भोपाल- भोपाल दुग्ध संघ के कर्मचारियों द्वारा छह सूत्रीय मांगों को लेकर लंबे समय से किए जा रहे आंदोलन के बाद कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं, जिससे सोमवार शाम से ही दूध की आपूर्ति प्रभावित हो गई। मंगलवार सुबह भी दूध नहीं आया। इस कारण लोग दूध की तलाश में यहां-वहां भटकते रहे।
शहर में दूध की कुल खपत का 60 फीसदी तक सांची के तौर पर भोपाल दुग्धसंघ ही आपूर्ति करता है। ऐसे में शहर की आधी से अधिक आबादी दूध की किल्लत से जूझ सकती है। हालांकि दुग्धसंघ सीईओ केके सक्सेना का कहना है कि स्थिति पर नियंत्रण है। दुग्धसंघ शहर की दूध की मांग का 3.25 लाख लीटर आपूर्ति करता है।
शहर व आसपास के क्षेत्रों से आपूर्ति के लिए दुग्धसंघ ने 63 गाडि़यां लगा रखी हैं। इनमें से महज 14 गाडि़यां ही रवाना हो सकीं। इनमें 40 हजार लीटर दूध ही रवाना हो सका। ऐसे में किल्लत शाम को ही शुरू हो गई थी।
छह सूत्रीय मांग को लेकर दुग्धसंघ कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के बैनर तले दोपहर एक बजे से प्रदर्शन कर रहे थे। दोपहर बाद तीन बजे तक प्रदर्शन बंद कर फिर से काम पर लगने का निर्णय हुआ। दुग्धसंघ प्रबंधन ने यहां पुलिस बल बुला लिया। मंगलवार को भी प्रदर्शनकारियों पर नजर रखी जा रही है।
ज्ञात हो कि सोमवार को प्रदर्शन के दौरान पुलिस से कर्मचारी नेताओं की झड़प हो गई। इसके बाद कर्मचारियों ने एक घंटे से काम बंद कर दिया था। भोपाल दुग्ध संघ के कर्मचारियों की छह सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन के लिए बनाए गए संयोजक विनोद रिछारिया के नेतृत्व में प्रदर्शन के दौरान गोविंदपुरा थाने के प्रभारी मनीष मिश्रा से कर्मचारी नेताओं का विवाद हो गया। बात बढ़ते-बढ़ते कर्मचारी नेताओं ने पुलिस के व्यवहार के खिलाफ दुग्ध संघ में काम बंद करा दिया। एक घंटे से भोपाल दुग्ध संघ में काम बंद होने से दूध के उत्पादन पर असर पड़ने के आसार हैं।