भोपाल- आपने अभी तक कई नेताओं के महंगे गिफ्ट के बारे में सुना होगा। जो भी नेताओं से मिलने जाता है उनके लिये तरह-तरह के गिफ्ट लेकर जाता है। मध्यप्रदेश के एक ऐसे ही मंत्री हैं जिन्हें अपनी पसंद के महंगे गिफ्ट लेने का शौक है।
इनका शौक तो ऐसा है कि इनको गिफ्ट इनकी ही पसंद का देना पड़ता है। फूलों के गुलदस्ते ये या किसी और गिफ्ट से भले कोई मंत्री खुश हो जाएं पर ये मंत्री वही गिफ्ट लेते हैं जो उन्हें पसंद हैं। इन्होंने बाकायदा अपने समर्थकों और शुभचिंतकों से कह रखा है कि गिफ्ट वो लाएं, जो मंत्री मन भाए।
हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश सरकार के स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी की। जो गिफ्ट में सिर्फ किताब, कॉपी और पेन लेते हैं। जोशी जबसे मंत्री बने हैं अब तक करीब 11 लाख की कॉपी, किताबें और पेन गिफ्ट में ले चुके हैं। मंत्री जी इन गिफ्टों को सरकारी स्कूलों में उनकी जरुरत के हिसाब से बांटने का फैसला किया है।
स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व कद्दावर नेता कैलाश जोशी के पुत्र है और लंबे समय से राजनीति कर रहे हैं। पहली बार विधायक बनकर जब अपने गुरु के पास आशीर्वाद लेने पहुंचे तो गुरु ने उनको कहा कि सियासत की डगर बड़ी रपटीली है और इसमें लोग जल्दी फिसल जाते हैं। कुछ ऐसा करना कि राजनीति में तुम अच्छे कामों के लिए जाने जाओ। उन कामों को लिए नहीं, जिनके लिए दूसरे नेता जाने जाते हैं।
गुरु का आदेश सुन कर दीपक जोशी ने फैसला कर लिया कि अब वो कुछ ऐसा करेंगे कि गुरु के आदेश का सम्मान हो। 2013 में विधायक बन कर दीपक जोशी फिर से विधानसभा पहुंचे। शिवराज सरकार में उन्हें स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री का पद सौंपा गया। मंत्री बनने के बाद जब उनका पहला जन्मदिन आया, तो उन्हें गुरु को दिया वचन याद आया। उन्होंने सोच लिया कि इस जन्मदिन पर ही ऐसी कोई परम्परा शुरू करूंगा कि जो अनुकरणीय के साथ-साथ गरीब लोगों के लिए मददगार हो सके।
दीपक जोशी मंत्री बन चुके थे। मंत्री के रूतबे और रसूख को देखते हुए लोग उनसे मिलने आते तो कुछ न कुछ गिफ्ट लेकर जरूर आते। महंगे गिफ्ट नहीं लाते, तो महंगे फूलों का गुलदस्ता जरूर लाते। फिर क्या था। रोजाना आने वाले इन गुलदस्तों का कोई उपयोग न देखकर उनके मन में विचार आया कि गुरु को दिए वचन के अनुसार कुछ काम किया जाए।
मंत्री बनने के बाद जब उनका पहला जन्मदिन 13 जून, 2014 को आया तो उन्होंने सोच लिया कि आज से वो गुलदस्ते और दूसरे उपहार नहीं लेंगे। क्योंकि न तो इनका कोई उपयोग है और न ही ये किसी अच्छे काम में आते हैं। उनके जन्मदिन पर जब उनके शुभचिंतक और समर्थक उनके पास जन्मदिन के दिन जश्न की तैयारियों के बारे में जानने पहुंचे तो उन्होंने साफ कह दिया कि जन्मदिन पर कोई जश्न नहीं होगा। जो भी मुझे शुभकामनाएं या उपहार देना चाहता है तो गुलदस्ते और उपहारों की जगह मुझे कॉपी, किताब और पेन भेंट करे। फिर क्या था, अपने चहेते नेता के आदेश पर सभी ने कलम, किताब और कॉपियां भेंट की।
मंत्री बनने के बाद दीपक जोशी का जब पहला जन्मदिन मना और उनकी मंशा के अनुरूप उन्हें उनके समर्थक और शुभचिंतकों ने कॉपी, किताब और पेन गिफ्ट दिए तो लगभग तीन लाख 50 हजार के कॉपी, किताब और पेन इकट्ठे हो गये।
उनकी इस पहल की जमकर चर्चा हुई और लोगों ने सराहना की और जब उनका दूसरा जन्मदिन आया तो उन्हें पहले जन्मदिन की अपेक्षा दोगुने गिफ्ट में मिले। लोगों ने करीब सात लाख रुपए के कॉपी किताब और पेन गिफ्ट कर डाले।
मंत्री जी के पास अब तक करीब 11 लाख की कॉपी, किताब और पेन इकट्ठा हो चुके हैं। मंत्री जी ने सोचा है कि अब इन कॉपी, किताब और पेन को सरकारी स्कूलों के बच्चों को उपहार में देंगे। मंत्री जी ने अपने विभाग के प्राचार्यों को पत्र लिखकर संदेश भेजा है कि जिन सरकारी स्कूल के बच्चों ने परीक्षा और अन्य गतिविधियों में अच्छा प्रदर्शन किया है, उन सरकारी स्कूलों में उनकी आवश्यकता अनुसार कॉपी, किताब और पेन उपहार स्वरूप दिए जाएंगे। जिनका उपयोग गरीब और प्रतिभाशाली बच्चों को मदद के लिए में किया जाए।