नई दिल्ली – मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन की दया याचिका के पैरोकार और सुप्रीम कोर्ट के डिप्टी रजिस्ट्रार प्रोफेसर अनूप सुरेंद्रनाथ ने इस्तीफा दे दिया है। उनका एक साल का अनुंबध खत्म ही होने वाला था। सुरेंद्रनाथ का कहना है कि कुछ ही घंटों में दो फैसले लिए जाना न्याय के अपने उद्देश्य से हटने का एक उदाहरण है।
डिप्टी रजिस्ट्रार (अन्वेषण) सुरेंद्रनाथ की करीब एक वर्ष पहले कांट्रैक्ट पर नियुक्ति हुई थी। सुरेंद्रनाथ दिल्ली स्थित नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के संकाय-सदस्य होने के साथ डेथ पेनाल्टी रिसर्च प्रोजेक्ट के निदेशक भी हैं। काबिलेगौर है कि मेमन के डेथ वारंट (मृत्यु-अधिपत्र) पर रोक लगाने के लिए दायर दया याचिका में एक पैरोकार वह भी थे।
सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्रनाथ का इस्तीफा मिलने की पुष्टि करते हुए कहा कि इसे स्वीकार करके उन्हें कार्यमुक्त कर दिया गया है। कोर्ट के अनुसार, सुरेंद्रनाथ ने निजी कारणों से इस्तीफा दिया है। सुप्रीम कोर्ट में करीब 20 डिप्टी रजिस्ट्रार हैं। इसमें कुछ की नियुक्ति न्यायपालिका के बाहर से होती है।
सोशल नेटवर्किंग साइट पर उन्होंने लिखा है, “अलग-अलग कारणों से मैं इस बारे (इस्तीफा देने) में पहले से ही सोच रहा था, लेकिन इस सप्ताह सुप्रीम कोर्ट में जो हुआ, वह निर्णायक रहा। मैं विश्वविद्यालय में मृत्युदंड पर अध्ययन के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपने पद से इस्तीफा दे रहा हूं।”