इंदौर- 26 लाख रुपये से ज्यादा की अनुपातहीन संपत्ति अर्जित करने के जुर्म में खाद्य और औषधि प्रशासन विभाग के पूर्व अधिकारी को विशेष अदालत ने तीन वर्ष के सश्रम कारावास और 16.35 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनायी।
विशेष न्यायाधीश बीके पालोदा ने करीब 19 साल पुराने मामले में खाद्य और औषधि प्रशासन विभाग के सेवानिवृत्त अनुज्ञापन अधिकारी विनोद कुमार मेहरोत्रा को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत दोषी करार देते हुए यह दंड सुनाया।
लोकायुक्त पुलिस के विशेष लोक अभियोजक अशोक सोनी ने बताया कि भ्रष्टाचार से अनुपातहीन संपत्ति अर्जित करने की शिकायत पर इंदौर और भोपाल में मेहरोत्रा के तीन ठिकानों पर 15 नवंबर 1997 को एक साथ छापा मारा गया था।
दिनांक 15/11/1997 को आरोपी के 182 टेलीफोन नगर इंदौर स्थित निवास, मंडीदीप भोपाल स्थित सीमांत लेबोरट्री और भोपाल कोहेफिजा स्थित अपार्टमेंट पर इंदौर लोकायुक्त के तत्कालीन अधिकारियों ने एक साथ छापा डालकर तलाशी कारवाही की थी, इसके बाद विवेचना में 8,13,122/- रुपये वैध आय की तुलना में 26,61,672/- रुपये की अनुपातहीन संपत्ति पाए जाने पर दिनांक 28/4/2004 को माननीय न्यायालय में चालान पेश किया गया था।
अब कुल 20 प्रकरणों में आरोपियों को दण्डित किया जा चुका है, जिनमे इंदौर में ही 2 रिश्वत के और 1 अनुपातहीन संपत्ति के मामले में सजा हो चुकी है। लोकायुक्त की ओर से विशेष लोक अभियोजक अशोक सोनी ने पैरवी की।
सोनी ने बताया कि मेहरोत्रा के खिलाफ 28 अप्रैल 2004 को विशेष अदालत में आरोपपत्र पेश किया गया था। इस मामले में अभियोजन पक्ष ने मेहरोत्रा पर जुर्म साबित करने के लिये अदालत के सामने 58 गवाह पेश किये। उन्होंने बताया कि मेहरोत्रा अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं।