पटना [ TNN ] उत्तर प्रदेश उपचुनावों में योगी आदित्यनाथ के बतौर स्टार कैंपेनर और कथित ‘लव जिहाद’ जैसे धुवीकरण का आइडिया फेल होने के बाद बीजेपी में बहस शुरू हो गई है। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने उत्तर प्रदेश में योगी को फ्रंट पर रखा था। लेकिन योगी मॉडल नाकाम होने के बाद बीजेपी के अंदर विरोध के स्वर उठने लगे हैं। पड़ोसी राज्य बिहार में बीजेपी ने खुद को योगी से अलग कर लिया है। अप्रैल-मई में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में बिहार में भी बीजेपी को शानदार जीत मिली थी। बिहार बीजेपी के सीनियर नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने अंग्रेजी अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा कि हम ‘लव जिहाद’ की लाइन पर पार्टी के साथ खड़े हैं लेकिन हमारी यूनिट योगी आदित्यनाथ स्टाइल से अलग रहेगी। उन्होंने कहा कि हम अगले बिहार विधानसभा चुनाव में अच्छी संख्या में मुस्लिमों को टिकट भी देंगे।
सुशील मोदी ने कहा कि बीजेपी दो धर्मों के बीच होने वाली उन शादियों का विरोध करती है जिसमें जबरन धर्म परिवर्तन, इमोशनल ब्लैकमेल जैसी हरकतें होती हैं। उन्होंने कहा कि सांगठनिक रूप से कराई जा रही अंतर्धामिक शादियों का भी हम कड़ा विरोध करते हैं। सुशील मोदी ने कहा कि देश के कई राज्यों में ऐसी हरकतें हो रही हैं। इसमें केरल, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में आसानी से देखा जा सकता है।
मोदी ने कहा, ‘मैं ‘लव जिहाद’ जैसे टर्म के उपयोग के पक्ष में नहीं हूं। योगी आदित्यनाथ बीजेपी का चेहरा नहीं हैं। वह उत्तर प्रदेश उपचुनाव में 40 स्टार कैंपेनर्स में से एक थे। यदि योगी आदित्यनाथ बिहार में उत्तर प्रदेश की तरह विवादित बयान देते हैं तो हम उनका विरोध करेंगे। बिहार में कोई आदित्यनाथ नहीं है। हम यहां आदित्यनाथ टाइप कोई लकीर नहीं खींचने जा रहे।’
चुनावी स्पीच में सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने और धर्म के नाम पर लामबंद करने के आरोप में चुनाव आयोग ने पिछले हफ्ते इसे आचार संहिता का उल्लंघन बताते हुए चेतावनी दी थी। आयोग ने योगी को नोटिस देकर जवाब मांगा था। जाहिर है सुशील मोदी बिहार की राजनीति को पार्टी के अन्य राज्यों की राजनीतिक लाइन से अलग रखना चाहते हैं। बीजेपी बिहार यूनिट पार्टी के आक्रामक लाइन के मुकाबले अपनी उदार छवि को आगे रखना चाहती है। बीजेपी बिहार इस बात को समझती है कि यहां सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति उत्तर प्रदेश की तरफ फिट नहीं बैठ सकती। नीतीश बिहार की राजनीति में सेक्युलरिजम को आधार बनाकर अपने अजेंडों को आगे बढ़ा रहे हैं। बिहार सरकार अंतर्जातीय और अंतर्धामिक विवाह करने वाले जोड़ों को 50,000 की रकम इनाम देती है। सुशील मोदी बिहार में नीतीश की इस रणनीति को बखूबी समझते हैं।
इस बार यूपी उपचुनाव में बीजेपी ने चुनावी कैंपेन को विकास के अजेंडे से अलग रखकर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को चुना पर मात खानी पड़ी। इसके बाद बीजेपी के अंदर भी सांप्रदायिकता के बजाय विकास और तरक्की को अजेंडा बनाने के लिए आवाज उठ रही है। सुशील मोदी ने कहा कि हालांकि बिहार में बीजेपी को मुसलान शायद वोट नहीं करते हैं लेकिन कोई नहीं कह सकता है कि बिहार बीजेपी मुस्लिम विरोधी है। बिहार में मुस्लिम बीजेपी से नफरत नहीं करते हैं। हमने आज तक कोई ऐसा मुद्दा नहीं उठाया जिसे सांप्रदायिक खांचे में रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि बिहार बीजेपी विकास, तरक्की और कानून-व्यवस्था को मुद्दा बनाकर चुनाव में उतरेगी। सुशील मोदी ने कहा कि मैं 15 सालों से बिहार में इफ्तार का आयोजन कर रहा हूं। मेरी इफ्तार पार्टी किसी से कम नहीं होती है। हाल ही में बिहार में सीतामढ़ी जिले के रामपुर खुर्द गांव में दलित महिला यशोदा देवी पर कथित रूप से जबरन धर्म परिवर्तन कराने के दबाव को लेकर सुशील मोदी ने गांव में बीजेपी की एक टीम भेजी थी। इस महिला का पति हिन्दू से मुसलमान बन गया था और वह अपनी पत्नी पर भी इस्लाम कबूल करने का दबाव बना रहा था।
इस मुद्दे पर सुशील मोदी ने कहा, ‘मैंने इसे परखने के लिए पार्टी की एक टीम भेजी थी। साफ है कि यहां जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया था। मैंने इस मसले को तरीके से हैंडल किया। इसे हिन्दू बनाम मुसलमान नहीं बनाया। मैंने इस मुद्दे को महिला के साथ नाइंसाफी के रूप में डील किया क्योंकि कानून जबरन मजहब परिवर्तन की अनुमति नहीं देता है। बिहार में संपन्न हुए उपचुनाव में हमने दो मुस्लिमों को टिकट दिया था। दोनों को 30 हजार से ज्यादा वोट मिले। हाल में तीन और प्रभावी मुस्लिम नेता ने बीजेपी में शामिल हुए हैं। इनमें नीतीश कैबिनेट में अबाकारी मंत्री रहे जमशेद अशरफ, पूर्व विधायक अखलाक अहमद और बेगूसराय से पूर्व जेडी(यू) सांसद मोनाजिर हसन हैं।’