नई दिल्ली : केरल के विवादित ‘लव जिहाद’ मामले में हादिया उर्फ अखिला अशोकन ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि वह मुस्लिम हैं और मुस्लिम बने रहना चाहती हैं।
25 साल की हादिया ने यह भी कहा कि वह अपने पति शफी जहां के साथ ही रहना चाहती हैं जिनसे शादी के लिए उन्होंने अपना धर्म बदलते हुए इस्लाम कबूल किया था। सुप्रीम कोर्ट 22 फरवरी को मामले पर सुनवाई करेगा।
हादिया के हलफनामे में कहा गया है कि उसने अपनी मर्जी से इस्लाम को अपनाया है। अपनी चेतना और बिना किसी दबाव के उन्होंने इस्लाम को अपनाया है।
हादिया ने अपने 25 पेज के हलफनामे में कहा कि वह पति के साथ कपल की तरह रहना चाहती हैं, क्योंकि उन्होंने अपनी मर्जी से इस्लाम धर्म को कबूल किया है। अभी उन्हें आजादी नहीं है, जबकि वह आजादी की हकदार हैं। अभी भी वह पुलिस की निगरानी में है। हादिया ने कोर्ट से आग्रह किया है कि उसकी आजादी को बहाल किया जाए।
इसके पहले भी हादिया सुप्रीम कोर्ट से मांग कर चुकी हैं कि उन्हें अपने पति के साथ रहने की इजाजत दी जाए। 23 जनवरी को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि हादिया बालिग हैं और उन्हें अपनी मर्जी से शादी करने का अधिकार है, इसलिए NIA शादी की वैधता की जांच नहीं कर सकती है।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा था कि अगर लड़का-लड़की कहते हैं कि उनकी शादी हुई है तो इस पर जांच नहीं हो सकती। हालांकि, कोर्ट ने लव जिहाद के मामलों पर NIA की जांच का आदेश वापस लेने पर कुछ नहीं कहा था।
बता दें कि पिछले साल हादिया ने मुस्लिम धर्म अपनाकर शफी जहां नाम के शख्स से निकाह कर लिया था, जिसके बाद लड़की के पिता अशोकन केएम ने इस मामले को लेकर कोर्ट में गुहार लगाई थी। केरल हाईकोर्ट ने इसे ‘लव जिहाद’ का मामला मानते हुए शादी को रद्द कर दिया था।
हादिया के पति शफी ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल नवंबर में हादिया को तमिलनाडु के सलेम स्थित होम्योपैथिक कॉलेज में अपनी शिक्षा जारी रखने की अनुमति दी थी।