक व नियंत्रक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में अखिलेश सरकार के निकम्मेपन पर लताड़ लगाते हुए कहा है कि मानक व आवश्यकता के लिहाज से प्रदेश में 782 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, 1645 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, 10579 उप स्वास्थ्य केंद्रों की कमी है। प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए 3497 डॉक्टरों की उपलब्धता के मुकाबले केवल 2209 डॉक्टर क्यों हैं? अखिलेश को जवाब देना होगा कि केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत प्रदेश के लिए 6967 करोड़ रुपए भेजने के बावजूद आम जनता को स्वास्थ्य व चिकित्सा सुविधाओं से वंचित क्यों होना पड़ रहा है ?
श्री मौर्य ने कहा कि कुशासन, भ्रष्टाचार और अपराधियों को संरक्षण देने वाले सपा, बसपा और कांग्रेस सत्ता हासिल करने और सत्ता में बने रहने के लिए जनता के कल्याण के कार्यक्रमों में भी सियासत करते हैं। भाजपा की सरकार आने पर सपा, बसपा व कांग्रेस द्वारा जनता के धन के बंदरबांट का पाई-पाई हिसाब लेकर एक-एक रुपया अवाम तक पहुंचाया जाएगा और अखिलेश सरकार के भ्रष्टाचार और मायावती शासन के घोटालों की जांच कराकर अवाम के साथ हुए अन्याय का हिसाब लिया जाएगा।
रिपोर्ट- @शाश्वत तिवारी