धार भोजशाला में आज नमाज भी हुई और पूजा भी नीति का अनुसरण करते हुए प्रशासन और पुलिस ने भोजशाला मे पूजा पाठ के बीच नमाज अता करवा दी।भोजशाला के बाहर भारी शोर शराबे के बीच पुलिस अफसर भोजशाला के पीछे के रास्ते 25 नमाजियों को लेकर छत पर पहुंचे और वहा लगे शामियाने मे नमाज़ अता करवा दी। नमाज अता होते ही प्रशासन ने जनसंपर्क विभाग के माध्यम से नमाज़ का फोटो जारी कर दिए।
जिस समय नमाज चल रही थी ठीक उसी समय हिंदूवादी नेता गोपाल शर्मा शोभायात्रा मे शामिल होने वालो से भोजशाला मे 1 से 3 बजे के बीच प्रवेश कर पूजा करने का अनुरोध कर रहे थे।12.45 से 1.10 बजे के बीच हुई 20 मिनिट की नमाज शाकिर साहब ने अता करवायी।
वसंत पंचमी पर आज भोजशाला में किसी भी तरह की टकराहट टालने के लिए हरसंभव कवायद की जा रही है। प्रशासन से खफा होकर शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती भोजशाला के बाहर धरने पर बैठ गए थे। बाद में पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने उन्हें मना लिया। इसके बाद वे भोजशाला के अंदर भी गए।
वर्ष 2006 में अपनाए गए फार्मूले की तरह इस बार भी पूजा पाठ के दौरान ही भोजशाला में नमाज भी करवा दी गई। इसके लिए पीछे के रास्ते से नमाजियों को अंदर ले जाया गया।
नमाज संपन्न होने के बाद हिंदू जागरण मंच के सदस्य और अन्य भाेजशाला में पूजा करने पहुंच गए हैं।कलेक्टर ने नरेंद्रानंद सरस्वती से चर्चा की । जैसे ही कलेक्टर रवाना हुए उसके बाद गफलत में भगदड़ मच गई।
धार भोजशाला ‘‘लघु अयोध्या’’ या कमाल मौला मस्जिद ?
हिंदू भोजशाला को भगवती वाग्देवी :देवी सरस्वती: का मंदिर मानते हैं जबकि मुस्लिम इसे कमाल मौला मस्जिद मानते हैं। आम दिनों में हिंदुओं को मंगलवार को पूजा करने की अनुमति होती है जबकि मुसलमान शुक्रवार के दिन नमाज अदा करते हैं। शेष दिनों में यह स्मारक सभी के लिए खुला होता है।
लेकिन बसंत पंचमी और जुम्मे की नमाज के आज के दिन एक साथ पड़ने के कारण विवाद पैदा हो गया है क्योंकि दोनों पक्ष 11वीं सदी के इस स्मारक में पहुंच को लेकर अपनी अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। कई लोग इस स्मारक को ‘‘लघु अयोध्या’’ कहते हैं। वर्ष 2003, 2006 और 2013 में भी इसी प्रकार का संकट पैदा हुआ था जब शुक्रवार के दिन बसंत पंचमी थी।