मध्य प्रदेश में एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है। भूमि घोटाला मामले की जांच कर रहे डीसीपी ने नौ साल पहले मर चुके किसान का बयान लिया है। इतना ही नहीं उस बयान को भोपाल की विशेष अदालत में भी पेश किया है।
1600 करोड़ की जमीन सिर्फ 1.5 करोड़ में?
अंग्रेजी अखबार ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 141 किसानों के पास 800 एकड़ जमीन थी। जिसको कथित तौर पर बिना किसी की सहमति के नीलाम कर दिया गया। नीलामी का कारण उस जमीन का करोड़ों रुपयों का कर्जा था, जो जिला सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक, भोपाल, भूमि विकास बैंक से लिया गया था। जमीन की कीमत थी 1600 करोड़ जबकि मिले सिर्फ 1.5 करोड़।
अधिकारियों और जमीन खरीदने वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज होने के बाद, लोकायुक्त ने एफआईआर (FIR) 4 जुलाई 2013 में दर्ज कर ली।
क्या था बयान में ?
लोकायुक्त के अनुसार भोपाल की हुजूर तहसील में रहने वाले राधेलाल का बयान 20 अप्रैल 2013 को ही ले लिया गया था और कोर्ट में भी पेश कर दिया गया था। राधेलाल ने अपने बयान में साफ कर दिया था कि उसने बैंक से 8000 का लोन लिया था, लेकिन वापस नहीं कर पाया था। बाद में मेरी 7.10 एकड़ जमीन को मुझसे पूछे बिना अधिकारीयों ने बेच दिया गया।
अगस्त 2004 में ही हो चुकी थी मौत
सगोनी गांव की पंचायत ने भी कागजों का एक गट्ठर पेश किया, जिसमें एक डैथ सर्टिफिकेट था। यह डैथ सर्टिफिकेट राधेलाल का ही था, जिसमें लिखा था कि राधेलाल की मृत्यु अगस्त 2004 में ही हो चुकी है। लोकायुक्त और सरपंच के बयानों को 13 दिसंबर 2015 को विशेष अदालत में पेश किया गया था।
छानबीन के बाद सामने आया कि राधेलाल अगस्त 2004 में ही मर चुके थे।