बमीठा थाना के अंतर्गत ग्राम पीरा के एक रैकवार परिवार के युवक ने आदिवासी युवती के साथ जैसे ही विवाह किया वैसे ही उसके परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है, दरअसल आदिवासी युवती से प्रेम विवाह के बाद पूरे परिवार का समाज में बहिष्कार करके हुक्कापानी बंद कर दिया गया है। पीड़ित परिवार ने समाज से न्याय नहीं मिलने पर पुलिस से न्याय दिलाने की गुहार लगाई है।
खजुराहो क्षेत्र के ग्राम पीरा निवासी बाला रैकवार के बेटे शीतल का विवाह वर्ष 2012 में आदिवासी परिवार के युवती रामकुंवर पुत्री मंगलदीन आदिवासी निवासी बराही सिगोरे के साथ विधिविधान से हिंदू रीतिरिवाज से हुआ था। रैकवार समाज में जैसे ही यह चर्चा फैली कि बाला रैकवार के बेटे ने आदिवासी युवती से विवाह किया है तो समाज के ठेकेदारों के त्योरियां चढ़ गईं। आनन फानन में उन्होंने बाला रैकवार के पूरे परिवार को समाज से बहिष्कृत करके उनका समाज में हुक्कापानी बंद करने का फरमान जारी कर दिया।
बाला रैकवार ने जब समाज के मुखिया बाबूलाल ढीमर से उसका सामाजिक बहिष्कार खत्म कराने की फरियाद की तो उससे कहा गया कि सामाजिक पंचायत बुलाकर जुर्माना भरना होगा और कथा पुराण कराकर सामाजिक भोज कराना होगा तभी पुत्र की शादी से दोषमुक्त होंगे और समाज में हुक्का पानी शुरू हो जाएगा। बाला रैकवार ने बताया कि 24 अप्रैल 2017 को सामाजिक पंचायत बुलाई गई, जिसमें फैसला सुनाया गया कि बाला रैकवार, उसके पुत्र शीतल और उसकी पत्नी को तभी जाति में शामिल किया जाएगा जब बाला अपनी पत्नी और पुत्र जुगला व संतु के साथ शीतल से अलग होकर रहे।
यदि उनके बीच किसी तरह के संबंध रहे तो उनका हुक्कापानी बंद रहेगा। इस फरमान के बाद पूरा परिवार मानसिक पीड़ा झेल रहा है। समाज में शामिल होने के लिए परिवार के सामने अपनी आदिवासी बहू और बेटे के परित्याग करने की सबसे बड़ी समस्या है। जब समाज से न्याय नहीं मिला तो परेशान बाला रैकवार ने 15 मई 2017 को छतरपुर में पुलिस अधीक्षक को शिकायत पत्र देकर न्याय दिलाने की मांग की थी, लेकिन अभी तक न्याय नहीं मिल सका है। उसने एक बार फिर पुलिस और प्रशासन से न्याय दिलाने की गुहार लगाई है।