जबलपुर : जबलपुर हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश लोकसेवा आयोग (एमपी पीएससी) द्वारा 2015 में की गई 722 आयुर्वेदिक डॉक्टरों की नियुक्ति रद्द कर दी। हाईकोर्ट ने पीएससी को निर्देश देते हुये कहा कि 3 महीने के अंदर नए सिरे से लिस्ट जारी की जाए।
बता दें कि मध्य प्रदेश लोकसेवा आयोग (एमपी पीएससी) ने 2013 में आयुर्वेद डॉक्टरों की भर्ती आयोजित की थी। 722 पदों के लिए ऑनलाइन फॉर्म जमा करवाए गए थे। नियमानुसार आवेदन की अंतिम तारीख के बाद किसी भी सूरत में आवेदन की पात्रता नहीं थी।
हाईकोर्ट ने पीएससी को निर्देश दिए है कि 3 महीने के अंदर नए सिरे से लिस्ट जारी की जाए। मामले में लगी याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने ये आदेश दिए है। जिसमें कहा गया था कि डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए शर्तों में फेरबदल किया गया और इसमें रजिस्ट्रेशन की तारीख बढ़ाने का मामला भी शामिल है। नियम के अनुसार नहीं होने पर रद्द कर दी जाये।
जानें क्या है मामला...सितंबर 2013 में मप्र लोकसेवा आयोग ने आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी के 722 पदों की भर्ती का विज्ञापन जारी किया था। मई 2014 में परीक्षा हुई, लेकिन पर्चा लीक होने से आयोग ने इसे निरस्त कर दिया। मामला स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) को सौंपा गया।
आयुर्वेदिक डॉक्टरों के मुताबिक दोबारा परीक्षा करवाने के लिए अक्टूबर-नंवबर में आयोग के अधिकारियों से मिले थे। पीएससी ने नियम का पालन नहीं किया। उसने फॉर्म भरने की अंतिम तारीख बढ़ाकर 29 जून 2015 कर दी। इससे कई अन्य प्रतिभागियों को फॉर्म भरने का मौका मिल गया।
इससे कॉम्पिटिशन बढ़ गई कई पात्र छात्र चयन से वंचित रह गए। दो साल में प्रक्रिया पूरी होने के बाद दिसंबर 2015 में मेरिट लिस्ट जारी की गई। लिस्ट के आधार पर आयुष विभाग ने डॉक्टरों को सितंबर 2016 में नियुक्ति भी दे दी गई।
यह है नियम – वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के नियमानुसार हर दो हजार लोगों पर एक डॉक्टर होना अनिवार्य है। बावजूद इसके आयोग परीक्षा करवाने में देरी कर रहा है, जबकि प्रदेश में करीब 150 पद रिक्त पड़े हैं।