भोपाल- मध्य प्रदेश में पिछले कई वर्षों से फसल खराब होने के कारण किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है और इस कारण हजारों किसानों को तो आत्महत्या तक करनी पड़ी है। इस साल अनेकों किसानों द्वारा प्याज लगायी गयी और अच्छी पैदावार हुई तो किसान खुश था। पर बाजार से किसान को बहुत कम (50 पैसा/किलो) कीमत प्राप्त हो रही है, जिससे लागत तक नहीं निकल पा रही है और किसान प्याज को सड़कों पर फेंकने को मजबूर है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा एक कार्यक्रम में यह घोषणा को गयी कि सरकार सीधे किसान से 6 रुपये प्रति किलो प्याज खरीदेगी। पर वास्तविकता यह है की 6 रुपये प्रति किलो लागत से भी कम है और इसे कम से कम 10 रूपये प्रति किलो किया जाना चाहिए। विदित हो कि इस घोषणा का आधार “बाजार हस्तक्षेप योजना” है, जिसमें स्पष्ट है, कि यदि जल्दी खराब होने वाली फसलों की अत्यधिक पैदावार के कारण दाम गिरते हैं।
और राज्य सरकार उन्हें खरीदती है और यदि वह फसल खराब हो जाती है, तो उसमें से 50% पैसा केंद्र सरकार देगी। इसके बाद भी यह योजना तब तक लागू नहीं की गयी जब तक केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने मीडिया के सामने आकर राज्यों से इस योजना के लिए प्रस्ताव भेजने को नहीं कहा। यदि यह पहले ही लागू कर दी गयी होती तो किसानों को प्याज सड़कों पर नहीं फेकनी पड़ती।
साफ़ है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं कृषि मंत्री श्री गौरी शंकर बिसेन को या तो योजनाओं की जानकारी ही नहीं है या फिर किसानों की समस्या से उन्हें कोई मतलब ही नहीं है।
इस बात को लेकर प्रदेश कृषि मंत्री श्री गौरी शंकर बिसेन से मिलने के लिए कल दिन भर उनसे समय माँगा जाता रहा लेकिन उन्होंने अपनी व्यस्तता का बहाना देकर आज मिलने को कहा, लेकिन देर रात यह कह दिया कि वे बालाघाट जा रहे हैं। इसके बाद भी 10 रूपये किलो की प्याज खरीद की मांग और साथ ही 6 रूपये किलो प्याज की घोषणा से उपजे सवालों को लेकर आम आदमी पार्टी ने आज प्रदेश सचिव अक्षय हुँका के नेतृत्व में कृषि मंत्री गौरी शंकर बिसेन के बंगले का घेराव किया। साथ ही श्री अक्षय ने यह सवाल उनके सामने रखे।
(1) यदि केंद्र की “बाजार हस्तक्षेप योजना” को पहले ही लागू किया गया होता तो किसानों की यह दुर्दशा नहीं होती, इसके लिए कौन जिम्मेदार है और उसके खिलाफ क्या कार्यवाही की जायेगी?
(2) मध्य प्रदेश में इस वर्ष लगभग 13 करोड़ क्विंटल प्याज की पैदावार हुई है जबकि प्रदेश में भण्डारण छमता लगभग मात्र 1 करोड़ क्विंटल है, ऐसे में सरकार इतनी प्याज को कहाँ रखेंगी ? क्या यह महज एक घोषणा है?
(3) यह कैसे सुनिश्चित किया जाएगा कि व्यापारी 6 रूपये किलो ही प्याज खरीदें, यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो सरकार क्या करेगी ?
(4) यह कैसे सुनिश्चित किया जाएगा कि जो व्यापारी अभी तक कम दामों में प्याज खरीद रहे थे वे ही उस प्याज को सरकार को 6 रूपये में न बेच दें?
(5) जो किसान अपनी प्याज पहले ही बेच चुका है उसका 6 रूपये किलो के हिसाब से मूल्य उन किसानों को कैसे उन्हें दिलवाया जायेगा?