भोपाल- मध्य प्रदेश एटीएस की टीम ने सूबे में जासूसी के लिए अवैध रूप से चलाए जा रहे अवैध टेलीफोन एक्सचेंज का पर्दाफाश कर दिया है। एटीएस ने इस संबंध में आईएसआई के 11 संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों की गिरफ्तारी चार जिलों से की गई है। इनकी गिरफ्तारी प्रदेश के अलग-अलग शहरों भोपाल, ग्वालियर और सतना से की गई है। एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक इनमें एक भाजपा नेता का भाई भी शामिल हैं। मामले में कई अन्य लोगों की गिरफ्तारी भी हो सकती है।
मप्र एटीएस के चीफ संजीव शमी ने एजेंटों को पकड़ने के इस ऑपरेशन को लीड किया है। उनके मुताबिक सभी आरोपियों के खिलाफ इंडियन टेलीग्राफ एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत देश के खिलाफ युद्ध की साजिश रचने का केस दर्ज किया गया है।
एमपी एटीएस के प्रमुख संजीव शामी ने जानकारी देते हुए बताया कि जम्मू के आरएसपुरा में पुलिस ने 2016 में आईएसआई के दो एजेंट गिरफ्तार किए थे। जो पाकिस्तान में बैठे उनके आकाओं के लिए रणनीतिक जानकारी भेजने का काम करते थे।
उन दोनों से गिरफ्तार के बाद पूछताछ में पता चला कि उन्हें इस काम के लिए सतना निवासी बलराम नामक एक शख्स से इस काम के लिए पैसे मिल रहे थे। उसके बाद एटीएस की टीम ने दबिश देकर सतना से बलराम को गिरफ्तार किया है। उसकी निशानदेही पर बाकी के 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
आरोपी देश के विभिन्न भागों में सिमबॉक्स का आदान-प्रदान कर रहे थे। जांच के दौरान पता चला कि आईएसआई के इशारे पर काम करने वाले बलराम के कई बैंक खाते हैं, जिनमें हवाला के माध्यम से पैसा आया था।
संजीव शामी ने बताया कि बलराम ही हवाला से मिला पैसा जासूसी रैकेट के अन्य सदस्यों को तक पहुंचाता था। उन्होंने बताया कि बलराम को सतना से गिरफ्तार किए जाने के अलावा जबलपुर से दो, भोपाल से तीन और ग्वालियर से पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
एटीएस के मुताबिक ये गिरोह हवाला का कारोबार भी कर रहा था। इसके अलावा ऑनलाइन लॉटरी में भी ये गिरोह शामिल था। एटीएस का मानना है कि भारतीय टेलीकॉम कंपनियों की मदद के बिना इस तरह के अवैध एक्सचेंज को संचालित करना आसान नहीं है। इस दिशा में भी जांच की जा रही है।
अफसर बनकर सेना के कर्मचारियों को करते थे फोन
जानकारी के मुताबिक सभी एक समानांतर टेलिकॉम एक्सचेंज चला रहे थे, जो आईएसआई की मदद से उन्होंने तैयार किया था। इसमें वह जम्मू-कश्मीर में पदस्थ सेना के कर्मचारियों को सीनिरयर अधिकारी बनकर फोन करते थे और उनसे ऑपरेशन, तैनाती और अन्य जानकारियां हासिल करते थे।
मप्र एटीएस के अधिकारियों ने चारों के पास से कई चाइनीज उपकरण और मोबाइल फोन, सिम बॉक्स, विभिन्न टेलिकॉम कंपनियों के प्री पेड सिम कार्ड, लैपटॉप और डाटा कार्ड बरामद किए हैं। ये अवैध वीओआईपी ट्रैफिक के जरिए इंटरनेट से कॉल करते थे।
टीईआरएम की मदद से पकड़ाए
इन एजेंटों को पकड़ने में केंद्रीय टेलिकॉम मंत्रालय की टीईआरएम (टेलिकॉम एनफोर्समेंट रिसोर्स एंड मॉनिटरिगं) सेल ने एटीएस की मदद की है। जनवरी में यूपी एटीएस ने 11 लोगों को इसी तरह का अवैध टेलिकॉम एक्सचेंज चलाने के मामले में गिरफ्तार किया था।
यूपी एटीएस द्वारा दिल्ली के महरौली इलाके से गिरफ्तार किए गए गुलशन सेन से ही मप्र में आईएसआई एजेंट होने की जानकारी हाथ लगी थी। सेना से जुड़ी जानकारियां पाकिस्तान भेजने का खुलासा होने के बाद यूपी एटीएस ने जम्मू-कश्मीर मिलेट्री इंटेलीजेंस यूनिट को इसकी जानकारी दी थी। जिसमें 24 से ज्यादा सेना के कर्मचारियों को इस तरह के फोन आने की बात सामने आई। [एजेंसी]